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This Article is From Oct 22, 2020

बिहार चुनाव : चनाव प्रचार में कोविड-19 नियमों से बेपरवाह हैं नेता, भड़का चुनाव आयोग

आयोग ने बुधवार को राष्ट्रीय और क्षेत्रीय को एक चिट्ठी लिखी है, जिसमें आयोग ने कहा है कि राजनीतिक पार्टियों की रैलियों में नेताओं के बिना मास्क पहने भाषण देने और भीड़भाड़ वाली बैठकों में सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का उल्लंघन करने के मामले सामने आए हैं.

बिहार चुनाव : चनाव प्रचार में कोविड-19 नियमों से बेपरवाह हैं नेता, भड़का चुनाव आयोग
चुनावी रैलियों में नेताओं की लापरवाही देखकर भड़का चुनाव आयोग.
नई दिल्ली:

चुनाव आयोग (Election Commission) ने गुरुवार को कहा कि राजनीतिक पार्टियां चुनावी रैलियों में कोविड-19 के मद्देनजर जारी किए गए गाइडलाइंस का पालन नहीं कर रही हैं और अपने उम्मीदवारों और आम जनता को कोवि़ड-19 के संक्रमण के खतरे में डाल रही हैं. चुनाव आयोग ने आने वाले वक्त में होने वाले कई विधानसभा और उपचुनावों, खासकर बिहार विधानसभा चुनावों को देखते हुए कोविड-19 गाइडलाइंस जारी की थीं. बिहार में 28 अक्टूबर से 7 नवंबर तक तीन चरणों में चुनाव होने वाले हैं.

आयोग के दिशा-निर्देशों के मुताबिक, पार्टियों को चुनाव प्रचार के लिए सख्त कदम उठाने हैं. इसमें सार्वजनिक सभाओं में कम भीड़ और कम भीड़ के साथ ही नामांकन की प्रक्रिया पूरी करनी थी. हालांकि, आयोग ने बुधवार को राष्ट्रीय और क्षेत्रीय को एक चिट्ठी लिखी है, जिसमें आयोग ने कहा है कि राजनीतिक पार्टियों की रैलियों में नेताओं के बिना मास्क पहने भाषण देने और भीड़भाड़ वाली बैठकों में सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का उल्लंघन करने के मामले सामने आए हैं.

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उदाहरण के लिए 15 अक्टूबर को बिहार के सारण जिले में जनता दल (यूनाइटेड) के एक नेता का मंच अत्यधिक भीड़ होने के चलते टूट गया था और सभी लोग गिर पड़े थे. घटना में सामने आया कि सैकड़ों की संख्या में जुटे लोगों वाले इस कार्यक्रम में कोविड-19 प्रोटोकॉल्स का बिल्कुल ध्यान नहीं रखा गया था.

आयोग ने चिट्ठी में लिखा है, 'ऐसा करके राजनीतिक पार्टियां और उम्मीदवार बस आयोग के नियमों की लापरवाही से धज्जियां ही नहीं उड़ा रहे, बल्कि खुद और आम जनता के लिए इन रैलियों और बैठकों में संक्रमण का खतरा पैदा कर रहे हैं.' ऐसी घटनाओं को ध्यान में रखते हुए आयोग ने अपनी पुरानी सलाह को ही पूरे ध्यान और सतर्कता से पालन करने को कहा है.

आयोग ने कहा कि 'CEOs और जिला अधिकारियों से यह अपेक्षा की जाती है कि वो इन नियमों का उल्लंघन करने वाले उम्मीदवारों और संगठनों पर जुर्माना लगाएं.' बता दें कि डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट और IPC की धाराओं के तहत कोविड-19 की गाइडलाइंस का उल्लंघन करने वाले को दो साल तक की सजा हो सकती है.

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