नई दिल्ली: सरकारी विज्ञापनों के लिए बजट में 500 करोड़ रुपयों का प्रावधान करने वाली अरविंद केजरीवाल सरकार ना तो अपने सिद्धांतों से भटकी है और ना ही जनता की उम्मीदों से, ऐसा पार्टी के नेताओं ने गुरुवार को कहा।
उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा, 'सरकार अपनी नीतियों को प्रचारित करने के लिए मजबूर है, खासकर मीडिया की वजह से क्योंकि जनता की भलाई के काम उनतक पहुंचाना मीडिया की जिम्मेदारी है, लेकिन वो हमारी पार्टी के साथ तकरार में लगी है।
पिछले साल के करीब 24 करोड़ की तुलना में इस साल 500 करोड़ रुपये सरकार और उसकी योजनाओं के प्रचार के लिए आवंटित किए गए हैं। सरकार के मीडिया सलाहकार नागेंदर शर्मा ने एनडीटीवी को बताया कि पहले इस बात को समझना होगा कि क्या बजट निर्धारित किया गया है और क्या खर्च किया किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि विज्ञापन का बजट इसलिए भी ज्यादा लग रहा है क्योंकि उसमें सभी सरकारी विभागों का आवंटन शामिल है।
लेकिन टीवी और रेडियो पर चल रहे दिल्ली सरकार और आम आदमी पार्टी के विज्ञापनों को देखकर उनकी यह दलील गले नहीं उतरती क्योंकि AAP संस्थापक सिद्धांत ही यह था बेकार के खर्चों से परहेज करना जिसका परंपरागत राजनीतिक पार्टियों पर अक्सर आरोप लगता है।
वहीं 3 विधायकों वाली विपक्षी पार्टी बीजेपी ने इस मामले में उपराज्यपाल नजीब जंग से शिकायत की है।
हाल के हफ्तों में आम आदमी पार्टी ने टीवी चैनलों काफी विज्ञापन दिखाए हैं जिसमें मुख्यमंत्री के रूप में अरविंद केजरीवाल के गुणों का बखान किया गया है। विपक्ष ने इस विज्ञापन की जमकर खिंचाई की है। वहीं कुछ ने तो इस विज्ञापन में एक महिलाओं के भेदभावपूर्ण चित्रण के लिए इसकी तीखी आलोचना की है। और AAP के प्रवक्ता मानते हैं कि इस विज्ञापन को सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश को ध्यान में रखकर बनाया गया है जिसमें कहा गया है कि सरकारी विज्ञापनों में राजनेता की फोटो नहीं होनी चाहिए, इसलिए इस विज्ञापन में केजरीवाल का जिक्र तो है लेकिन ना तो उनका और ना उनकी तस्वीर का इसमें कहीं इस्तेमाल किया गया है।