अरुण जेटली का पलटवार, बोले राहुल गांधी को पूछना चाहिए सोहराबुद्दीन मामले में जांच का किसने किया सत्यानाश

मुंबई की स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने सोहराबुद्दीन मामले में सभी आरोपियों को बरी कर दिया था. 

अरुण जेटली का पलटवार, बोले राहुल गांधी को पूछना चाहिए  सोहराबुद्दीन मामले में जांच का किसने किया सत्यानाश

नई दिल्ली:

सोहराबुद्दीन मामले पर सियासी घमासान का दौर जारी है. कोर्ट के फैसले के बाद जहां कांग्रेस सीधे तौर पर टिप्पणी करने से बच रही थी और इशारों में कटाक्ष कर रही थी. वहीं बीजेपी इस पर खुलकर सामने आ गई है. सोहराबुद्दीन मामले में कांग्रेस पर पलटवार करते हुए वित्त मंत्री अरूण जेटली ने कहा कि पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी के लिये पूछने वाला उचित सवाल यह होता कि इस मामले में जांच का किसने सत्यानाश किया. मुंबई के स्पेशल सीबीआई जज ने सोहराबुद्दीन मामले में सभी आरोपियों को बरी कर दिया था. 

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अरुण जेटली ने कहा, ''आरोपियों को बरी करने के आदेश से ज्यादा प्रासंगिक जज का यह स्टेटमेंट है जिसमें उन्होंने कहा था कि शुरुआत से ही जांच एजेंसी ने सच का पता लगाने के लिये पेशेवर तरीके से मामले की जांच नहीं की, बल्कि कुछ नेताओं की तरफ इसका रुख मोड़ने की कोशिश की.'' बता दें कि मामले में फैसला आने पर राहुल गांधी ने कहा था, ''किसी ने भी सोहराबुद्दीन की हत्या नहीं की'' जेटली ने कहा, ''यह उचित होता अगर उन्होंने यह सवाल पूछा होता कि किसने सोहराबुद्दीन मामले में जांच का सत्यानाश किया तो उन्हें सही जवाब मिलता.'' 

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जेटली ने ‘हू किल्ड द सोहराबुद्दीन इन्वेस्टिगेशन'शीर्षक से अपने फेसबुक पोस्ट में कहा कि जिन लोगों ने हाल में संस्थाओं की आजादी को लेकर चिंता जताई थी, उन्हें गंभीरता से आत्ममंथन करना चाहिये कि जब वे सत्ता में थे तो उन्होंने सीबीआई के साथ क्या किया था. राज्यसभा में सदन के नेता जेटली ने कहा कि उन्होंने 27 सितंबर 2013 को तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखा था जिसमें सोहराबुद्दीन, तुलसी प्रजापति, इशरत जहां, राजिंदर राठौड़ और हरेन पांड्या मामलों में जांच के राजनीतिकरण का ब्योरा दिया था.

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जेटली के अनुसार, ‘‘पत्र में जो कुछ भी मैंने कहा है वह अगले पांच सालों में सही साबित हुआ है. हमारी जांच एजेंसियों के साथ कांग्रेस ने क्या किया, उसका यह जीता जागता सबूत है. इस महीने की शुरूआत में स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने सोहराबुद्दीन मामले में सभी 22 आरोपियों को बरी कर दिया था. कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए यह भी कहा था कि सीबीआई ने सोहराबुद्दीन शेख, उसकी पत्नी कौसर बी और उनके सहायक तुलसी प्रजापति की कथित फर्जी मुठभेड़ों में हत्या के मामले की जांच नेताओं को फंसाने के लिये ‘पूर्व कल्पित और पूर्व नियोजित' तरीके से की.