बिहार में नीतीश कुमार (Nitish Kumar) सरकार ने शपथ लेने के तीन दिन के अंदर मेवालाल चौधरी से इस्तीफ़ा ले लिया. इस्तीफ़े के पीछे वजह ये बतायी जा रही है कि भागलपुर पुलिस ने उनके ख़िलाफ़ चार्जशीट दायर करने के लिए अभियोजन की अनुमति माँगी थी लेकिन इस इस्तीफ़े के पीछे जहाँ राष्ट्रीय जनता दल की अगुवाई वाला विपक्ष श्रेय ले रहा है, वहीं राजनीतिक हलकों में बताया जा रहा है कि नीतीश कुमार ने भाजपा के दबाव में इस्तीफ़ा करवाया है. जनता दल यूनाइटेड ने भी मेवालाल चौधरी के इस्तीफ़े के पीछे भाजपा के दबाव से इंकार नहीं किया है.
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा ने एक चैनल के साथ बातचीत में मेवालाल चौधरी के इस्तीफ़े के बारे में कहा कि पार्टी को चौधरी के ख़िलाफ़ एफ़आईआर के बारे में जानकारी नहीं थी लेकिन जैसे ही इसके बारे में हमें जानकारी मिली, कार्रवाई की गई. नड्डा ने कहा कि राजनीति में नीयत सबसे महत्वपूर्ण होता है. वहीं इसके बारे में शनिवार को पटना में जनता दल यूनाइटेड के संवाददाता सम्मेलन में कार्यकारी अध्यक्ष अशोक चौधरी का कहना था कि यहाँ एनडीए की सरकार है. इसमें बीजेपी अध्यक्ष का कहना एकदम सही है. उन्होंने सवाल पर सवाल दागते हुए कहा कि वो ग़लत क्या कह रहे हैं?
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हालाँकि, मेवालाल चौधरी ने दावा किया कि स्थानीय पुलिस ने 17 तारीख़ को ही अभियोजन की सहमति माँगी और उसके तुरंत बाद इस्तीफ़ा दे दिया गया. इस बीच जनता दल यूनाइटेड जो इस मामले में राहत की साँस ले रही है. उसके नेताओं का कहना है कि अब तेजस्वी यादव को विपक्ष के नेता का पद स्वीकार न कर एक मिसाल पेश करना चाहिए. साफ है कि इस विषय पर अब जनता दल यूनाइटेड राष्ट्रीय जनता दल को घेरना चाह रही है.
इसबीच, मेवालाल चौधरी के इस्तीफ़े से एक बात साफ़ हुई है कि भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व अब जनता दल यूनाइटेड के दागी मंत्रियों के बारे में मौन नहीं रह सकता और नीतीश सरकार के काम काज में बीजेपी का दख़ल इस बार पहले से अधिक होगा.
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