कश्मीर में तैनात सुरक्षाकर्मी. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
कश्मीर में पैलेट गन पर रोक की याचिका पर सुनवाई सुप्रीम कोर्ट ने टाल दी है. अब छुट्टियों के बाद सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट बार एसोसिशन को कहा कि वो कश्मीर मुद्दे पर हल सोचकर कोर्ट को बताएं.
वहीं, इस मामले में नया मोड आ गया है. हाईकोर्ट की बार एसोसिएशन की जम्मू विंग भी पहुंची है. बार ने कोर्ट में कहा कि अलगाववादियों से बात नहीं होनी चाहिए. कोर्ट ने कहा कि उनकी बात भी सुनी जाएगी.
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि कश्मीर में शांति बनाने के लिए सरकार और लोगों में बातचीत होनी चाहिए. लेकिन इसके लिए पहले सुरक्षा बलों पर पथराव प्रदर्शन रुकने चाहिए. अगर इसी तरह दोनों पक्षों में टकराव होगा तो बातचीत कैसे होगी. हम सरकार को दो हफ्ते के लिए पैलेट गन के इस्तेमाल पर रोक लगाने के आदेश देंगे और अगर वहां के लोग हिंसक प्रदर्शन बंद कर बातचीत करने का आश्वासन देंगे.
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट बार एेसोसिएशन से कहा था कि वो कश्मीर के लोगों और प्रतिनिधियों से बातचीत कर कंक्रीट सुझाव लेकर सुप्रीम कोर्ट आएं. सुप्रीम कोर्ट ने एजी मुकुल रोहतगी से कहा कि वह याचिकाकर्ता को लोगों और हिरासत में मौजूद नेताओं को भी बातचीत में शामिल करे अगर कानून इजाजत देता है तो. कोर्ट ने याचिकाकर्ता को कहा कि कश्मीर में शांति के प्रयास के लिए ये पहला कदम है कि बातचीत शुरू की जाए.
वहीं केंद्र सरकार की ओर से इसका विरोध करते हुए AG मुकुल रोहतगी ने कहा था कि कश्मीर मुद्दे पर बातचीत होगी तो राजनीतिक स्तर पर. सुप्रीम कोर्ट इस मामले में डायलाग यानी बातचीत के लिए नहीं कह सकता. याचिकाकर्ता चाहते हैं कि अलगावादियों को बातचीत में शामिल किया जाए लेकिन कानून इसकी इजाजत नहीं देता. प्रधानमंत्री ने इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री से बातचीत की है.
वहीं याचिकाकर्ता का कहना था कि कश्मीर से अगर सुरक्षा बलों को हटाया जाए और पैलेट गन के इस्तेमाल पर रोक लगाएं तो शांति के लिए बातचीत हो सकती है. पहले सीज फायर होना चाहिए. मामले में पाकिस्तान से बातचीत होनी चाहिए.
दरअसल जम्मू कश्मीर में प्रदर्शनकारियों पर पैलेट गन के इस्तेमाल पर रोक लगाने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने भी सवाल उठाया कि प्रदर्शनकारियों में 9,11, 13, 15 और 17 साल के बच्चे और नौजवान क्यों शामिल हैं?
रिपोर्ट के मुताबिक जख्मी लोगों में 40-50-60 साल के लोग नहीं हैं खासकर 95 फीसदी जख्मी छात्र हैं. इससे पता लगता है कि बडी उम्र 28 साल हैं. कोर्ट ने कहा था कि कश्मीर के हालात चिंताजनक हैं. हम एक गंभीर मुद्दे पर सुनवाई कर रहे हैं वहीं केंद्र ने कहा कि पैलेट गन का इस्तेमाल आखिरी विकल्प पर तौर पर किया जा रहा है किसी को मारना सुरक्षा बलों का उद्देश्य नहीं है. कल कश्मीर में उपचुनाव के दौरान बडे पैमाने पर हिंसा हुईये कोई आम प्रदर्शनकारी नहीं है जिनपर आसानी से काबू पा लिया जाए .
प्रदर्शनकारियों से निपटने के लिए नया SOP बनाया गया है. वो पैलेट गन के अलावा किसी दूसरे विकल्प पर भी विचार कर रहा है. लेकिन याचिकाकर्ता की दलील है कि ये बच्चे और नौजवान प्रर्दशनकारी नहीं बल्कि देखने वाले होते हैं. सुरक्षा बल जब फायरिंग करते हैं या पैलेट गन चलाते हैं तो वो भी चपेट में आ जाते हैं. जो केंद्र ने हालात बताए वो सही नहीं हैं. कश्मीर में नागरिकों से युद्ध के हालात नहीं होने चाहिए.
