बीकानेर में अपने साथियों के साथ कचरा एकत्रित करते हुए मोहोर सिंह।
जयपुर:
एक इंसान भी चाहे तो समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकता है। ऐसा ही कुछ किया है बीकानेर के एक स्कूल प्रिंसिपल ने। उन्होंने कॉलोनी में सफाई रखने के लिए नियमित कचरा इकट्ठा करना शुरू किया है।
मोहोर सिंह बीकानेर की व्यास कॉलोनी का जाना पहचाना चेहरा है। वह पेशे से तो सरकारी स्कूल में प्रिंसिपल हैं लेकिन इसके साथ उन्होंने अपनी कॉलोनी को साफ रखने का बीड़ा भी उठा लिया है। मोहोर सिंह ने एक साल पहले, खुद की कमाई के पैसों से वाहन खरीदा और घर-घर जाकर कचरा इकट्ठा करना शुरू कर दिया, ताकि लोग रास्ते और गलियों में कूड़ा न फेंकें।
देश की गंदगी की तस्वीरों ने किया सफाई के लिए प्रेरित
मोहोर सिंह गाड़ी में लगे लाउडस्पीकर से एनाउंसमेंट करते हैं 'गाड़ी पहुंच गई है, यहां खड़ी है। आप अपने घरों से आएं और कचरा दें।' लोग घरों से निकलकर उनके वाहन में लगे डिब्बों में अपना कचरा डाल देते हैं।
मोहोर सिंह ने बताया की उन्होंने यह काम इसलिए शुरू किया क्योंकि वे देश-विदेश में छपने वालीं भारत की गंदगी से जुड़ी तस्वीरों को देखकर चिंतित थे। उन्होंने कहा 'मुझे दुःख है कि हमारे देश की छवि है गंदगी की। एक शिक्षक होने के नाते, एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते मैंने सोचा इस कलंक को मिटाऊंगा।'
कचरे के प्रबंधन का भी ध्यान
रसोई से निकला कचरा, फल-सब्जी के छिलके आदि तो गौशाला में पहुंचा दिया जाता है, प्लास्टिक और बाकी कचरा शहर के बाहर 40 फीट गहरी खाई में फेंका जाता है। यह मुहिम मोहोर सिंह ने अकेले छेड़ी थी, लेकिन अब न सिर्फ लोग उनके साथ जुड़ गए हैं। सफाई में लगे वाहन भी एक से बढ़कर तीन हो गए हैं।
अभियान से जुड़ने लगे नागरिक
कॉलोनी के लोग कहते हैं 'जैसे ही उनकी गाड़ी की आवाज सुनते हैं, सब खड़े हो जाते हैं। हमें बहुत अच्छा लग रहा है कि हमारी गलियां साफ-सुथरी हो गई हैं।' मोहोर सिंह के अभियान से जुड़ी एक महिला ने कहा 'इतनी गन्दगी थी कि हम सारे लोग परेशान थे। अब हमारे सेक्टर में बिलकुल सफाई है। मोहोर सिंह से प्रेरणा लेकर हम भी उनके साथ जुड़ गए हैं।'
भजन बजाते हुए मोहोर सिंह हर रोज़ अपने सफाई मिशन पर निकल जाते हैं। उन्होंने साबित कर दिया है कि छोटे कामों से शुरुआत करके बड़े कामों के लिए भी राह बनाई जा सकती है।
मोहोर सिंह बीकानेर की व्यास कॉलोनी का जाना पहचाना चेहरा है। वह पेशे से तो सरकारी स्कूल में प्रिंसिपल हैं लेकिन इसके साथ उन्होंने अपनी कॉलोनी को साफ रखने का बीड़ा भी उठा लिया है। मोहोर सिंह ने एक साल पहले, खुद की कमाई के पैसों से वाहन खरीदा और घर-घर जाकर कचरा इकट्ठा करना शुरू कर दिया, ताकि लोग रास्ते और गलियों में कूड़ा न फेंकें।
देश की गंदगी की तस्वीरों ने किया सफाई के लिए प्रेरित
मोहोर सिंह गाड़ी में लगे लाउडस्पीकर से एनाउंसमेंट करते हैं 'गाड़ी पहुंच गई है, यहां खड़ी है। आप अपने घरों से आएं और कचरा दें।' लोग घरों से निकलकर उनके वाहन में लगे डिब्बों में अपना कचरा डाल देते हैं।
मोहोर सिंह ने बताया की उन्होंने यह काम इसलिए शुरू किया क्योंकि वे देश-विदेश में छपने वालीं भारत की गंदगी से जुड़ी तस्वीरों को देखकर चिंतित थे। उन्होंने कहा 'मुझे दुःख है कि हमारे देश की छवि है गंदगी की। एक शिक्षक होने के नाते, एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते मैंने सोचा इस कलंक को मिटाऊंगा।'
कचरे के प्रबंधन का भी ध्यान
रसोई से निकला कचरा, फल-सब्जी के छिलके आदि तो गौशाला में पहुंचा दिया जाता है, प्लास्टिक और बाकी कचरा शहर के बाहर 40 फीट गहरी खाई में फेंका जाता है। यह मुहिम मोहोर सिंह ने अकेले छेड़ी थी, लेकिन अब न सिर्फ लोग उनके साथ जुड़ गए हैं। सफाई में लगे वाहन भी एक से बढ़कर तीन हो गए हैं।
अभियान से जुड़ने लगे नागरिक
कॉलोनी के लोग कहते हैं 'जैसे ही उनकी गाड़ी की आवाज सुनते हैं, सब खड़े हो जाते हैं। हमें बहुत अच्छा लग रहा है कि हमारी गलियां साफ-सुथरी हो गई हैं।' मोहोर सिंह के अभियान से जुड़ी एक महिला ने कहा 'इतनी गन्दगी थी कि हम सारे लोग परेशान थे। अब हमारे सेक्टर में बिलकुल सफाई है। मोहोर सिंह से प्रेरणा लेकर हम भी उनके साथ जुड़ गए हैं।'
भजन बजाते हुए मोहोर सिंह हर रोज़ अपने सफाई मिशन पर निकल जाते हैं। उन्होंने साबित कर दिया है कि छोटे कामों से शुरुआत करके बड़े कामों के लिए भी राह बनाई जा सकती है।
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