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This Article is From May 18, 2016

निरंकारी समाज के प्रमुख बाबा हरदेव सिंह का आज दिल्ली में अंतिम संस्कार, इन जगहों पर लग सकता है जाम

निरंकारी समाज के प्रमुख बाबा हरदेव सिंह का आज दिल्ली में अंतिम संस्कार, इन जगहों पर लग सकता है जाम
आज बाबा हरदेव सिंह का अंतिम संस्कार
निरंकारी मिशन के प्रमुख बाबा हरदेव सिंह का आज दिल्ली में अंतिम संस्कार किया जाएगा। उनके अंतिम दर्शन के लिए देश-विदेश से उनके लाखों भक्त दिल्ली पहुंचे हुए हैं। बाबा हरदेव सिंह की शुक्रवार को कनाडा में एक सड़क हादसे में मौत हो गई थी। बाबा हरदेव सिंह की अंतिम यात्रा निरंकारी मिशन के मुख्यालय से शुरु हुई है और यह निगम बोध घाट पर जा कर पूरी होगी।
 
नई  प्रमुख होंगी पत्नी सविंद्र कौर
नया प्रमुख कौन होगा यह फैसला किसी कमिटी द्वारा नहीं होता बल्कि बाबा हरदेव सिंह द्वारा दिया जाता है, उसी के अनुसार प्रमुख का चयन होता है। ऐसी मान्यता है कि बाबा हरदवे सिंह द्वारा ही यह फैसला दिया गया है कि उनकी पत्नी सविंद्र कौर मत की कमान संभालेंगी। यह पहली बार है निरंकारी समुदाय के प्रमुख के तौर पर किसी महिला को चुना गया है।

दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने जारी की ट्रैफिक अडवायजरी
इस बाबत ट्रैफ़िक पुलिस ने एडवाइजरी जारी की है। दिल्ली में रिंग रोड, माल रोड, चंदगीराम अखाड़े और कश्मीरी गेट बस स्टैंड के पास आज जाम की स्थिति बनी रह सकती है। इन रास्तों से बचें :

आउटर रिंग रोड (बुराड़ी होते हुए)
किंग्सवे कैंप चौक से संत नगर बुराड़ी
माल रोड (आज़ादपुर से आइपी कॉलेज)
चंदगीराम अखाड़ा
कश्मीरी गेट बस स्टैंड
 

अनुयायियों के लिए 'बाबा भोला' थे वह...
दुनिया भर में बाबा हरदेव के एक करोड़ से ज्यादा अनुयायी हैं। उन्हें ‘बाबा भोला’ के नाम से भी जाना जाता था। बाबा हरदेव सिंह को वर्ष 1980 में संत निरंकारी मिशन के तत्कालीन प्रमुख तथा उनके पिता गुरबचन सिंह की हत्या के बाद मिशन प्रमुख बनाया गया था, जिसके बाद से वह 'सतगुरु' की उपाधि धारण करने लगे। 23 फरवरी, 1954 को दिल्ली में बाबा हरदेव सिंह का जन्म हुआ था और इस वक्त दुनिया भर में इनके एक करोड़ से ज़्यादा भक्त बताए जाते हैं। संत निरंकारी मिशन की दुनिया भर के 27 देशों में लगभग 100 शाखाएं हैं, तथा इनका मुख्यालय दिल्ली में है।

बाबा हरदेव सिंह की प्राथमिक शिक्षा रोजरी पब्लिक स्कूल में हुई थी जिसे वर्तमान में दिल्ली के संत निरंकारी कॉलोनी के नाम से जाना जाता है। पिता सतगुरु गुरबचन सिंह की हत्या के बाद बाबा हरदेव सिंह ने निरंकारी मिशन की गद्दी संभाली थी। उनके पिता की हत्या उग्रवादियों ने कर दी थी। पिता की असामयिक मृत्यु के बाद 26 साल की छोटी उम्र में उन्हें गुरु गद्दी सौंप दी गई।

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