वहीं, इस मामले में नया मोड आ गया है. हाईकोर्ट की बार एसोसिएशन की जम्मू विंग भी पहुंची है. बार ने कोर्ट में कहा कि अलगाववादियों से बात नहीं होनी चाहिए. कोर्ट ने कहा कि उनकी बात भी सुनी जाएगी.
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि कश्मीर में शांति बनाने के लिए सरकार और लोगों में बातचीत होनी चाहिए. लेकिन इसके लिए पहले सुरक्षा बलों पर पथराव प्रदर्शन रुकने चाहिए. अगर इसी तरह दोनों पक्षों में टकराव होगा तो बातचीत कैसे होगी. हम सरकार को दो हफ्ते के लिए पैलेट गन के इस्तेमाल पर रोक लगाने के आदेश देंगे और अगर वहां के लोग हिंसक प्रदर्शन बंद कर बातचीत करने का आश्वासन देंगे.
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट बार एेसोसिएशन से कहा था कि वो कश्मीर के लोगों और प्रतिनिधियों से बातचीत कर कंक्रीट सुझाव लेकर सुप्रीम कोर्ट आएं. सुप्रीम कोर्ट ने एजी मुकुल रोहतगी से कहा कि वह याचिकाकर्ता को लोगों और हिरासत में मौजूद नेताओं को भी बातचीत में शामिल करे अगर कानून इजाजत देता है तो. कोर्ट ने याचिकाकर्ता को कहा कि कश्मीर में शांति के प्रयास के लिए ये पहला कदम है कि बातचीत शुरू की जाए.
वहीं केंद्र सरकार की ओर से इसका विरोध करते हुए AG मुकुल रोहतगी ने कहा था कि कश्मीर मुद्दे पर बातचीत होगी तो राजनीतिक स्तर पर. सुप्रीम कोर्ट इस मामले में डायलाग यानी बातचीत के लिए नहीं कह सकता. याचिकाकर्ता चाहते हैं कि अलगावादियों को बातचीत में शामिल किया जाए लेकिन कानून इसकी इजाजत नहीं देता. प्रधानमंत्री ने इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री से बातचीत की है.
वहीं याचिकाकर्ता का कहना था कि कश्मीर से अगर सुरक्षा बलों को हटाया जाए और पैलेट गन के इस्तेमाल पर रोक लगाएं तो शांति के लिए बातचीत हो सकती है. पहले सीज फायर होना चाहिए. मामले में पाकिस्तान से बातचीत होनी चाहिए.
दरअसल जम्मू कश्मीर में प्रदर्शनकारियों पर पैलेट गन के इस्तेमाल पर रोक लगाने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने भी सवाल उठाया कि प्रदर्शनकारियों में 9,11, 13, 15 और 17 साल के बच्चे और नौजवान क्यों शामिल हैं?
रिपोर्ट के मुताबिक जख्मी लोगों में 40-50-60 साल के लोग नहीं हैं खासकर 95 फीसदी जख्मी छात्र हैं. इससे पता लगता है कि बडी उम्र 28 साल हैं. कोर्ट ने कहा था कि कश्मीर के हालात चिंताजनक हैं. हम एक गंभीर मुद्दे पर सुनवाई कर रहे हैं वहीं केंद्र ने कहा कि पैलेट गन का इस्तेमाल आखिरी विकल्प पर तौर पर किया जा रहा है किसी को मारना सुरक्षा बलों का उद्देश्य नहीं है. कल कश्मीर में उपचुनाव के दौरान बडे पैमाने पर हिंसा हुईये कोई आम प्रदर्शनकारी नहीं है जिनपर आसानी से काबू पा लिया जाए .
प्रदर्शनकारियों से निपटने के लिए नया SOP बनाया गया है. वो पैलेट गन के अलावा किसी दूसरे विकल्प पर भी विचार कर रहा है. लेकिन याचिकाकर्ता की दलील है कि ये बच्चे और नौजवान प्रर्दशनकारी नहीं बल्कि देखने वाले होते हैं. सुरक्षा बल जब फायरिंग करते हैं या पैलेट गन चलाते हैं तो वो भी चपेट में आ जाते हैं. जो केंद्र ने हालात बताए वो सही नहीं हैं. कश्मीर में नागरिकों से युद्ध के हालात नहीं होने चाहिए.
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