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This Article is From Dec 22, 2015

यूपी के चुनाव से पहले अयोध्या में मंदिर-मस्जिद के पत्थरों की सियासत

यूपी के चुनाव से पहले अयोध्या में मंदिर-मस्जिद के पत्थरों की सियासत
प्रतीकात्मक फोटो
लखनऊ: अयोध्या विवाद में मस्जिद के पैरोकारों ने कहा है कि अगर विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) मंदिर के नाम पर इसी तरह पत्थर तराशने का नाटक करता रहा तो वे भी वहां मस्जिद के लिए पत्थर तराशना शुरू कर देंगे। उधर, सीएम अखिलेश यादव ने प्रिंसिपल सचिव (गृह) से पूरे मामले में जांच रिपोर्ट मांगी है और कहा है कि अयोध्या में अमन है और कायम रहेगा।

आठ साल बाद विहिप ने फिर मंगाए पत्थर
अयोध्या में वीएचपी की मंदिर निर्माण कार्यशाला में 8 साल बाद फिर पत्थर मंगाए गए, शिला पूजन हुआ और उसका प्रचार भी। वीएचपी का दावा है कि राम मंदिर की पहली मंजिल बनाने भर के पत्थर तराशे जा चुके हैं। अब दूसरी मंजिल की तैयारी है। मस्जिद के पैरोकार कहते हैं कि इसका मकसद प्रचार करना और लोगों को उकसाना है।

...तो मुस्लिम भी पत्थर तराशने लगेंगे
मुकदमे में मस्जिद के पैरोकार हाजी महमूद का कहना है कि अयोध्या का मुसलमान या हिन्दू यह समझ चुका है कि यह जो हो रहा है, यह नाटक है। इसका कोई मतलब नहीं है। केवल दुकान खोलकर बैठे हैं। बस एक पत्थर आ गया, आ जाने दीजिए। कल अगर यही होगा कि मैं भी पत्थर मंगवाना शुरू करूंगा। मैं भी एक कार्यालय खोलकर मस्जिद के पत्थर तराशना शुरू करूंगा। जिसके हक में फैसला आएगा वही अपना बनाएगा।

वहीं, विहिप का कहना है कि यहां पर 1990 से मंदिर बनाने के लिए पत्थर तराशे जा रहे हैं। यह मंदिर 268 फीट लंबा, 140 फीट चौड़ा, और 128 फीट ऊंचा होगा। इसकी पहली मंजिल 18 फीट ऊंची होगी और इसमें 106 पिलर होंगे। दूसरी मंजिल 16 फीट ऊंची होगी और उसमें भी 106 पिलर होंगे। बताया जा रहा है कि हर पिलर में 16 मूर्तियां होंगी।

वीएचपी ने कहा, कोई नया काम नहीं कर रही
विहिप का यह भी कहना है कि वह वहां पर कोई नया काम नहीं कर रही है। लेकिन सरकार वीएचपी की गतिविधियों से चौकन्नी हो गई है। लोकसभा चुनाव से पहले वीएचपी ने अयोध्या में अचानक 84 कोसी परिक्रमा का ऐलान कर दिया था जिसे सरकार से टकराव के हालात बने थे। राज्य के पीडब्लूडी मंत्री शिवपाल यादव ने कहा, वहां पर कोर्ट का स्टे है। न किसी को वहां पर पत्थर रखने का अधिकार है न हटाने का। मुख्यमंत्री जी ने प्रमुख सचिव से पूरी रिपोर्ट वहां से मांग ली है। अब जो भी इस तरह की बात करेगा उस पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

विवादित स्थल पर कील ठोकने की भी इजाजत नहीं
बता दें कि झगड़े वाली जगह पर 67 एकड़ जमीन सरकार ने 1993 में कब्जे में ले ली थी, जहां पर सुप्रीम कोर्ट की इजाजत के बिना एक कील भी नहीं गाड़ी जा सकती। लेकिन वीएचपी को उसकी निजी जमीन पर मंदिर के लिए पत्थर तराशने पर रोक नहीं है। वीएचपी कहती है कि कि वह पत्थर इसलिए तराश रही है ताकि उसके हक में फैसला हो तो वह फौरन मंदिर बना दे। लेकिन उसके विरोधी इसे सियासत ज्यादा मानते हैं।

सियासत के लिए धोखा
मंदिर के पैरोकार हरदयाल मिश्रा का कहना है कि यह जान रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट किसी भी हालत में वहां पर मंदिर बनाने की इजाजत नहीं दे सकता, फिर भी ऐसा दिखाकर पूरी जनता के साथ यह धोखा है और धोखे के अलावा कुछ नहीं है। अयोध्या का विवाद जितना धार्मिक है उससे ज्यादा राजनीतिक है। चूंकि 2017 में राज्य में चुनाव होने हैं, ऐसे में इससे पहले इस मुद्दे पर काफी सियासत होने का अंदेशा है।

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