Ayodhya Verdict : अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद मामले (Ayodhya Case) पर उच्चतम न्यायालय के निर्णय पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए जमीयत उलेमा ए हिन्द के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि 'यह निर्णय हमारी अपेक्षा के अनुकूल नही हैं परन्तु सुप्रीम कोर्ट सर्वोच्च संस्था है. उन्होंने देशवासियों से अपील की कि वे इस निर्णय को हार-जीत की दृष्टि से न देखें और देश में अमन एवं भाईचारे के वातावरण को बनाए रखें.'
मदनी ने कहा कि 'देश के संविधान ने हमें जो शक्तियां दी हैं उस पर निर्भर करते हुए जमीयत उलेमा हिन्द ने आखिरी हद तक न्याय के लिए लड़ाई लड़ी. देश के सुप्रसिद्ध अधिवक्ताओं की सेवाएं प्राप्त कीं. अपने पक्ष में तमाम सबूत इकट्ठे किए गए और अदालत के सामने रखे गए. अपने दावे को शक्ति प्रदान करने के लिए हम जो कर सकते थे वे किए. हम इसी बुनियाद पर आशावान थे कि निर्णय हमारे पक्ष में आएगा.'
जमीयत उलेमा हिन्द के सूत्रों का कहना है कि अयोध्या मामले (Ayodhya Case) में बाबरी मस्जिद के पक्ष की पैरवी करने वाला जमीयत अब पुनर्विचार याचिका दायर नहीं करेगा.
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गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को अयोध्या के जमीन विवाद मामले (Ayodhya Case) में सर्वसम्मति के फैसले में अयोध्या में विवादित स्थल पर राम मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त कर दिया और केन्द्र को निर्देश दिया कि नई मस्जिद के निर्माण के लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड को प्रमुख स्थान पर पांच एकड़ का भूखंड आवंटित किया जाए. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने इस व्यवस्था के साथ ही राजनीतिक दृष्टि से बेहद संवेदनशील 134 साल से भी अधिक पुराने इस विवाद का पटाक्षेप कर दिया.
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