सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बुधवार को कहा कि अयोध्या मामले (Ayodhya Case) से संबद्ध पक्ष यदि इसे मध्यस्थता के जरिए सुलझाना चाहते हैं, तो वे अब भी ऐसा कर सकते हैं. प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अगुवाई वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा कि उसे उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एफ एम आई कलीफुल्ला का पत्र मिला है जिसमें कहा गया है कि कुछ पक्षों ने उन्हें मध्यस्थता प्रक्रिया पुन: आरंभ करने के लिए पत्र लिखा है.
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कलीफुल्ला ने मामले में तीन सदस्यीय मध्यस्थता पैनल की अगुवाई की थी. पीठ ने कहा कि भूमि विवाद मामले में रोजाना के आधार पर कार्यवाही बहुत आगे पहुंच गई है और यह जारी रहेगी. हालांकि अदालत ने कहा कि न्यायमूर्ति कलीफुल्ला की अगुवाई में मध्यस्थता प्रक्रिया अब भी जारी रह सकती है और उसकी कार्यवाही गोपनीय रखी जाएगी.
मुख्य बात-
- अयोध्या राम जन्मभूमि मामले में 26वें दिन की सुनवाई हुई.
- CJI रंजन गोगोई ने सुनवाई 18 अक्टूबर तक पूरी होने की उम्मीद जताई.
- मुस्लिम पक्षकारों के मुताबिक 27 सितंबर तक अपनी बहस पूरी कर लेंगे.
- रामलला विराजमान ने कहा कि उन्हें जवाब देने के लिए 2 दिनों का वक्त चहिये.
- सुनवाई के बाद जजमेंट लिखने के लिए जजों को चार हफ्तों का वक्त मिलेगा.
- मध्यस्थता शुरु होती है तो जरूरी नहीं कि 18 अक्तूबर तक पूरी हो.
- पैनल इसे सुप्रीम कोर्ट के आदेश से पहले भी दाखिल कर सकता है.
- अगर समझौता हो जाता है तो इसे संविधान पीठ को भेजना होगा.
- पीठ मामले में आदेश जारी करेगा और समझौते पर मुहर लगाएगा.
- 17 नवंबर तक फैसला आ सकता है.
- चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई इसी दिन (17 नवंबर) रिटायर भी होंगे.
(इनपुट भाषा से भी)
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