असम में NRC लिस्ट हुई जारी, 3.11 करोड़ लोगों के नाम शामिल, जबकि 19.06 लाख लोग हुए बाहर

असम में कड़ी सुरक्षा के बीच एनआरसी लिस्ट जारी कर दी गई है. एनआरसी के समन्वयक प्रतीक हजेला ने बताया है कि 3,11,21,004 लोगों को लिस्ट में शामिल किया गया है. जबकि 19,06,657 लोगों को लिस्ट में जगह नहीं दी गई है.

असम में NRC लिस्ट हुई जारी, 3.11 करोड़ लोगों के नाम शामिल, जबकि 19.06 लाख लोग हुए बाहर

कड़ी सुरक्षा के इंतजाम के तहत असम में जारी हुई NRC की लिस्ट (फाइल फोटो)

गुवाहाटी, असम:

असम में कड़ी सुरक्षा के बीच एनआरसी लिस्ट जारी कर दी गई है. एनआरसी के समन्वयक प्रतीक हजेला ने बताया है कि 3,11,21,004 लोगों को लिस्ट में शामिल किया गया है. जबकि 19,06,657 लोगों को लिस्ट में जगह नहीं दी गई है. इसमें वे लोग भी शामिल हैं जिन्होंने कोई दावा नहीं किया है. उन्होंने यह भी कहा है कि जो लोग इससे सहमत नही हैं वे ट्रिब्युनल में अपील कर सकते हैं. सुरक्षा के मद्देनज़र राज्य के कई इलाक़ों में धारा 144 भी लगाई गई है. जिन लोगों के नाम अंतिम सूची में नहीं होंगे उनकी सुरक्षा की भी व्यवस्था की गई है.

असम के मंत्री हिमांता बिस्वा ने कहा, ''यह NRC बाहरियों से छुटकारा पाने में मदद नहीं करेगा''

एनआरसी की फाइनल लिस्ट के प्रकाशन से पहले असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने लोगों से कहा कि वे घबराएं नहीं राज्य सरकार अपनी नागरिकता साबित करने में उन लोगों को मदद करने के लिए हरसंभव कदम उठाएगी जो वास्तव में भारतीय हैं. सोनोवाल ने इन लोगों को कानूनी सहायता मुहैया कराने का भी आश्वासन दिया. उन्होंने यह भी कहा कि शनिवार को प्रकाशित होने वाली एनआरसी की अंतिम सूची से यदि किसी का नाम बाहर रह जाता है, तो इसका यह अर्थ नहीं है कि वह विदेशी बन गया है. क्योंकि उचित कानूनी प्रक्रिया के बाद विदेशी न्यायाधिकरण (एफटी) ही इस संबंध में निर्णय ले सकता है.

असम के लोगों को NRC को लेकर घबराने की कतई ज़रूरत नहीं: मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल

बता दें, असम के मंत्री हिमांता बिस्वा सरमा ने कहा कि नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (NRC) असमिया समाज के लिए "रेड लेटर" के रूप में नहीं देखा जा सकता है. बीजेपी नेता ने संकेत दिए कि उन्हें इस बात पर थोड़ा भरोसा था कि यह लिस्ट विदेशियों से छुटकारा पाने में मदद करेगा. सरमा ने शुक्रवार को लोकल पत्रकारों से कहा, ''ड्राफ्ट के आने के बाद हमने एनआरसी के वर्तमान परिदृश्य को देखते हुए आशा खो दी है. जब कई सच्चे भारतीय इससे बाहर चले गए, तब आप कैसे इस बात का दावा कर सकते हैं कि यह डॉक्यूमेंट असमिया समाज के लिए रेड लेटर है.''

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उन्होंने कहा, ''साउथ सलमरा और धुबरी की तरह बांग्लादेश की सीमा वाले जिलों में, बाहर निकाले जाने की दर सबसे कम है और भूमिपुत्र जिले में, यह अधिक है. यह कैसे हो सकता है? हमें अब इस एनआरसी में कोई दिलचस्पी नहीं है.'' हिमांता बिस्वा सरमा ने कहा, ''बांग्लादेशियों को बाहर निकालने के लिए एनआरसी कोई क्वार्टरफाइनल, सेमीफाइनल और फाइनल नहीं है. थोड़ी देर प्रतीक्षा करें और आप भाजपा शासन के तहत अधिक फाइनल देखेंगे.''