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This Article is From Feb 14, 2019

भीमा कोरेगांव मामला : सुप्रीम कोर्ट से आरोपी सुरेंद्र गडलिंग व चार अन्य को राहत नहीं मिली

तय दिनों में चार्जशीट दाखिल न करने पर जमानत के हकदार नहीं, बॉम्बे हाईकोर्ट का आदेश रद्द

भीमा कोरेगांव मामला : सुप्रीम कोर्ट से आरोपी सुरेंद्र गडलिंग व चार अन्य को राहत नहीं मिली
सुप्रीम कोर्ट में भीमा कोरेगांव मामले में सुनवाई हुई.
नई दिल्ली:

भीमा कोरेगांव मामले में सुप्रीम कोर्ट से आरोपी सुरेंद्र गडलिंग व चार अन्य को राहत नहीं दी. तय दिनों में चार्जशीट दाखिल न करने पर बाइडिफाल्ट जमानत के हकदार नहीं होंगे.

वकील सुरेंद्र गाडलिंग, प्रोफेसर शोमा सेन, दलित कार्यकर्ता सुधीर धवले, सामाजिक कार्यकर्ता महेश राउत और केरल की रहने वाली रोना विल्सन को राहत नहीं मिली. महाराष्ट्र सरकार की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया है. कोर्ट ने कहा कि चार्जशीट दाखिल हो चुकी है. वे नियमित जमानत के लिए आवेदन कर सकते हैं. बॉम्बे हाईकोर्ट की 90 दिनों की अतिरिक्त मोहलत को रद्द करने के खिलाफ सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी थी.

इससे पहले अक्टूबर 2018 में पुणे पुलिस को चार्जशीट दाखिल करने के लिए और वक्त मिल गया था जब सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार की अर्जी पर बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी. हाईकोर्ट ने पुणे पुलिस को आरोप पत्र दाखिल करने के लिए 90 दिन की मोहलत देने के निचली अदालत के आदेश को रद्द कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी गडलिंग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. इसके बाद इस मामले में चार्जशीट दाखिल कर दी गई थी.

पहले बॉम्बे हाईकोर्ट ने कोरेगांव-भीमा हिंसा मामले में गिरफ्तार वकील सुरेंद्र गाडलिंग और अन्य आरोपियों के मामले में पुणे पुलिस को तगड़ा झटका दिया था. हाईकोर्ट ने आरोप-पत्र पेश करने के लिए पुलिस को दी गई 90 दिन की अतिरिक्त मोहलत के आदेश को रद्द कर दिया.

हाईकोर्ट की एकल बेंच की जस्टिस मृदुला भाटकर ने कहा कि आरोप-पत्र पेश करने के लिए अतिरिक्त समय देना और गिरफ्तार लोगों की हिरासत अवधि बढ़ाने का निचली कोर्ट का आदेश गैरकानूनी है. हाईकोर्ट के इस आदेश से गाडलिंग और अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं की जमानत पर रिहाई का रास्ता खुल गया, लेकिन राज्य सरकार के अनुरोध पर जस्टिस भाटकर ने अपने आदेश पर स्टे लगाते हुए इस पर सुप्रीम कोर्ट में अपील करने के लिए राज्य सरकार को एक नवंबर तक का समय दिया.  

इसके बाद महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी. पुणे पुलिस ने कोरेगांव-भीमा गांव में 31 दिसंबर 2017 और एक जनवरी 2018 को हुई हिंसा में 6 जून 2018 को गिरफ्तार किया था.

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