शरद पवार और अरुण जेटली (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
नेताओं का खेलों से बड़ा पुराना रिश्ता रहा है, चाहे वह किसी भी तरह का खेल क्यों न हो। क्रिकेट से तो उनका खासा लगाव है। भारतीय क्रिकेट संघ पर तो सरकार का कोई कंट्रोल ही नहीं है। वर्ल्ड कप में खेलने वाली टीम इंडिया दरअसल भारत की टीम नहीं भारतीय बोर्ड की टीम कहलाती है।
जाहिर है दुनिया के सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड पर कब्जा करना के लिए देश के रईस और नेता न जाने क्या-क्या खेल खेलते रहे हैं। करीब 700 करोड़ से अधिक की संपत्ति वाले बोर्ड पर कौन अपना कब्जा नहीं चाहेगा। यही वजह है कि श्रीनिवासन को सुप्रीम कोर्ट की दखल के बाद हटना पड़ा।
बहुत कुछ... जो सिर्फ भारत में संभव
क्रिकेट में फैले भ्रष्टाचार पर सुप्रीम कोर्ट को जस्टिस लोढा के नेतृत्व में एक अलग से कमेटी बनानी पड़ी जिसकी रिपोर्ट के बाद आईपीएल की दो टीमों को रद्द कर दिया गया। यह केवल भारत में ही हो सकता है कि कोई बोर्ड का अध्यक्ष भी रहे और आईपीएल टीम का मालिक भी..! कोई मुंबई टीम का सपोर्ट स्टाफ भी रहे और बीसीसीआई की किसी कमेटी में भी हो...! यह यहीं संभव है कि आप भारतीय बोर्ड के चयनकर्त्ता हों और आपका बेटा टीम में हो। यहीं यह संभव है कि आप सालों तक किसी संघ के अध्यक्ष बने रह सकते हैं। अब देश के अलग-अलग क्रिकेट संघों को देखें तो आईपीएल का एक पूर्व कमिश्नर देश छोड़कर भागा है और अब उसे राजस्थान संघ का अध्यक्ष भी बना दिया गया है।
अंदर से मिले सबके हाथ
राज्यों के क्रिकेट संघों पर नजर डालें तो गुजरात पर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह, मुंबई पर एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार, मध्य प्रदेश पर कांग्रेस के ज्योतिरादित्य सिंधिया, हिमाचल पर बीजेपी के अनुराग ठाकुर,ओडिशा पर कांग्रेस के रंजीब विस्वाल, हरियाणा पर बंसीलाल के पोते अनिरुद्ध चौधरी, जम्मू-कश्मीर पर पीडीपी के इमरान रजा अंसारी काबिज हैं। यही नहीं कांग्रेस सांसद राजीव शुक्ला बीसीसीआई के उपाध्यक्ष हैं और आईपीएल के गर्वनर भी हैं। यानि क्रिकेट में सबके हाथ अंदर से मिले हुए हैं।
क्रिकेट को कंट्रोल करने वाले बड़े नाम
बीसीसीआई के चुनाव कुछ ऐसे अंदाज में लड़े जाते हैं कि शरद पवार को अपने 50 साल के राजनैतिक जीवन में एक ही चुनाव में हार का सामना करना पड़ा, वह था कोलकाता में हुआ बीसीसीआई का चुनाव। यहां पार्ट मायने नहीं रखता, यहां मायने रखता है ओहदा, रसूख और अपना हित। यह भी सच्चाई है कि भारतीय क्रिकेट के अधिकारियों में शरद पवार और अरुण जेटली दो सबसे बड़े नाम हैं जो भारतीय क्रिकेट को कंट्रोल करते हैं।
सिस्टम सुधारने के लिए सफाई अभियान
यह एक सच्चाई है कि भारतीय बोर्ड दुनिया का सबसे अमीर बोर्ड होने के अलावा प्रशासनिक रूप से काफी अच्छा काम कर रहा है, मगर यह भी सच्चाई है कि इसी बोर्ड के एक टूर्नामेंट में मैच फिक्सिंग के आरोप भी लगे हैं। तमाम मैच फिक्सिंग और कुछ युवा खिलाड़ियों के इसमें शामिल होने की खबरों के वावजूद करोड़ों लोग इस खेल को पसंद करते हैं। लाखों युवा सचिन, धोनी और विराट बनना चाहते हैं, इसलिए इस पूरे सिस्टम की सफाई करने की जरूरत है। मौजूदा अध्यक्ष शशांक मनोहर ने बीसीसीआई में सफाई अभियान शुरू भी कर दिया है। देखते हैं उन्हें कितनी सफलता मिलती है।
