एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने शनिवार को दावा किया कि ‘धार्मिक आधार' पर दी गई नागरिकता संविधान के ‘विपरीत' है, जो विवादास्पद संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) का विरोध करने के लिए पर्याप्त कारण है. वह केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह की उन टिप्पणियों पर जवाब दे रहे थे जिनमें उन्होंने कहा था कि विपक्ष इस कानून पर झूठ फैला रहा है. शाह ने कहा था कि यह कानून नागरिकता देने के लिए है, न कि छीनने के लिए. ओवैसी ने कहा कि यदि कोई कानून ‘एक को छोड़कर' छह समूहों को नागरिकता प्रदान करता है तो इसका मतलब केवल नागरिकता देने से मना करना है.
If a law confers citizenship on 6 groups but excludes only 1, then it's a law to deny citizenship
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) January 11, 2020
Shah sb may not like the Constitution, but he has to work within its limits. Citizenship on religious basis is antithetical to our Constitution & that's reason enough to oppose it https://t.co/H44s4cMUwp
ओवैसी ने ट्वीट किया, ‘धार्मिक आधार पर नागरिकता हमारे संविधान के विपरीत है और इसका विरोध करने के लिए यही कारण पर्याप्त है.' इस कानून के अनुसार अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए गैर मुस्लिम शरणार्थी - हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने का पात्र बनाने का प्रावधान है.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं