भीमा कोरेगांव मामला: सामने आया यलगार परिषद के भाषण का वीडियो, माओवादी होने के दावों पर सवालिया निशान

पुणे में भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में वाम विचारकों और कार्यकर्ताओं के खिलाफ पुणे पुलिस की कार्रवाई को लेकर बहस जारी है.

भीमा कोरेगांव मामला: सामने आया यलगार परिषद के भाषण का वीडियो, माओवादी होने के दावों पर सवालिया निशान

यलगार परिषद में भाषण देते जिग्नेश मेवाणी

खास बातें

  • सामने आया यलगार परिषद के भाषण का वीडियो.
  • वीडियो में सभी संविधान बचाने का संकल्प लेते नजर आ रहे हैं.
  • भीमा कोरेगांव हिंसा के लिए पुलिस यलगार परिषद के भाषण को अहम मान रही.
नई दिल्ली:

पुणे में भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में वाम विचारकों और कार्यकर्ताओं के खिलाफ पुणे पुलिस की कार्रवाई को लेकर बहस जारी है. एनडीटीवी द्वारा यलगार परिषद में दिये गये भाषणों के वीडियो की समीक्षा के मुताबिक, पुणे में आयोजित यलगार परिषद में कार्यकर्ताओं और वाम विचारकों ने संविधान बचाने का संकल्प लिया था. पिछले साल दिसंबर के अंत में आयोजित यलगार परिषद की सभा में माओवादी हिंसा की साजिश रचने और भीमा कोरेगांव हिंसा भड़काने का आरोप है. देशभर से कार्यकर्ताओं और वाम विचारकों के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई का आधार यलगार परिषद में दिये गये भाषणों को ही माना जा रहा है.

मोदी सरकार की साजिश-जो खिलाफ बोले, उसे देशद्रोही और हिंदू विरोधी बता दोः शशि थरूर

पुलिस का दावा है कि यलगार परिषद में दिये गये भाषणों ने ही अगले दिन पुणे के पास स्थित भीमा कोरेगांव में हिंसा की आग भड़कने में मदद की. जहां दो जातियों के बीच संघर्ष में एक शख्स की जान चली गई थी. गौरतलब है कि माओवादी साजिश की वजह से भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में और परिषद में कथित भूमिका के आरोप में पिछले चार सालों में पुणे पुलिस ने दस लोगों को गिरफ्तार किया है और 6 राज्यों में 17 जगह छापे मारे गये. 

जब स्वरा भास्कर बोलीं: महात्मा गांधी की हत्या का जश्न मनाने वाले आज सत्ता में हैं, देखें VIDEO
 
मगर इवेंट के फेसबुक पेज पर अपलोड किये गये यलगार परिषद कार्यक्रम के वीडियो की एनडीटीवी द्वारा समीक्षा करने पर कुछ और ही पता चल रहा है. वीडियो के मुताबिक, यलगार परिषद का समापन इस संकल्प से होता है- आज भीमा कोरेगांव में विजय दिवस की 200वीं सालगिरह पर हम संकल्प लेते हैं कि हम लोकतंत्र और संविधान की रक्षा करेंगे. 

यलगार परिषद में मौजूद लोग संकल्प लेते हैं कि हम वैसे संगठन का समर्थन नहीं करेंगे जो संविधान के खिलाफ हैं और जो संविधान का विरोध करते हैं. हम संविधान का विरोध करने वाले आरएसएस और बीजेपी को कभी वोट नहीं देंगे. यह संकल्प वाम कार्यकर्ता हर्षाली पोटदार द्वारा पढ़ा जाता है, जिनका नाम एफआईआर में माओवादी समर्थक के रूप में है. 

कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारियों का मकसद असहमति को कुचलना है : चिदंबरम

इतना ही नहीं, गुजरात से कांग्रेस विधायक जिग्नेश मेवाणी और स्टूडेंट एक्टिविस्ट उमर खालिद के खिलाफ भी यलगार परिषद में भड़काऊ भाषण को लेकर एफआईआर दर्ज है. 20 मिनट लंबे भाषण में मेवाणी और उमर खालिद नरेंद्र मोदी सरकार और आरएसएस को उखाड़ फेंक कर संविधान और लोकतंत्र को बचाने की बात कर रहे हैं. 

