दिल्ली के स्कूल में अगर आपको अपने बच्चे का नर्सरी में दाखिला कराना है, तो पहले अंडा और अल्कोहल छोड़िए.. नेशनल या स्टेट लेवल का कोई अवार्ड लाइए। यह नहीं कर सकते हैं तो स्कूल के बस रूट पर मकान लीजिए या स्कूल को ये बताइये कि आप स्कूल के विकास में कैसे और कितना योगदान देंगे।
जी हां.. एल्यूमनी या सिबलिंग के प्वाइंट के अलावा इस तरह की अजीबोगरीब शर्त पर बहुत सारे स्कूल प्वाइंट बांट रहे हैं। यही वजह है कि जिनका घर मनचाहे स्कूल के नजदीक है उन्हें कोई फायदा नहीं मिल पा रहा है।
दिल्ली विश्वविद्यालय में असिटेंट प्रोफेसर पूनम शर्मा ने बायो टेक्नॉलॉजी में डॉक्टरेट किया है। दिल्ली से लेकर स्विट्जरलैंड में पढ़ाई करने के बावजूद दाखिले के लिए इतनी मारा मारी नहीं झेली, जितना अपने बच्चे के नर्सरी दाखिले के लिए इस वक्त वह झेल रही है।
वह वसंतकुंज के ई ब्लॉक में रहती हैं। दिल्ली के एक नामी स्कूल से महज आधे किलोमीटर की दूरी पर है, लेकिन स्कूल उन्हें केवल 25 प्वाइंट ही दे रहा है। स्कूल का कहना है कि वह बस रूट के बच्चों को ज्यादा प्वाइंट देगा, चाहे वह स्कूल से दूर ही क्यों ना हों।
शिक्षा विभाग ने प्राइवेट स्कूलों की शिकायत के लिए कोई कमेटी भी नहीं बनाई है। लिहाजा पूनम शर्मा जैसे पैरेंट्स अपनी शिकायत किसके पास लेकर जाए।
दिल्ली हाईकोर्ट ने इस साल प्राइवेट स्कूल को दाखिले की गाइडलाइंस खुद बनाने की छूट क्या दी, बहुत सारे स्कूल अजीबोगरीब शर्तें पैरंट्स पर थोप रहे हैं। हालांकि दिल्ली शिक्षा विभाग अब हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रहा है लेकिन कोर्ट जनवरी में खुलेगा, तब तक बहुत सारे स्कूल दाखिले की प्रक्रिया खत्म कर चुके होंगे।
यही नहीं इस तरह के पैरंट्स को प्राइवेट स्कूल की खुद की कमेटी के रहमोकरम पर छोड़ दिया गया है। नर्सरी एडमिशन डॉटकॉम के संस्थापक सुमित वोहरा कहते हैं कि 2008 के बाद यह पहली दफा है कि पैरंट्स को बहुत परेशान होना पड़ रहा है, क्योंकि दिल्ली के स्कूलों में दाखिले की कोई फिक्स तारीख नहीं निकाली गई है।
यही नहीं शिक्षा विभाग भी पैरंट्स की परेशानी सुनने को तैयार नहीं। इसके चलते कुछ स्कूल दाखिला फार्म के मानमाने पैसे वसूल रहे हैं, तो कुछ ऐसी शर्त थोप रहे हैं जो पूरी कर पाना लगभग असंभव है।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं