Ayodhya Land Dispute Case: राजनीतिक रूप से संवेदनशील राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले में लंबी सुनवाई पूरी होने के एक दिन बाद गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट के पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के सदस्य ‘चैम्बर में' बैठेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने इस बारे में एक नोटिस जारी कर कहा है कि प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और चार अन्य न्यायाधीश चैम्बरों में बैठेंगे, जहां मामले से संबद्ध पक्षों को जाने की इजाजत नहीं होगी. नोटिस में कहा गया है, ‘यह ध्यान रखें कि गुरुवार 17 अक्टूबर को प्रधान न्यायाधीश, न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर चैम्बरों में बैठेंगे.
सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले में सुनवाई बुधवार को पूरी कर ली और फैसला सुरक्षित रख लिया. संविधान पीठ ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सितंबर 2010 के फैसले के खिलाफ दायर अपीलों पर छह अगस्त से रोजाना 40 दिन तक सुनवाई की. इस दौरान विभिन्न पक्षों ने अपनी अपनी दलीलें पेश कीं. संविधान पीठ ने इस मामले में सुनवाई पूरी करते हुये संबंधित पक्षों को ‘मोल्डिंग ऑफ रिलीफ' (राहत में बदलाव) के मुद्दे पर लिखित दलील दाखिल करने के लिये तीन दिन का समय दिया. इस मामले में दशहरा अवकाश के बाद 14 अक्टूबर से अंतिम चरण की सुनवाई शुरू हुयी.
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न्यायालय के पहले के कार्यक्रम के तहत यह सुनवाई 18 अक्टूबर तक पूरी की जानी थी. हालांकि, 14 अक्टूबर को सुनवाई शुरू होने पर न्यायालय ने कहा कि यह 17 अक्ट्रबर तक पूरी की जायेगी. लेकिन 15 अक्टूबर को पीठ ने यह समय सीमा घटाकर 16 अक्टूबर कर दी थी. राजनीतिक दृष्टि से संवेदनशील इस मुद्दे पर 17 नवंबर से पहले ही फैसला आने की उम्मीद है क्योंकि प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई इस दिन सेवानिवृत्त हो रहे हैं.
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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं