गाजियाबाद:
सीबीआई के गाज़ियाबाद कोर्ट में क्लोज़र रिपोर्ट दाखिल करने के बाद एक बहुत बड़ा सवाल ये खड़ा हो गया है कि 15 मई 2008 की रात जलवायु विहार के फ्लैट नंबर एल−32 में रात 12 से 6 बजे तक क्या हुआ जिसने देश की सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री को जन्म दे दिया। सीबीआई आरुषि मर्डर की मिस्ट्री के सामने बेबस महसूस कर रही। मर्डर रात 12 से 1 बजे के बीच हुआ। लेकिन राजेश तलवार दंपति ने पुलिस को 7 बजे खबर दी। सीबीआई छह घंटे जलवायु विहार के इस घर में क्या हुआ इस पर से पर्दा नहीं उठ पाई। सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट में 15 मई 2008 की रात के सीक्वेंस में कहा गया है… −15 मई को साढ़े नौ बजे राजेश तलवार घर लौटे −इसी दिन रात डॉ. राजेश तलवार ने 11.57 तक इंटरनेट पर काम किया। −15 मई 2008 की रात 12 से 1 बजे के बीच आरुषि और हेमराज की हत्या हुई। −फिर 12 से 6 बजे के बीच में ऐसा क्या हुआ कि डॉ. राजेश तलवार को भनक नहीं लगी और दो मर्डर हो गए। −सुबह छह बजे नौकरानी भारती आई। −हर दिन हेमराज दरवाजा खोलता था लेकिन उस दिन खुद नुपूर चाभी लेकर आई। भारती जब अंदर आई तो उसने देखा कि कमरे में आरुषि की लाश पड़ी थी। फिर 7 बजकर 15 मिनट में पुलिस को खबर की गई लेकिन जब पुलिस ने घर की छत जाने की बात कही तो राजेश तलवार ने चाभी देने के बजाए हेमराज को बाहर खोजने को कहा जबकि सीढ़ियों पर खून के धब्बे पड़े थे। लेकिन, दूसरे दिन हेमराज की लाश राजेश तलवार के घर की छत से बरामद हुई। पुलिस की देरी से यहां से सबूत नहीं मिल पाए। तो क्या पुलिस की जांच में खामी थी या फिर क़ातिल इतना चालाक था कि 12 से छह बजे के बीच में उसने कत्ल के हर राज को खत्म कर दिया था। सीबीआई की क्लोज़र रिपोर्ट में तीनों नौकर कृष्णा राजकुमार और मंडल को क्लीन चिट दे दी गई। इसमें ये भी कहा गया है कि इन तीनों की बात तक हेमराज से उस रात नहीं हुई थी। आखिर क्यों सीबीआई के शक की सुई तलवार परिवार पर जाती है।
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सीबीआई, राजेश तलवार, ऊंगली