बेंगलुरु : महानगरों में 20 मिनट में पिज्जा पहुंचाया जा सकता हैं, तो ज़रूरतमंदों को इमरजेंसी मेडिकल सेवा क्यों नहीं... कर्नाटक सरकार की इसी सोच का नतीजा है 'रेस्पोंडर एम्बुलेंस बाइक सेवा'।
खास तौर पर डिज़ाइन किए गए इस बाइक के पिछले हिस्से में 52 जरूरी जीवनरक्षक दवाओं के साथ-साथ अत्याधुनिक ऑक्सीजन किट और दूसरे उपकरण मौजूद हैं।
कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री यूटी क़ादर ने बताया कि ये सुविधा दूसरी सरकारी एम्बुलेंस सेवाओं की तरह बिल्कुल मुफ़्त है। इसका मक़सद फौरन जीवनरक्षक सुविधाएं वक़्त रहते मरीज़ तक पहुंचाना है। मरीज की जांच के बाद इस पर सवार पारा-मेडिकल अधिकारी को अगर लगता है कि 4 पहिये एम्बुलेंस की ज़रूरत है तो वह खुद इसकी सूचना एम्बुलेंस केंद्र को दे देगा।
पहले की ही तरह एम्बुलेंस के लिए 108 नंबर को ही कॉल करना है। वहां बैठा अधिकारी यह तय करेगा कि कौन सी एम्बुलेंस भेजना है।
फिलहाल बेंगलुरु शहर में पारा मेडिकल प्रोफेशनल्स के साथ ऐसी 21 रेस्पोंडेर एम्बुलेंस शहर के चुने हुए भीड़ भाड़ वाले इलाक़ों में तैनात की जा रही है। बेंगलुरु के अलावा राज्य के दूसरे बड़े 9 शहरों में भी एक-एक एम्बुलेंस भेजी गई है। इन शहरों में मंगलौर, हुबली, धाड़वार और मैसूर शामिल हैं।
राष्ट्रीय हेल्थ मिशन से जुड़े इस प्रोजेक्ट में इस्तेमाल किए जा रहे हर बाइक पर लगभग 2 लाख रुपये का खर्च आया है। छह महीने के बाद इस प्रोजेक्ट का मूल्यांकन किया जाएगा और अगर ये पूरी तरह सफल हुआ तो इसे बड़े पैमाने पर बेंगलुरु सहित राज्य के उन सभी सभी बड़े शहरों में लागू किया जाएगा, जहां ट्रैफिक की वजह से 4 पहिये वाले परंपरागत एम्बुलेंस का वक़्त रहते ज़रूरतमंदों तक पहुंचना मुश्किल होता है।
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