पश्चिम बंगाल के इस गांव में कभी सांप्रदायिक हिंसा नहीं हुई थी.
कोलकाता:
पश्चिम बंगाल का बशीहाट इन दिनों दंगों की आंच झेल रहा है. पिछले एक सप्ताह से पश्चिम बंगाल के कुछ जिलों में सांप्रदायिक हिंसा की खबरें आ रही है. माघुरखली में हिंदुओं और मुसलमानों का कहना है कि उनकी याददाश्त में गांव के सभी लोग मिलजुलकर रह रहे हैं. 24 परगना जिले के भादुरिया ब्लॉग के इस छोटे से गांव में लोगों ने सांप्रदायिक हिंसा के बारे में नहीं सुना था. लेकिन पिछले रविवार की रात को, स्थानीय लोगों ने कहा कि गांव में मोटरसाइकिलों पर बाहर से कुछ उग्र लोग आए.
(फोटो : दाहिने हैं शाहजहां मंडल )
स्थानीय लोगों का कहना है कि कितने लोग आए, इस बारे में अभी तक कुछ भी साफ नहीं कहा जा सकता. शाहजहां मंडल ने कहा कि जब हमने उन्हें आते हुए देखा हममें से अधिकतर लोग घर के भीतर भाग गए. गांव वालों ने कहा कि ये लोग 17 साल के उस लड़के के पीछे आए थे जिसने पैगम्बर मोहम्मद के खिलाफ फेसबुक में पोस्ट डाली थी. इसी के दो दिन बाद बशीरहाट में हिंसा हुई जिसमें एक की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए. आगजनी और दंगों की बदौलत स्थानीय प्रशासन ने यहां पर लोगों के इकट्ठा होने पर रोक लगा दी.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जिन पर अल्पसंख्यकों के तुष्टिकरण और दंगों को काबू न कर पाने के आरोप लगते हैं, ने खुद यह आरोप लगाया कि सांप्रदायिकता फैलानी वाले उपद्रवी पड़ोसी दे बांग्लादेश से आए. इसी के साथ ममता बनर्जी ने केंद्र, बीजेपी और आरएसएस पर भी मौके को राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है.
माघुरखली के रहने वाले अधिकतर लोगों का कहना है कि बाहर से आए लोगों ने उस नाबालिग के अंकल के घर पर आग लगाई. कुछ ने कहा कि अगर स्थानीय लोग मौजूद भी थे तो उन्होंने हिंसा में हिस्सा नहीं लिया. कुछ लोगों ने यह भी कहा कि उन्होंने घर में आग लगाने वालों को रोकने की कोशिश की थी, लेकिन वह ज्यादा कुछ कर नहीं पाए क्योंकि उपद्रवियों की संख्या काफी अधिक थी. उग्र लोगों के जाने के बाद गांव वालों ने ही आग बुझाने में मदद की. इसमें वह मुस्लिम भी शामिल थे जो पास की मस्जिद से ही आए थे. यहां तक इसके बाद उस नाबालिग की खोज की गई ताकि वह सुरक्षित रहे.
स्थानीय निवासी शाहजहां मंडल ने कहा कि पुलिस घर की सुरक्षा के लिए तैनात की गई थी. जब उपद्रवी आए तब वह खुद भाग गए. अमीरुल भाई ने कहा कि मस्जिद से आए एक साथी ने कही जल्दी आग पर काबू पाने के लिए आवाजें लगाई. दगकल विभाग की गाड़ी भी कुछ समय बाद आई थी.
(फोटो : जिबन हलधर)
दूसरे नागरिक जिबन हलधर ने कहा कि हमें सांप्रदायिक तनाव नहीं चाहिए. हम उनके त्योहारों में उनके घर जाते हैं और दुर्गा पूजा में वे हमारे घर आते हैं. हम सालों से इसी तरह रह रहे हैं.
(फोटो : रंजीत मंडल)
एक अन्य स्थानीय नागरिक रंजीत मंडल ने कहा कि वह इस हिंसा में फंस गया था लेकिन उसे उसके एक मुस्लिम सहपाठी ने बचाया.
(फोटो : मौलाना यासिन साहेब)
गांव की मस्जिद के मौलाना यासिन साहेब ने कहा कि पुलिस को इस पूरे मामले में सक्रियता दिखानी चाहिए थे. अगर वह यह पहले ही लोगों को बता देती कि आरोपी लड़के को गिरफ्तार कर लिया गया है, तो यह सब नहीं होता. प्रशासन को भीड़ को काबू में रखने के लिए कदम उठाने चाहिए थे.
