
Bihar Election 2020: हम इतिहास से सबक नहीं लेते हैं बल्कि मुंह मोड़ने में भरोसा रखते हैं. इसीलिए हमारे यहां इतिहास लेखन की कला का इतिहास अपवाद मात्र है. बक्सर की लड़ाई उनको पता है जिन्होंने मध्य और आधुनिक भारत का इतिहास पढ़ा है. चुनाव कवर करते हुए जब मैं बक्सर पहुंचा तो अपने सहयोगी पुष्पेंद्र से बक्सर की लड़ाई का मैदान देखने की इच्छा जताई.
कुछ देर वो मुझ पर हंसे फिर बोले यहां दो लड़ाई हुई थीं बक्सर की लड़ाई जिसने अंग्रेजों के लिए भारत में दो सौ साल शासन करने के दरवाजे खोल दिए थे दूसरी लड़ाई चौसा की जो हूमांयू और शेरशाह सूरी के बीच लड़ा गया था जिसमें खुद हूमांयू गंगा नदी में डूबते डूबते बचा.
मुगलों और अंग्रेजों के बीच बक्सर की लड़ाई जिस ऐतिहासिक मैदान में लड़ी गई उसकी दुर्दशा देखिए। इस लड़ाई के परिणाम ने भारत को 200 साल की अंग्रेजी गुलामी दी। उसी बक्सर के मैदान में जमूरा पत्रकारिता से हारता एक पत्तलकार।#BiharElections2020 pic.twitter.com/iYFfLwnB70
— Ravish Ranjan Shukla (@ravishranjanshu) October 18, 2020
चौसा का युद्ध मैदान मैं नहीं देख पाया लेकिन बक्सर की लड़ाई का मैदान देखकर मैं निराश हुआ. बक्सर जिला भारत की तकदीर बदलने वाले इन दोनों युद्धों का गवाह रहा है. लेकिन इतिहास की इस बेकद्री पर मुझे दुख हुआ. इस सियासी लड़ाई में किसी भी नेता को बक्सर और चौसा के युद्ध स्मारकों पर हो रहे कब्जों की फिक्र नहीं है.
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