 
                                             
                                                                                                                            पशु अधिकारों की पैरवी करने वाले कार्यकर्ताओं ने 'जल्लीकट्टू' को निर्दयतापूर्ण बताया है
                                                                                
                                    
                                        
                                        
                                                                                चेन्नई: 
                                        केंद्र सरकार ने लोकप्रिय लेकिन विवादास्पद बुल रनिंग फेस्टिवल 'जल्लीकट्टू' पर से प्रतिबंध हटा लिया है। पशु अधिकारों की पैरवी करने वालों ने इस खेल को निर्दयतापूर्ण बताते हुए इसका विरोध किया था।
एक सरकारी आदेश में कहा गया है कि यह प्रतियोगिता तमिलनाडु में हर वर्ष जनवरी में आयोजित की जाती है। इसे वर्ष 2016 में जारी रखने की इजाजत दी जाती है। गौरतलब है कि वर्ष 2015 में इसे रद्द कर दिया गया था।
'जल्लीकट्टू' यानी बैलों पर काबू करना
पर्यावरण मंत्रालय की ओर गुरुवार को प्रकाशित आदेश में कहा गया है, 'तमिलनाडु में 'जल्लीकट्टू' जैसे इवेंट के लिए बैलों का प्रदर्शन या इन्हें ट्रेनिंग देकर तैयार करना जारी रखा जा सकता है।' गौरतलब है कि 'जल्लीकट्टू' सदियों पुराना फेस्टिवल है, जिसका मतलब होता है 'बैलों का काबू करना।' इसमें बैलों को खुला छोड़ दिया जाता है और युवाओं को प्रतिस्पर्धा करते हुए उन्हें वश में करना होता है।
जयललिता ने पीएम मोदी को कहा, 'धन्यवाद'
इस प्रतियोगिता को पिछले साल पहली बार रद्द कर दिया गया था। पिछली सरकार ने क्रूरता का हवाला देते हुए इसे प्रतिबंधित कर दिया था। बैन हटाने के सरकार के मौजूदा फैसले को संभावित विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता सहित राजनेताओं की ओर से बनाए गए दबाव का परिणाम माना जा रहा है। जयललिता ने प्रतिबंध हटाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद दिया है।
विधानसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा यह कदम
आलोचकों का कहना है कि यह कदम राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव से प्रभावित है। उनका कहना है कि इन बैलों को शराब पिलाई जाती है और छोड़े जाने से पहले इनकी आंखों में मिर्ची का पावडर भी डाला जाता है। इससे बाद युवा इनका पीछा करते हैं। गौरतलब है कि इस प्रतियोगिता के दौरान पिछले कुछ वर्षों में दर्जनों लोगों की मौत हुई है जबकि सैकड़ों लोग घायल हुए हैं।
पूर्ववर्ती यूपीए सरकार ने2011 में 'जल्लीकट्टू' पर प्रतिबंध लगाने का आदेश जारी किया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के मामले में दखल तक इस निर्णय पर 2015 तक अमल नहीं हो पाया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया था।
पेटा ने बैन हटाने का किया विरोध
सरकारी आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए 'पेटा' की मुख्य कार्यकारी पूर्वा जोशीपुरा ने कहा है कि उनका संगठन इसे चुनौती देगा। उन्होंने कहा कि 'जल्लीकट्टू' से बैन हटाने के फैसले पर हम हैरान है जबकि यही सरकार गाय की रक्षा के लिए लड़ रही है।
                                                                                 
                                                                                
                                                                                                                        
                                                                                                                    
                                                                        
                                    
                                एक सरकारी आदेश में कहा गया है कि यह प्रतियोगिता तमिलनाडु में हर वर्ष जनवरी में आयोजित की जाती है। इसे वर्ष 2016 में जारी रखने की इजाजत दी जाती है। गौरतलब है कि वर्ष 2015 में इसे रद्द कर दिया गया था।
'जल्लीकट्टू' यानी बैलों पर काबू करना
पर्यावरण मंत्रालय की ओर गुरुवार को प्रकाशित आदेश में कहा गया है, 'तमिलनाडु में 'जल्लीकट्टू' जैसे इवेंट के लिए बैलों का प्रदर्शन या इन्हें ट्रेनिंग देकर तैयार करना जारी रखा जा सकता है।' गौरतलब है कि 'जल्लीकट्टू' सदियों पुराना फेस्टिवल है, जिसका मतलब होता है 'बैलों का काबू करना।' इसमें बैलों को खुला छोड़ दिया जाता है और युवाओं को प्रतिस्पर्धा करते हुए उन्हें वश में करना होता है।
जयललिता ने पीएम मोदी को कहा, 'धन्यवाद'
इस प्रतियोगिता को पिछले साल पहली बार रद्द कर दिया गया था। पिछली सरकार ने क्रूरता का हवाला देते हुए इसे प्रतिबंधित कर दिया था। बैन हटाने के सरकार के मौजूदा फैसले को संभावित विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता सहित राजनेताओं की ओर से बनाए गए दबाव का परिणाम माना जा रहा है। जयललिता ने प्रतिबंध हटाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद दिया है।
विधानसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा यह कदम
आलोचकों का कहना है कि यह कदम राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव से प्रभावित है। उनका कहना है कि इन बैलों को शराब पिलाई जाती है और छोड़े जाने से पहले इनकी आंखों में मिर्ची का पावडर भी डाला जाता है। इससे बाद युवा इनका पीछा करते हैं। गौरतलब है कि इस प्रतियोगिता के दौरान पिछले कुछ वर्षों में दर्जनों लोगों की मौत हुई है जबकि सैकड़ों लोग घायल हुए हैं।
पूर्ववर्ती यूपीए सरकार ने2011 में 'जल्लीकट्टू' पर प्रतिबंध लगाने का आदेश जारी किया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के मामले में दखल तक इस निर्णय पर 2015 तक अमल नहीं हो पाया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया था।
पेटा ने बैन हटाने का किया विरोध
सरकारी आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए 'पेटा' की मुख्य कार्यकारी पूर्वा जोशीपुरा ने कहा है कि उनका संगठन इसे चुनौती देगा। उन्होंने कहा कि 'जल्लीकट्टू' से बैन हटाने के फैसले पर हम हैरान है जबकि यही सरकार गाय की रक्षा के लिए लड़ रही है।
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                                        जल्लीकट्टू, बुल रनिंग फेस्टिवल, पेटा, केंद्र, प्रतिबंध, Ban, Jallikattu, Centre, PETA, Bull Running Festival
                            
                        