गया:
बिहार के गया जिले के अनुग्रह नारायण मेडिकल कॉलेज अस्पताल में एंसेफेलाइटिस (दिमागी बुखार) से बच्चों की मौत का सिलसिला जारी है। पटना उच्च न्यायालय ने इसे गम्भीरता से लेते हुए सरकार से इस मामले में जवाब मांगा है। अस्पताल के अधीक्षक सीताराम पासवान ने गुरुवार को बताया कि इस बीमारी से बीते 24 घंटे में एक बच्चे की मौत हुई है। 23 अगस्त से अब तक यहां इस बीमारी से ग्रस्त 385 से ज्यादा मरीजों को भर्ती कराया गया, जिनमें से 284 मरीज स्वस्थ होकर घर वापस चले गए। लेकिन 84 बच्चों की मौत हो चुकी है। अस्पताल के शिशु वार्ड में अब भी 27 मरीजों का इलाज चल रहा है। उन्होंने हालांकि कहा कि बीमारी से निपटने के लिए अस्पताल में सभी आवश्यक तैयारियां की गई हैं। उनके मुताबिक, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के चिकित्सकों का एक दल दो बार यहां का दौरा कर चुका है। दल के सदस्यों ने अस्पताल में किए जा रहे इलाज के प्रति संतोष जताया है। उन्होंने इलाज की प्रक्रिया को भी सही बताया था। अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. एके रवि के अनुसार, बीमारी का मुख्य कारण वायरस का संक्रमण है। वायरस संक्रमण मस्तिष्क को क्षतिग्रस्त करता है और रोगी की मौत हो जाती है। इस बीमारी के होने का मुख्य कारण मच्छर का काटना है। इस बीमारी का परजीवी वायरस सूअर में अपना जीवनचक्र पूरा करता है। मच्छर जब सूअर को काटता है तो वायरस उसमें पहुंच जाता है और फिर वहां से मनुष्य में। इस संक्रमण से पीड़ित मरीजों को तेज बुखार रहता है। वे बेहोश भी हो जाते हैं। उधर, पटना उच्च न्यायालय की न्यायाधीश टी़ मीणा कुमारी और न्यायाधीश विकास जैन की पीठ ने मंगलवार को सरकार को इस मामले में तत्काल कार्रवाई करने का आदेश दिया। न्यायालय ने धीरेंद्र कुमार की याचिका पर यह आदेश दिया। उनके वकील सुनील कुमार ने अदालत में आरोप लगाया कि प्रशासन इस बीमारी की रोकथाम के लिए कोई कदम नहीं उठा रहा है। न्यायालय ने राज्य के मुख्य सचिव और स्वास्थ्य विभाग के मुख्य सचिव को दो सप्ताह के भीतर बीमारी से निपटने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी देने को कहा है।
This Article is From Nov 17, 2011