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This Article is From May 30, 2014

बदायूं गैंगरेप केस : परिजन ने की सीबीआई जांच की मांग

बदायूं गैंगरेप केस : परिजन ने की सीबीआई जांच की मांग
फाइल फोटो
बदायूं:

उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले के कटरा सादतगंज गांव में इंसानियत को झकझोरने वाले मामले में सामूहिक बलात्कार के बाद फांसी पर चढ़ायी गई दो लड़कियों के परिजन ने आज मामले की सीबीआई से जांच कराने की मांग की। इस बीच, राष्ट्रीय महिला आयोग की टीम भी गांव पहुंच गई और उसने पीड़ित पक्ष के लोगों से बातचीत की।

वारदात की शिकार लड़कियों में से एक के पिता ने आरोप लगाया कि इस मामले में पुलिस की भूमिका संदिग्ध रही है और जो भी कार्रवाई हुई, वह देर से हुई। उन्हें अब स्थानीय पुलिस पर विश्वास नहीं रह गया है। लिहाजा मामले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से करायी जाए।

गौरतलब है कि केंद्रीय महिला एवं बाल कल्याण मंत्री मेनका गांधी ने इससे पहले कहा था कि अगर परिजन कहें तो वह मामले की सीबीआई से जांच की सिफारिश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से करेंगी।

परिजन ने आरोप लगाया कि अगर पुलिस ने लापरवाही ना दिखाई होती, तो उनकी बेटियों को जान ना गंवानी पड़ती। कटरा सादतगंज चौकी पर तैनात पुलिसकर्मियों ने निहायत गैरजिम्मेदाराना रवैया अपनाते हुए दरिंदगों को वारदात अंजाम देने का पूरा मौका दिया।

एक पीड़िता के पिता ने कहा, 'हम मदद मांगने पुलिस के पास गए थे। एक कांस्टेबल ने कहा कि लड़कियां दो घंटे में घर पहुंच जाएंगी पर वे पेड़ से लटकती मिलीं।'

मामले के दो आरोपी सर्वेश और पप्पू को गुरुवार को गिरफ्तार किया गया था। वहीं चार अन्य - उर्वेश यादव (पप्पू और अवधेश का भाई), पुलिसकर्मी छत्रपाल यादव और दो अज्ञात लोग फरार हैं। सर्वेश और छत्रपाल के खिलाफ आईपीसी की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश) जबकि तीन अन्य - पप्पू, अवधेश और उर्वेश एवं दो अन्य के खिलाफ धारा 302 (हत्या) और 376 (बलात्कार) के तहत मामला दर्ज किया गया है।

इंसानियत को शर्मसार कर देने वाली इस दरिंदगी की दोनों पीड़िता, जो चचेरी बहन थीं और जिनकी उम्र 14 और 15 साल थी, 27 मई की रात अपने घर से लापता हो गई थीं और अगली सुबह उशैत इलाके में स्थित गांव में एक आम के पेड़ से उनका शव लटका पाया गया।

इस घटना के बाद इलाके में विरोध-प्रदर्शन का दौर शुरू हो गया है। ग्रामीणों का आरोप है कि इस मामले में पुलिस का रवैया सवालों के घेरे में है। विरोध के बाद सात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है।

राज्य के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सामूहिक बलात्कार और हत्या को 'दुर्भाग्यपूर्ण' करार देते हुए आज पुलिस को आदेश दिया कि सभी आरोपियों को तुरंत गिरफ्तार किया जाए। अखिलेश ने कहा कि दोषियों को सख्त से सख्त सजा दिलाने के लिए एक त्वरित अदालत गठित की जाएगी।

मुख्यमंत्री ने पीड़ितों के परिजन के लिए पांच-पांच लाख रुपए की सहायता राशि भी मंजूर की। उन्होंने कहा कि पीड़ितों के परिजन को सुरक्षा के साथ-साथ जरूरी मदद भी मुहैया कराई जाएगी।

इस जघन्य अपराध के लिए पुलिस को जिम्मेदार करार देते हुए केंद्रीय महिला एवं बाल कल्याण मंत्री मेनका गांधी ने कहा कि ऐसी घटनाओं पर त्वरित कदम उठाने के लिए 'रेप क्राइसिस सेल' (बलात्कार संकट शाखा) की स्थापना की जाएगी।

मेनका ने यह भी कहा कि अगर दोनों लड़कियों के परिजन सहमत हों तो वह मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश करेंगी। मेनका ने कहा, 'पुलिस की शिथिलता भी समान रूप से जिम्मेदार है, जिसके कारण दोनों लड़कियों को जान गंवानी पड़ी। पुलिस अब भी सही दिशा में काम नहीं कर रही। इस घटना में शामिल सभी पुलिसकर्मियों को बर्खास्त कर देना चाहिए।'

इस आजमगढ़ में भी बलात्कार का एक मामला सामने आया जहां 17 साल की एक दलित लड़की से सरायमीर इलाके में चार लोगों ने कथित तौर पर सामूहिक बलात्कार किया। यह घटना गुरुवार रात हुई जब चार लोगों ने कथित तौर पर किशोरी को दबोच लिया और पास ही के एक खेत में उससे सामूहिक बलात्कार किया। आरोपी की पहचान मुकेश, अरविंद, विक्रम और दुर्गेश के रूप में हुई है। पुलिस ने कहा कि अपराध को अंजाम देने के बाद चारों आरोपी मौके से फरार हो गए।

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