पीएम नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
15 अगस्त 2014 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले के प्राचीर से कई बड़ी घोषणाएं की थी। लाल किले की प्राचीर से देश के नाम अपने पहले भाषण में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सबसे पहले संसद में सरकार की रणनीति की रूपरेखा पेश की थी। नरेन्द्र मोदी ने कहा था, "हम बहुमत के बल पर चलने वाले लोग नहीं हैं, हम बहुमत के बल पर आगे बढ़ना नहीं चाहते हैं। हम सहमति के मजबूत धरातल पर आगे बढ़ना चाहते हैं।"
लेकिन एक साल बाद विपक्ष प्रधानमंत्री के इस दावे पर सवाल खड़े कर रहा है। जेडी-यू के प्रधान महासचिव केसी त्यागी ने कहा, "हमने उनकी बात पर उस समय भी विश्वास नहीं किया था, क्या पीएम ने एक बार भी कोशिश की कि वो विपक्ष से एक बार बात करें...प्रधानमंत्री कहते कुछ हैं और करते कुछ हैं"।
जबकि सरकार विपक्ष को संसद में गतिरोध के लिए ज़िम्मेदार बता रही है। संसदीय कार्य राज्यमंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने एनडीटीवी से कहा, "हमने कोशिश की कि हम सहमति के साथ आगे बढ़ें, लेकिन ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि कांग्रेस के लीडर प्रोग्रेस पर पलीता लगाने की कोशिश कर रहे हैं"।
अपने पहले भाषण में प्रधानमंत्री ने कई अहम योजनाओं की घोषणा भी की थी, सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत हर सांसद को 2016 तक अपने क्षेत्र में एक गांव को आदर्श गांव की तर्ज़ पर विकसित करने का लक्ष्य दिया गया।
2015 का दो-तिहाई वक्त निकल चुका है लेकिन अभी तक 100 सांसदों ने अपने इलाके में ग्राम पंचायत का चयन भी नहीं किया है। सबसे पीछे पश्चिम बंगाल है, जहां 38 लोकसभा और 16 राज्यसभा सांसदों ने अब तक ग्राम पंचायत का चयन नहीं किया है।
सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी कहते हैं, "पंचायती राज़ बंगाल में कमज़ोर है। पैसा किसी गांव में विकास के लिए इस्तेमाल होगा या नहीं कोई गारंटी नहीं है। सभी सांसदों को डर लगता है कि फंड का दुरुपयोग होगा, लूट होगी"।
दूसरा अहम ऐलान स्वच्छ भारत अभियान को लेकर था, प्रधानमंत्री ने इसके तहत सबसे पहले देश के हर स्कूल में इस साल 15 अगस्त तक टायलेट बनाने का टार्गेट फिक्स किया। प्रधानमंत्री ने कहा थाष जब हम अगले 15 अगस्त को यहां खड़े हों, तब इस विश्वास के साथ खड़े हों कि अब हिन्दुस्तान का ऐसा कोई स्कूल नहीं है, जहां बच्चे एवं बच्चियों के लिए अलग टॉयलेट का निर्माण होना बाकी है"।
लेकिन पिछले कुछ महीनों में जी-तोड़ कोशिशों के बावजूद 14 अगस्त तक 6833 स्कूलों में टायलेट नहीं बन पाये। केन्द्रीय मंत्री श्रीपद नायक कहते हैं, "राज्यों को ये काम करना है...राज्य की मशीनरी अगर थोड़ा तेज़ चलेगी तो जल्दी काम होगा"।
जब एनडीटीवी ने मध्य प्रदेश के गृहमंत्री बाबू लाल गौड़ से ये सवाल पूछा तो उन्होंने माना कि पहले इस मुद्दे को कोई गंभीरता से नहीं लेता था। अब पीएम और मुख्यमंत्री के ध्यान देने की वजह से काम शुरू हुआ है। अगले एक साल में हम सारे स्कूलों में टायलेट बनवा लेंगे"।
प्रधानमंत्री ने कई ऐसी घोषणाएं भी कीं जिन पर सरकार काम करती दिखी। गरीबों को बैंक खातों से जोड़ने के लिए बनी प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत 12 अगस्त 2015 तक 17.57 करोड़ एकाउंट खोले जा चुके थे। पीएम ने स्किल डेवलपमेन्ट और स्किल्ड इंडिया की बात की और सरकार ने Skill India Campaign इस साल जुलाई में लांच किया। गांवों को ब्राडबैंड से जोड़ने और देश में डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार के लिए डिजिटल इंडिया अभियान धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा है।
एक अहम एलान प्रधानमंत्री ने योजना आयोग की जगह एक नई संस्था बनाने को लेकर किया, नीति आयोग का गठन हुआ ज़रूर, लेकिन पहले साल में नीति आयोग के मंच पर राजनीति ज़्यादा होती दिखी है। पीएमओ में राज्यमंत्री जितेन्द्र सिंह ने एनडीटीवी से कहा, "नीति आयोग का अच्छा अनुभव रहा है। लेकिन प्रश्न उनसे (विपक्ष से) पूछा जाना चाहिये जिन्होंने सीएम की बैठक का बहिष्कार किया"।
जबकि कांग्रेस सांसद पी एल पुनिया कहते हैं, "आज नीति आयोग में कुछ नहीं हो रहा है, CMs को बुलाकर पीएम लैंड बिल पर चर्चा करते हैं। उन्हें मनाने की कोशिश करते हैं। सरकार को नीति आयोग गठित करने से पहले उसकी रूपरेखा तैयार करना चाहिये थी।
