नई दि्ल्ली:
सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा रॉय ने यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाली राष्ट्रीय सलाहकार परिषद (एनएसी) में अगला कार्यकाल नहीं लेने का फैसला किया है। उनका कार्यकाल शुक्रवार को समाप्त हो रहा है।
अरुणा ने मनरेगा के तहत कामगारों को न्यूनतम वेतन देने को लेकर एनएसी की सिफारिशों को नहीं मानने के लिए सरकार की आलोचना भी की है। अरुणा ने एनएसी अध्यक्ष सोनिया को पत्र लिखकर आग्रह किया था कि उन्हें एनएसी में एक और कार्यकाल देने पर विचार नहीं किया जाना चाहिए। सोनिया ने उनके आग्रह को मान लिया है।
अरुणा रॉय ने सोनिया को लिखे पत्र में कहा, मैं आपकी आभारी हूं कि आपने मेरा आग्रह स्वीकार किया और यह आश्वासन भी दिया कि एनएसी के बाहर सामाजिक क्षेत्र में जो भी अभियान चलाए जाएंगे, आप उनका समर्थन जारी रखेंगी। उन्होंने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून (मनरेगा) के तहत कामगारों को मिलने वाले न्यूनतम वेतन को लेकर एनएसी की सिफारिशों को नहीं मानने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय की आलोचना भी की।
उन्होंने कहा कि यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि प्रधानमंत्री ने मनरेगा कामगारों को न्यूनतम वेतन के भुगतान को लेकर एनएसी की सिफारिशों को नामंजूर कर दिया और कर्नाटक उच्च न्यायालय के उस फैसले के खिलाफ अपील में जाने का फैसला किया, जिसमें मनरेगा कामगारों को न्यूनतम वेतन देने के लिए कहा गया था। उन्होंने कहा कि वह मनरेगा में न्यूनतम वेतन कानून का सरकार से सम्मान कराने के प्रयास एनएसी से बाहर जारी रखेंगी।
अरुणा ने मनरेगा के तहत कामगारों को न्यूनतम वेतन देने को लेकर एनएसी की सिफारिशों को नहीं मानने के लिए सरकार की आलोचना भी की है। अरुणा ने एनएसी अध्यक्ष सोनिया को पत्र लिखकर आग्रह किया था कि उन्हें एनएसी में एक और कार्यकाल देने पर विचार नहीं किया जाना चाहिए। सोनिया ने उनके आग्रह को मान लिया है।
अरुणा रॉय ने सोनिया को लिखे पत्र में कहा, मैं आपकी आभारी हूं कि आपने मेरा आग्रह स्वीकार किया और यह आश्वासन भी दिया कि एनएसी के बाहर सामाजिक क्षेत्र में जो भी अभियान चलाए जाएंगे, आप उनका समर्थन जारी रखेंगी। उन्होंने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून (मनरेगा) के तहत कामगारों को मिलने वाले न्यूनतम वेतन को लेकर एनएसी की सिफारिशों को नहीं मानने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय की आलोचना भी की।
उन्होंने कहा कि यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि प्रधानमंत्री ने मनरेगा कामगारों को न्यूनतम वेतन के भुगतान को लेकर एनएसी की सिफारिशों को नामंजूर कर दिया और कर्नाटक उच्च न्यायालय के उस फैसले के खिलाफ अपील में जाने का फैसला किया, जिसमें मनरेगा कामगारों को न्यूनतम वेतन देने के लिए कहा गया था। उन्होंने कहा कि वह मनरेगा में न्यूनतम वेतन कानून का सरकार से सम्मान कराने के प्रयास एनएसी से बाहर जारी रखेंगी।
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