स्थानीय हिंदू अभी भी डरे हुए हैं. उन्होंने पुलिस और प्रशासन पर निराशा व्यक्त की और दोनों ही उनके घरों में आग लगा रहे उपद्रवियों को काबू नहीं कर पाए.
गांव वालों का मानना है कि जल्द ही सबकुछ सामान्य हो जाएगा. अब इस बात का ध्यान रखा जाएगा कि बाहरी लोग गांव में न आने पाएं और ऐसी हरगत न करने पाएं.
(फोटो : दाहिने हैं शाहजहां मंडल )
स्थानीय लोगों का कहना है कि कितने लोग आए, इस बारे में अभी तक कुछ भी साफ नहीं कहा जा सकता. शाहजहां मंडल ने कहा कि जब हमने उन्हें आते हुए देखा हममें से अधिकतर लोग घर के भीतर भाग गए. गांव वालों ने कहा कि ये लोग 17 साल के उस लड़के के पीछे आए थे जिसने पैगम्बर मोहम्मद के खिलाफ फेसबुक में पोस्ट डाली थी. इसी के दो दिन बाद बशीरहाट में हिंसा हुई जिसमें एक की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए. आगजनी और दंगों की बदौलत स्थानीय प्रशासन ने यहां पर लोगों के इकट्ठा होने पर रोक लगा दी.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जिन पर अल्पसंख्यकों के तुष्टिकरण और दंगों को काबू न कर पाने के आरोप लगते हैं, ने खुद यह आरोप लगाया कि सांप्रदायिकता फैलानी वाले उपद्रवी पड़ोसी दे बांग्लादेश से आए. इसी के साथ ममता बनर्जी ने केंद्र, बीजेपी और आरएसएस पर भी मौके को राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है.
माघुरखली के रहने वाले अधिकतर लोगों का कहना है कि बाहर से आए लोगों ने उस नाबालिग के अंकल के घर पर आग लगाई. कुछ ने कहा कि अगर स्थानीय लोग मौजूद भी थे तो उन्होंने हिंसा में हिस्सा नहीं लिया. कुछ लोगों ने यह भी कहा कि उन्होंने घर में आग लगाने वालों को रोकने की कोशिश की थी, लेकिन वह ज्यादा कुछ कर नहीं पाए क्योंकि उपद्रवियों की संख्या काफी अधिक थी. उग्र लोगों के जाने के बाद गांव वालों ने ही आग बुझाने में मदद की. इसमें वह मुस्लिम भी शामिल थे जो पास की मस्जिद से ही आए थे. यहां तक इसके बाद उस नाबालिग की खोज की गई ताकि वह सुरक्षित रहे.
स्थानीय निवासी शाहजहां मंडल ने कहा कि पुलिस घर की सुरक्षा के लिए तैनात की गई थी. जब उपद्रवी आए तब वह खुद भाग गए. अमीरुल भाई ने कहा कि मस्जिद से आए एक साथी ने कही जल्दी आग पर काबू पाने के लिए आवाजें लगाई. दगकल विभाग की गाड़ी भी कुछ समय बाद आई थी.
(फोटो : जिबन हलधर)
दूसरे नागरिक जिबन हलधर ने कहा कि हमें सांप्रदायिक तनाव नहीं चाहिए. हम उनके त्योहारों में उनके घर जाते हैं और दुर्गा पूजा में वे हमारे घर आते हैं. हम सालों से इसी तरह रह रहे हैं.
(फोटो : रंजीत मंडल)
एक अन्य स्थानीय नागरिक रंजीत मंडल ने कहा कि वह इस हिंसा में फंस गया था लेकिन उसे उसके एक मुस्लिम सहपाठी ने बचाया.
(फोटो : मौलाना यासिन साहेब)
गांव की मस्जिद के मौलाना यासिन साहेब ने कहा कि पुलिस को इस पूरे मामले में सक्रियता दिखानी चाहिए थे. अगर वह यह पहले ही लोगों को बता देती कि आरोपी लड़के को गिरफ्तार कर लिया गया है, तो यह सब नहीं होता. प्रशासन को भीड़ को काबू में रखने के लिए कदम उठाने चाहिए थे.
स्थानीय हिंदू अभी भी डरे हुए हैं. उन्होंने पुलिस और प्रशासन पर निराशा व्यक्त की और दोनों ही उनके घरों में आग लगा रहे उपद्रवियों को काबू नहीं कर पाए.
गांव वालों का मानना है कि जल्द ही सबकुछ सामान्य हो जाएगा. अब इस बात का ध्यान रखा जाएगा कि बाहरी लोग गांव में न आने पाएं और ऐसी हरगत न करने पाएं.
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