बल्लभगढ़:
हफ्ते भर बाद भी फरीदाबाद से मात्र 20 किलोमीटर दूर अटाली गांव से भागे हुए अल्पसंख्यक समुदाय के लोग अपने गांव आने को तैयार नहीं हैं। अभी भी खौफ के मारे वे बल्लभगढ़ थाने में जिंदगी गुजारने को विवश हैं। सैकड़ों परिवार अपने बच्चों सहित इस भीषण गर्मी में टेंट में रहने को मजबूर हैं।
बीते 25 मई को इस गांव में एक धार्मिक स्थल बनाने को लेकर विवाद की शुरुआत हुई। तनाव बढ़ने के बाद उसी दिन रात शरारती तत्वों ने अल्पसंख्यकों के घरों में आगजनी और लूटपाट की। कई घरों में आग लगा दी गई।
ऐसे ही मोहम्मद शाह के घर में हर तरफ तबाही का मंजर है। कोई भी चीज अपनी जगह पर नहीं है। कहते हुए रो पड़ते हैं, हमारा कुछ नहीं बचा, सबकुछ तबाह हो गया। हम कैसे वापस आए और किसके भरोसे? गांव में चारो तरफ सन्नाटा पसरा है। हर जगह रैपिड एक्शन फोर्स और हरियाणा पुलिस के जवान ही नजर आ रहे हैं।
हरियाणा पुलिस के एसीपी विष्णु दयाल अब कहते हैं हालात अब नियंत्रण में हैं, अगर गांव में अल्पसंख्यक आते हैं तो हम उन्हें उसे सुरक्षा देंगे पर अभी तक पुलिस ने एक भी शरारती तत्व को गिरफ्तार नहीं किया है। थाने में दिन रात गुजार रहे लोग कहते है पहले तो पुलिस और प्रशासन फसाद फैलाने वाले को गिरफ्तार कर हमें न्याय दिलाए। साथ ही उसी जगह पर हमारे धार्मिक स्थल का निर्माण कराए और हमारे नुकसान की भरपाई भी करे।
पता चला है पुलिस ने एक दफा फसाद फैलाने वालों को गिरफ्तार करने की कोशिश की लेकिन स्थानीय लोगों के दवाब में उसे छोड़ दिया। गांव के गुलवीर सिंह कहते हैं कि पंचायत के लोग चार बार उनसे मिलने के लिये थाने गये लेकिन वे नहीं माने। इसके बावजूद दोनों पक्षों के बुजर्ग लोग समझौते के पक्षधर हैं लेकिन नौजवान पीढ़ी इसपर अड़ंगा डाल रही है।
बीते 25 मई को इस गांव में एक धार्मिक स्थल बनाने को लेकर विवाद की शुरुआत हुई। तनाव बढ़ने के बाद उसी दिन रात शरारती तत्वों ने अल्पसंख्यकों के घरों में आगजनी और लूटपाट की। कई घरों में आग लगा दी गई।
ऐसे ही मोहम्मद शाह के घर में हर तरफ तबाही का मंजर है। कोई भी चीज अपनी जगह पर नहीं है। कहते हुए रो पड़ते हैं, हमारा कुछ नहीं बचा, सबकुछ तबाह हो गया। हम कैसे वापस आए और किसके भरोसे? गांव में चारो तरफ सन्नाटा पसरा है। हर जगह रैपिड एक्शन फोर्स और हरियाणा पुलिस के जवान ही नजर आ रहे हैं।
हरियाणा पुलिस के एसीपी विष्णु दयाल अब कहते हैं हालात अब नियंत्रण में हैं, अगर गांव में अल्पसंख्यक आते हैं तो हम उन्हें उसे सुरक्षा देंगे पर अभी तक पुलिस ने एक भी शरारती तत्व को गिरफ्तार नहीं किया है। थाने में दिन रात गुजार रहे लोग कहते है पहले तो पुलिस और प्रशासन फसाद फैलाने वाले को गिरफ्तार कर हमें न्याय दिलाए। साथ ही उसी जगह पर हमारे धार्मिक स्थल का निर्माण कराए और हमारे नुकसान की भरपाई भी करे।
पता चला है पुलिस ने एक दफा फसाद फैलाने वालों को गिरफ्तार करने की कोशिश की लेकिन स्थानीय लोगों के दवाब में उसे छोड़ दिया। गांव के गुलवीर सिंह कहते हैं कि पंचायत के लोग चार बार उनसे मिलने के लिये थाने गये लेकिन वे नहीं माने। इसके बावजूद दोनों पक्षों के बुजर्ग लोग समझौते के पक्षधर हैं लेकिन नौजवान पीढ़ी इसपर अड़ंगा डाल रही है।
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