कोरोनावायरस के इस दौर में जो सबसे हृदयविदारक कहानियां सामने आ रही हैं, वो हैं प्रवासी मजदूरों की. कमाई के लिए देश के कोने-कोने में पहुंचे ये प्रवासी मजदूर अब अपने हालात के आगे मजबूर हैं और किसी भी हालत में बस अपने घर पहुंच जाना चाहते हैं. लेकिन हर मजदूर की किस्मत श्रमिक ट्रेन में सीट बुक करा लेने और सही-सलामत अपने घर पहुंच जाने जितनी अच्छी नहीं है. मुंबई के ठाणे से एक ऐसे ही प्रवासी मजदूर की कहानी सामने आई है. अपने घर पहुंचने की जद्दोज़हद में पैदल निकले सुरगिम महतो को अस्पताल की असंवेदनशीलता की वजह से बीमार हालत में फुटपाथ पर पड़े रहने को मजबूर होना पड़ा. 24 साल के सुरगिम महतो बिहार के रहने वाले हैं. बाकी प्रवासी मजदूरों की तरह ही सुरगिम भी घर जाने के लिए पैदल ही निकल पड़े थे लेकिन ठाणे के कलवा में ही उनकी तबियत खराब हो गई और वो हाईवे के किनारे निढाल होकर गिर पड़े थे.
ऐसे में लॉकडाउन के दौरान भूखे और मजबूरों की मदद कर रही सामाजिक संस्था Youth For People के सदस्य दीपेश टैंक और रितेश उत्तमचंदानी की उनपर नजर पड़ी. इसके बाद दीपेश ने एंबुलेंस बुलाई और सुरगिम को कलवा के छत्रपति शिवाजी महाराज अस्पताल भेज दिया.
दीपेश ने बताया कि दूसरे दिन उन्होंने सुरगिम के तबियत की हालचाल के लिए अस्पताल को कॉल किया तो उन्हें पता चला कि अस्पताल में उस नाम का कोई मरीज ही नहीं है. इससे हैरान होकर दीपेश और उनके साथियों ने सुरगिम की तलाश शुरू कर दी.
2 दिन बाद जब दीपेश सुरगिम की तलाश में अस्पताल पहुंचे तो उन्होंने देखा कि सुरगिम फुटपाथ पर पड़े हुए हैं. सुरगिम ने बताया कि अस्पताल ने उन्हें फॉर्म भरने को कहा और जब उन्हें पता चला कि उनका वहां कोई नही है तो बाहर निकाल दिया.
रितेश उत्तमचंदानी ने इस घटना को लेकर एक ट्वीट किया, जिसपर बिहार राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव ने महाराष्ट्र सरकार में विधायक आदित्य ठाकरे को टैग कर मजदूर की मदद करने की अपील की। उनकी अपील पर ठाणे के सांसद श्रीकांत शिंदे ने बीमार सुरगिम महतो को ठाणे के सिविल अस्पताल में भर्ती कराया.
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