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This Article is From Mar 08, 2019

जैसे वेटिकन में मस्जिद, मक्का में चर्च नहीं बना सकता, वैसे ही अयोध्या में भी मंदिर के सिवा कुछ और नहीं: उमा भारती

Uma Bharti: अयोध्या मामले में मध्यस्थता को सुप्रीम कोर्ट से मंजूरी मिलने के फैसले के बाद केंद्रीय मंत्री उमा भारती (Uma Bharti) ने कहा कि यह देश सेक्युलर है, इसलिए जहां राम लला विराजमान हैं, भव्य मंदिर का निर्माण वहीं पर हो सकता है.

Ayodhya dispute: अयोध्या मामले पर उमा भारती ने कहा कि जहां राम लला विराजमान हैं, भव्य मंदिर का निर्माण वहीं पर हो सकता है.

नई दिल्ली:

Supreme Court Orders m\Mediation in Ayodhya Case: राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद (Ayodhya Dispute) में मध्यस्थता होगी. सुप्रीम कोर्ट ने आपसी समझौते के ज़रिये हल निकालने का रास्ता साफ़ कर दिया है. अयोध्या मामले में मध्यस्थता को सुप्रीम कोर्ट से मंजूरी मिलने के फैसले के बाद भारतीय जनता पार्टी की फायरब्रांड नेता और केंद्रीय मंत्री उमा भारती (Uma Bharti) ने कहा कि यह देश सेक्युलर है, इसलिए जहां राम लला विराजमान हैं, भव्य मंदिर का निर्माण वहीं पर हो सकता है. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने सेवानिवृत्त न्यायाधीश एफ एम आई कलीफुल्ला को मध्यस्थता के लिये गठित तीन सदस्यीय समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया है, जिनमें आध्यात्मिक गुरू श्री श्री रविशंकर और वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीराम पंचू भी शामिल हैं. 

केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने एनडीटीवी इंडिया से कहा कि 'मैं राम मंदिर आंदोलन से जुड़ी रही हूं और मेरे माता-पिता भी राम का नाम लेते रहे हैं. इस देश में करोड़ों लोगों के माता-पिता राम का नाम लेते रहे हैं और अभी भी ले रहे हैं. वह सब वहां सिर्फ राम मंदिर ही देखेंगे इसलिए टीम बनी है. हम टीम के अधिकार को चुनौती नहीं दे सकते.'

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केंद्रीय मंत्री उमा भारती (Uma Bharti) ने अयोध्या मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कहा कि सुप्रीम कोर्ट का सम्मान करती हूं, लेकिन जहां रामलला विराजमान हैं, वहां भव्य राम मंदिर का ही निर्माण हो सकता है. यह देश धर्मनिरपेक्ष है, लेकिन जिस तरह वेटिकन में कोई मस्जिद, या मक्का में कोई चर्च नहीं बना सकता, वैसे ही अयोध्या में भी मंदिर के अलावा कुछ और नहीं बन सकता."

उमा भारती ने कहा कि 'हम सुप्रीम कोर्ट पर कोई सवाल खड़ा नहीं कर सकते क्योंकि वह हमारे लिए भगवान का मंदिर है. लेकिन मेरा एक अधिकार है और उस अधिकार को कोई चुनौती नहीं दे सकता, वह यह है कि वहां पर रामलला बैठे हैं, उनकी पूजा हो रही है और वहां भव्य मंदिर का निर्माण ही होगा. बाकी मस्जिदें हैं फैजाबाद में हैं, हिंदुस्तान में नमाज पढ़ी जा रही हैं. हम उनका बहुत सम्मान करते हैं. माइक पर पांचों समय की अजान का सुर सुनते हैं कोई दिक्कत नहीं है. वहां राम मंदिर ही होगा.' उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की बनाई टीम का हम सम्मान करते हैं.

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उमा भारती ने कहा कि आयोध्या में बाकी सभी मस्जिद का सम्मान, अगर वो बिगड़ी तो उनके लिए कुछ पैसा मैं भेज दूंगी लेकिन उस जगह पर तो मंदिर बनना चाहिए. इससे पहले भी सालों से अकबर के ज़माने में प्रयास हुए हैं लेकिन ये सुप्रीम कोर्ट का प्रयास है इसका अभिनंदन है. 

उमा भारती से यह पूछने पर कि लोकसभा चुनाव अब कभी भी घोषित हो सकते हैं. इस दौरान आपको लगता है कि इस पर राजनीति होगी, क्योंकि समय दिया गया है. इस दौरान बात होगी या नहीं होगी राजनीति पर? उन्होंने कहा कि ' मैं एनडीटीवी को सुझाव दूंगी कि वह अयोध्या में राम मंदिर की चर्चा न ही करे तो अच्छा है. और एनडीटीवी के माध्यम से पूरे मीडिया से कहूंगी कि इसको चुनाव से कनेक्ट न करें आपका भी तो धर्म बनता है यह, कि खाली हमारा ही धर्म बनता है?'

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इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि कहा कि मध्यस्थता कार्यवाही उत्तर प्रदेश के फैजाबाद में होगी और यह प्रक्रिया एक सप्ताह के भीतर शुरू हो जानी चाहिए. संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति डी वाई चन्द्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर शामिल हैं. पीठ ने कहा कि मध्यस्थता करने वाली यह समिति चार सप्ताह के भीतर अपनी कार्यवाही की प्रगति रिपोर्ट दायर करेगी. पीठ ने कहा कि यह प्रक्रिया आठ सप्ताह के भीतर पूरी हो जानी चाहिए.

न्यायालय ने कहा कि मध्यस्थता कार्यवाही की सफलता सुनिश्चित करने के लिए ‘अत्यंत गोपनीयता'' बरती जानी चाहिए और प्रिंट तथा इलेक्ट्रॉनिक मीडिया इस कार्यवाही की रिपोर्टिंग नहीं करेगा. पीठ ने कहा कि मध्यस्थता समिति इसमें और अधिक सदस्यों को शामिल कर सकती है और इस संबंध में किसी भी तरह की परेशानी की स्थिति में समिति के अध्यक्ष शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री को इसकी जानकारी देंगे. 

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गौरतलब है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 2010 के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत में 14 याचिकाएं दायर हुई हैं. उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा था कि अयोध्या में 2.77 एकड़ की विवादित भूमि तीनों पक्षकारों- सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला के बीच बराबर बांट दी जाए.

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