तो चलिए जानते हैं कि आखिर वीडियो में जिग्नेश मेवाणी ने क्या-क्या कहा: 
'हम ये कहना चाहते हैं कि गुजरात में तुम्हारे 150 सीटों के घमंड को अगर 99 पर लाकर खड़ा किया है, तो 2019 में भी हरा कर दिखाएंगे. जेल के अंदर साथी चंद्रशेखर लड़ रहे हैं, जेल के बाहर साथी उमर लड़ रहे हैं, किसान और मजदूर लड़ रहे हैं. मुझे उम्मीद है कि अगर हम ये सारे लोग एक बार भी एक हो गये तो 110 फीसदी केस में मोदी जो को उखाड़ फेंकेंगे. इस देश के लोकतंत्र को बचाएंगे, इस देश के संविधान को बचाएंगे. आखिर में सिर्फ इतना ही कहूंगा कि कर्नाटक, मध्य प्रदेश, राजस्थान में भी चुनाव आ रह हैं, सारी संस्थाएं, संगठन और पॉलिटिकल पार्टी को बस यही कहना चाहता हूं कि सारे मतभेद भुलाकर एक मंच पर आएं, चुनाव में कौन जीतेगा इसमें मुझे दिलचस्पी नहीं. बस भाजपा हारना चाहिए, इसमें दिलचस्पी है. इसलिए हारना चाहिए, क्योंकि ये फासीवादी ताकते हैं, ये वो ताकते हैं जो हिटलर और मुसोलनी में की फिलोसफी में यकीन करते हैं. तो एक तरफ वो लोग हैं जो सावरकर और गोवलकर को मानते हैं, दूसरी तरफ हम वो लोग हैं जो सावित्री बाई फुले, भगत सिंह और बाबा साहब अंबेडकर को मानते हैं.'

आखिर उमर खालिद ने अपने भाषण में क्या कहा: 
''जहां तक पुणे और महाराष्ट्र की बात है, तो इस शहर को और इस राज्य को हम आरएसएस के लिए याद नहीं करते हैं, बल्कि छत्रपति शिवाजी के लिए याद करते हैं. इस शहर और राज्य को हम ज्योतिबा फुले के लिए याद करते हैं. इस शहर को और राज्य को सिर्फ जुल्म के इतिहास लिए याद नहीं करते हैं, जुल्म के खिलाफ निडर होकर लड़ने के लिए भी याद करते हैं. सबसे जरूरी अगर किसी के लिए याद करते हैं तो इस राज्य को हम बाबा साहब अंबेडकर के लिए याद करते हैं. इस देश में जाति की परंपरा, ऊंच-नीच की परंपरा, गैर बराबरी की परंपरा, क्या इस देश में मुसलमान लेकर आए थे, मुगल लेकर आए थे. यह एक मनुवादी समस्या है. तो मोदी साहब एक बात आप कान खोलकर सुन लीजिए, चाहे वह मुसलमान हो या वह इसाई हो, वह इस देश के किराएदार नहीं हैं. वह भी इस देश के उतने ही मालिक हैं, जितने कोई हिंदूवादी हों. ये लोग और ताकतें मानवता विरोधी ताकते हैं, जिसके खतरे को समझना जरूरी है. आज के समय में सिर्फ लोकशाही और संविधान को ही नहीं, बल्कि मानवता को भी बचाना है. क्योंकि आज के समय में मानवता भी खतरे में है.'' 

वाम विचारधारा के मैग्जिन के एडिटर और कवि सुधीर धावले ने भाषण में क्या कहा: 
'जब जुल्म हो तो बगावत होनी चाहिए शहर में, और अगर बगावत न हो तो बेहतर हो कि ये रात ढलने से पहले ये शहर जलकर राख हो जाए, ये शहर जल कर राख हो जाए. साथियों ये सत्र का टाइटल ही अपने आप में एक लड़ाई का ऐलान है, जो बोलता है कि ये नवी पेशवाई को हमको श्मशान घाट में दफना देना है. ये दफनाने का जो विषय है इसे समझना है, तो हमें सबसे पहले नवी पेशवाई को समझना होगा. और ये नवी पेशवाई के खिलाफ में जंग का ऐलान करने से पहले नवी पेशवाई को लकर चलने वाले आरएसएस है, आरएसएस से इस देश को मुक्त करना होगा.'

VIDEO: जिस वीडियो से हुई वाम विचारकों की गिरफ्तारी, उसमें उन्होंने क्या बोला था


Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com