मतदान केंद्र के बाहर कर्नाटक के सूचना मंत्री रोशन बेग
बेंगलुरु: बेंगलुरु के 198 में से 197 वार्ड्स में शनिवार को मतदान हुआ लेकिन अबतक के आंकड़ों से पता चलता है कि तक़रीबन 45 फीसदी मतदान ही हुआ। यानी आधे से भी कम, वो भी उस ख़ास मुहिम के बाद जो सरकार, चुनाव आयोग और किरण मजूमदार शॉ जैसे प्रबुद्ध नागरिकों ने चलाई।
तक़रीबन एक शताबदी पुरानी बृहत् बेंगलुरु महानगर पालिका में जहां बीजेपी पिछले पांच सालों से काबिज़ थी वहां ढाई-ढाई साल बीजेपी और कांग्रेस की सरकार राज्य में रही। शहर में गन्दगी काफी बढ़ी और पानी की कमी और बदहाल सड़कों की वजह से भड़के मतदाताओं ने शायद अपने आपको मतदान से दूर रखकर राजनीतिक पार्टियों को सांकेतिक चेतवानी दी है कि अगर वो ठीक से काम नहीं करेंगे तो मतदाताओं की नाराज़गी उन्हें झेलनी पड़ेगी।
होंगसन्द्रा यानी वार्ड नंबर 189 से बीजेपी की 45 वर्षीय भारती रामाचंद्रा निर्विरोध चुनी गयी थी। इसलिए यहां चुनाव नहीं हुए। लगभग 74 लाख वोटर्स वाले इस शहर में चुनाव सुबह सात बजे शुरू हुआ और शाम 5 बजे ख़त्म।
2011 के जनगणना के आधार पर परिसीमन के बाद 198 में से आधे यानी 99 वार्ड्स महिलाओं के लिए सुरक्षित घोषित किये गए।
पिछले चुनाव 2010 में हुए थे, बीजीपी का तब शासन था और 198 में से बीजेपी ने 116 सीटें जीती थी, जबकि कांग्रेस 62 और जेडीएस 14 और निर्दलीय उम्मीदवारों को 8 सीटें मिली थी।
इस साल कांग्रेस की सरकार है। बीजेपी ने अपने वर्चस्व को बनाये रखने की जीतोड़ कोशिश की है जबकि कांग्रेस बीजेपी से आगे निकलने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है। लोकसत्ता के पढ़े लिखे प्रोफेशनल्स भी उम्मीद लगाए बैठे हैं और इन सबके बीच जेडीएस और कांग्रेस की सिरदर्दी असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एमआईएम बढ़ा रही है। 25 अगस्त को इन चुनावों के नतीजे आएंगे।