प्रधानमंत्री ने एक साल पहले जो बड़ी घोषणाएं की थीं उनमें से कुछ में सरकार को कामयाबी मिलती दिखी, कुछ पर अड़चनें झेलनी पड़ी और कुछ लक्ष्य से पीछे नज़र आ रही हैं। देखना होगा कि इस साल 15 अगस्त के अपने भाषण में प्रधानमंत्री अगले एक साल के लिए क्या लक्ष्य तय करते हैं।
लेकिन एक साल बाद विपक्ष प्रधानमंत्री के इस दावे पर सवाल खड़े कर रहा है। जेडी-यू के प्रधान महासचिव केसी त्यागी ने कहा, "हमने उनकी बात पर उस समय भी विश्वास नहीं किया था, क्या पीएम ने एक बार भी कोशिश की कि वो विपक्ष से एक बार बात करें...प्रधानमंत्री कहते कुछ हैं और करते कुछ हैं"।
जबकि सरकार विपक्ष को संसद में गतिरोध के लिए ज़िम्मेदार बता रही है। संसदीय कार्य राज्यमंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने एनडीटीवी से कहा, "हमने कोशिश की कि हम सहमति के साथ आगे बढ़ें, लेकिन ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि कांग्रेस के लीडर प्रोग्रेस पर पलीता लगाने की कोशिश कर रहे हैं"।
अपने पहले भाषण में प्रधानमंत्री ने कई अहम योजनाओं की घोषणा भी की थी, सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत हर सांसद को 2016 तक अपने क्षेत्र में एक गांव को आदर्श गांव की तर्ज़ पर विकसित करने का लक्ष्य दिया गया।
2015 का दो-तिहाई वक्त निकल चुका है लेकिन अभी तक 100 सांसदों ने अपने इलाके में ग्राम पंचायत का चयन भी नहीं किया है। सबसे पीछे पश्चिम बंगाल है, जहां 38 लोकसभा और 16 राज्यसभा सांसदों ने अब तक ग्राम पंचायत का चयन नहीं किया है।
सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी कहते हैं, "पंचायती राज़ बंगाल में कमज़ोर है। पैसा किसी गांव में विकास के लिए इस्तेमाल होगा या नहीं कोई गारंटी नहीं है। सभी सांसदों को डर लगता है कि फंड का दुरुपयोग होगा, लूट होगी"।
दूसरा अहम ऐलान स्वच्छ भारत अभियान को लेकर था, प्रधानमंत्री ने इसके तहत सबसे पहले देश के हर स्कूल में इस साल 15 अगस्त तक टायलेट बनाने का टार्गेट फिक्स किया। प्रधानमंत्री ने कहा थाष जब हम अगले 15 अगस्त को यहां खड़े हों, तब इस विश्वास के साथ खड़े हों कि अब हिन्दुस्तान का ऐसा कोई स्कूल नहीं है, जहां बच्चे एवं बच्चियों के लिए अलग टॉयलेट का निर्माण होना बाकी है"।
लेकिन पिछले कुछ महीनों में जी-तोड़ कोशिशों के बावजूद 14 अगस्त तक 6833 स्कूलों में टायलेट नहीं बन पाये। केन्द्रीय मंत्री श्रीपद नायक कहते हैं, "राज्यों को ये काम करना है...राज्य की मशीनरी अगर थोड़ा तेज़ चलेगी तो जल्दी काम होगा"।
जब एनडीटीवी ने मध्य प्रदेश के गृहमंत्री बाबू लाल गौड़ से ये सवाल पूछा तो उन्होंने माना कि पहले इस मुद्दे को कोई गंभीरता से नहीं लेता था। अब पीएम और मुख्यमंत्री के ध्यान देने की वजह से काम शुरू हुआ है। अगले एक साल में हम सारे स्कूलों में टायलेट बनवा लेंगे"।
प्रधानमंत्री ने कई ऐसी घोषणाएं भी कीं जिन पर सरकार काम करती दिखी। गरीबों को बैंक खातों से जोड़ने के लिए बनी प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत 12 अगस्त 2015 तक 17.57 करोड़ एकाउंट खोले जा चुके थे। पीएम ने स्किल डेवलपमेन्ट और स्किल्ड इंडिया की बात की और सरकार ने Skill India Campaign इस साल जुलाई में लांच किया। गांवों को ब्राडबैंड से जोड़ने और देश में डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार के लिए डिजिटल इंडिया अभियान धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा है।
एक अहम एलान प्रधानमंत्री ने योजना आयोग की जगह एक नई संस्था बनाने को लेकर किया, नीति आयोग का गठन हुआ ज़रूर, लेकिन पहले साल में नीति आयोग के मंच पर राजनीति ज़्यादा होती दिखी है। पीएमओ में राज्यमंत्री जितेन्द्र सिंह ने एनडीटीवी से कहा, "नीति आयोग का अच्छा अनुभव रहा है। लेकिन प्रश्न उनसे (विपक्ष से) पूछा जाना चाहिये जिन्होंने सीएम की बैठक का बहिष्कार किया"।
जबकि कांग्रेस सांसद पी एल पुनिया कहते हैं, "आज नीति आयोग में कुछ नहीं हो रहा है, CMs को बुलाकर पीएम लैंड बिल पर चर्चा करते हैं। उन्हें मनाने की कोशिश करते हैं। सरकार को नीति आयोग गठित करने से पहले उसकी रूपरेखा तैयार करना चाहिये थी।
प्रधानमंत्री ने एक साल पहले जो बड़ी घोषणाएं की थीं उनमें से कुछ में सरकार को कामयाबी मिलती दिखी, कुछ पर अड़चनें झेलनी पड़ी और कुछ लक्ष्य से पीछे नज़र आ रही हैं। देखना होगा कि इस साल 15 अगस्त के अपने भाषण में प्रधानमंत्री अगले एक साल के लिए क्या लक्ष्य तय करते हैं।
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