जाहिर है दुनिया के सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड पर कब्जा करना के लिए देश के रईस और नेता न जाने क्या-क्या खेल खेलते रहे हैं। करीब 700 करोड़ से अधिक की संपत्ति वाले बोर्ड पर कौन अपना कब्जा नहीं चाहेगा। यही वजह है कि श्रीनिवासन को सुप्रीम कोर्ट की दखल के बाद हटना पड़ा।
बहुत कुछ... जो सिर्फ भारत में संभव
क्रिकेट में फैले भ्रष्टाचार पर सुप्रीम कोर्ट को जस्टिस लोढा के नेतृत्व में एक अलग से कमेटी बनानी पड़ी जिसकी रिपोर्ट के बाद आईपीएल की दो टीमों को रद्द कर दिया गया। यह केवल भारत में ही हो सकता है कि कोई बोर्ड का अध्यक्ष भी रहे और आईपीएल टीम का मालिक भी..! कोई मुंबई टीम का सपोर्ट स्टाफ भी रहे और बीसीसीआई की किसी कमेटी में भी हो...! यह यहीं संभव है कि आप भारतीय बोर्ड के चयनकर्त्ता हों और आपका बेटा टीम में हो। यहीं यह संभव है कि आप सालों तक किसी संघ के अध्यक्ष बने रह सकते हैं। अब देश के अलग-अलग क्रिकेट संघों को देखें तो आईपीएल का एक पूर्व कमिश्नर देश छोड़कर भागा है और अब उसे राजस्थान संघ का अध्यक्ष भी बना दिया गया है।
अंदर से मिले सबके हाथ
राज्यों के क्रिकेट संघों पर नजर डालें तो गुजरात पर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह, मुंबई पर एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार, मध्य प्रदेश पर कांग्रेस के ज्योतिरादित्य सिंधिया, हिमाचल पर बीजेपी के अनुराग ठाकुर,ओडिशा पर कांग्रेस के रंजीब विस्वाल, हरियाणा पर बंसीलाल के पोते अनिरुद्ध चौधरी, जम्मू-कश्मीर पर पीडीपी के इमरान रजा अंसारी काबिज हैं। यही नहीं कांग्रेस सांसद राजीव शुक्ला बीसीसीआई के उपाध्यक्ष हैं और आईपीएल के गर्वनर भी हैं। यानि क्रिकेट में सबके हाथ अंदर से मिले हुए हैं।
क्रिकेट को कंट्रोल करने वाले बड़े नाम
बीसीसीआई के चुनाव कुछ ऐसे अंदाज में लड़े जाते हैं कि शरद पवार को अपने 50 साल के राजनैतिक जीवन में एक ही चुनाव में हार का सामना करना पड़ा, वह था कोलकाता में हुआ बीसीसीआई का चुनाव। यहां पार्ट मायने नहीं रखता, यहां मायने रखता है ओहदा, रसूख और अपना हित। यह भी सच्चाई है कि भारतीय क्रिकेट के अधिकारियों में शरद पवार और अरुण जेटली दो सबसे बड़े नाम हैं जो भारतीय क्रिकेट को कंट्रोल करते हैं।
सिस्टम सुधारने के लिए सफाई अभियान
यह एक सच्चाई है कि भारतीय बोर्ड दुनिया का सबसे अमीर बोर्ड होने के अलावा प्रशासनिक रूप से काफी अच्छा काम कर रहा है, मगर यह भी सच्चाई है कि इसी बोर्ड के एक टूर्नामेंट में मैच फिक्सिंग के आरोप भी लगे हैं। तमाम मैच फिक्सिंग और कुछ युवा खिलाड़ियों के इसमें शामिल होने की खबरों के वावजूद करोड़ों लोग इस खेल को पसंद करते हैं। लाखों युवा सचिन, धोनी और विराट बनना चाहते हैं, इसलिए इस पूरे सिस्टम की सफाई करने की जरूरत है। मौजूदा अध्यक्ष शशांक मनोहर ने बीसीसीआई में सफाई अभियान शुरू भी कर दिया है। देखते हैं उन्हें कितनी सफलता मिलती है।
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