वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को रात में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि लोगों को राज्य सरकारों से पूछना चाहिए कि उनमें से कुछ ने ईंधन की दरों में कटौती क्यों नहीं की है. केंद्र द्वारा हाल ही में उपभोक्ता ईंधन पर उत्पाद शुल्क में कटौती के बाद भी कुछ राज्यों ने पेट्रोल और डीजल पर मूल्य वर्धित कर (वैट) क्यों नहीं कम किया है? उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार पहले ही राज्यों से अपील कर चुकी है और अब यह लोगों को उन पार्टियों से पूछना चाहिए जिनको उन्होंने वोट दिया था. वित्त मंत्री ने कहा, "पेट्रोल और डीजल को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में तब तक शामिल नहीं किया जा सकता जब तक कि जीएसटी परिषद उन्हें शामिल करने के लिए दर तय नहीं करती."
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को कहा कि राज्यों का पूंजीगत व्यय बढ़ाने में मदद करने को केंद्र इस महीने कर हिस्से के तौर पर उन्हें 95,082 करोड़ रुपये की राशि जारी करेगा, जिसमें एक अग्रिम किस्त भी शामिल होगी.
निर्मला सीतारमण ने राज्यों के मुख्यमंत्रियों एवं वित्त मंत्रियों के साथ हुई एक बैठक के बाद संवाददाताओं को बताया कि संकलित कर राजस्व में हिस्सेदारी के तौर पर राज्यों को केंद्र से दी जाने वाली राशि इस बार दोगुनी होगी. इसकी वजह यह है कि राज्यों ने केंद्र से अनुरोध किया था कि एक महीने का अग्रिम भुगतान मिलने से उन्हें पूंजीगत व्यय में सहायता मिलेगी. सीतारमण ने कहा, ‘‘मैंने वित्त सचिव से कहा है कि राज्यों के हिस्से की सामान्य 47,541 करोड़ रुपये की राशि दिए जाने के बजाय 22 नवंबर को उन्हें एक महीने की अग्रिम किस्त भी दे दी जाए. इस तरह राज्यों को उस दिन 95,082 करोड़ रुपये जारी कर दिए जाएंगे.''
उन्होंने कहा कि एक महीने का कर हिस्सा अग्रिम तौर पर मिलने से राज्यों के पास पूंजीगत व्यय के लिए अतिरिक्त राशि होगी जिसका इस्तेमाल वे ढांचागत आधार खड़ा करने में कर सकते हैं.
वित्त सचिव टीवी सोमनाथन ने कहा कि फिलहाल संग्रहीत कर का 41 प्रतिशत राज्यों को 14 किस्तों में दिया जाता है और राज्यों को अपनी नकद आवक के बारे में अनुमान भी होता है. सोमनाथन ने कहा कि यह एक अग्रिम भुगतान होगा और किसी भी तरह का समायोजन मार्च में किया जाएगा.
सीतारमण के साथ हुई इस बैठक में 15 मुख्यमंत्री, जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल और तीन राज्यों के उप-मुख्यमंत्री शामिल हुए. अन्य राज्यों का प्रतिनिधित्व उनके वित्त मंत्रियों ने किया.
सीतारमण ने कहा, ‘‘कोविड-19 की दूसरी लहर के बाद आर्थिक वृद्धि में आई मजबूती के संदर्भ में यह बैठक हुई है. हालांकि यह वक्त वृद्धि को बनाए रखने और इसे दोहरे अंकों में ले जाने के तरीकों पर ध्यान देने का भी है.'' उन्होंने कहा कि इस बैठक में निवेश और विनिर्माण एवं कारोबारी गतिविधियों से संबंधित मुद्दों पर राज्यों की राय जानने की कोशिश भी की गई.
केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि हाल ही में शुरू हुई राष्ट्रीय मौद्रिकरण पाइपलाइन योजना में सिर्फ केंद्र सरकार की परिसंपत्तियां रखी गई हैं और राज्यों की परिसंपत्तियों को इसके दायरे से बाहर रखा गया है. हालांकि, उन्होंने कहा कि राज्यों के पास भी कई ऐसी परिसंपत्तियां हैं जिनका मौद्रिकरण किया जा सकता है. इससे मिलने वाली पूंजी का इस्तेमाल नए आधारभूत ढांचे के निर्माण एवं प्राथमिकता वाले सामाजिक क्षेत्रों में किया जा सकता है.
बैठक के बाद जारी आधिकारिक बयान के मुताबिक वित्त मंत्री ने भारत को आने वाले वर्षों में सबसे तेज उभरती अर्थव्यवस्था बनाने में राज्यों से मदद देने का अनुरोध करते हुए कहा कि निवेश के लिए आकर्षण बढ़ाकर और कारोबारी सुगमता सुनिश्चित करने वाले कदम उठाकर ऐसा किया जा सकता है. बैठक में राज्यों की तरफ से भी निवेश को बढ़ाने के लिए कई सुझाव दिए गए. इसमें निवेश प्रोत्साहन के लिए पारदर्शी व्यवस्था का निर्माण अहम है.
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