फाइल फोटो
नई दिल्ली:
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट में रक्षा अधिकारियों और गोला बारूद की उपलब्धता पर उठाए गए सवालों के मद्देनजर रक्षा मंत्री अरूण जेटली ने आज लोकसभा में कहा कि भारतीय सशस्त्र सेनाएं किसी भी आपात स्थिति से निपटने के पूरी तरह लैस हैं. सीएजी में कुछ रक्षा अधिकारियों के संबंध में की गयी नकारात्मक टिप्पणियों के मद्देनजर उनके खिलाफ कार्रवाई किए जाने के संबंध में जेटली ने कहा,‘ संसदीय प्रक्रिया के अनुसार सीएजी की रिपोर्ट संसद के पटल पर रखे जाने के बाद लोक लेखा समिति (पीएसी ) को भेजी जाती है और पीएसी उसके बाद अपनी टिप्पणियों के साथ अपनी रिपोर्ट सरकार को भेजती है. इसके बाद सरकार कार्रवाई करती है. यदि पीएसी की सिफारिशों के अनुसार कार्रवाई की जरूरत महसूस की गयी तो सरकार निश्चित रूप से कार्रवाई करेगी.’
खरीद प्रक्रिया का विकेंद्रीकरण : उन्होंने लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान कहा कि सीएजी ने वर्ष 2012 -13 से लेकर 2016 की समयावधि को लेकर अपनी टिप्पणी की हैं जो रक्षा सेनाओं में गोला बारूद की उपलब्धता को लेकर है. उन्होंने कहा कि गोला बारूद की उपलब्धता को सुगम बनाने के लिए खरीद प्रक्रिया का विकेन्द्रीकरण किया गया है और सैन्य प्रमुख को भी इस बारे में कुछ अधिकार दिए गए हैं.
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किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार : लेकिन उन्होंने साथ ही स्पष्ट किया कि भारतीय सशस्त्र सेनाएं किसी भी आपात स्थिति से निपटने के पूरी तरह लैस हैं. उन्होंने साथ ही कहा कि सरकार ने रक्षा क्षेत्र में रणनीतिक भागीदारी संबंधी नीति को अंतिम रूप दिया है जिसके तहत एक पारदर्शी, वस्तुनिष्ठ तथा कार्यात्मक तंत्र को लागू करने का लक्ष्य है. रक्षा मंत्री ने कहा कि बड़े रक्षा प्लेटफार्मो और विमान, पनडुब्बियों, हेलिकाप्टरों तथा कवच वाहनों के विनिर्माण में सार्वजनिक क्षेत्र के रक्षा उपक्रमों के अलावा निजी क्षेत्र की व्यापक भागीदारी को भी प्रोत्साहन देने पर सरकार काम कर रही है.
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रक्षा क्षेत्र में स्वदेशी योगदान बढ़ा: उन्होंने कहा कि यह भी एक सचाई है कि भारत की भौगोलिक परिस्थिति को देखते हुए हमें विदेशों से भी रक्षा उपकरण मंगाने पड़ते हैं लेकिन अब देश के भीतर रक्षा उत्पादन इकाइयों में स्वदेशी योगदान 50 से 85 और 90 फीसदी तक बढ़ रहा है और आगे भी हर प्लेटफार्म पर एक निजी कंपनी को उत्पादन प्रक्रिया में शामिल किया जा रहा है. देश की रक्षा सेनाओं की गोला बारूद की जरूरत, उत्पादन और कमी के संबंध में एक सदस्य द्वारा किए गए सवाल के जवाब में जेटली ने कहा कि व्यापक हित में इस प्रकार की सूचना का खुलासा नहीं किया जा सकता.
Video : सीएजी की चौंकाने वाली रिपोर्ट
'कोई भी रक्षा आयुध निर्माणी बंद नहीं होगी , कोई बेरोजगार नहीं होगा'
रक्षा राज्य मंत्री सुभाष भामरे ने आज लोकसभा में कहा कि कोई भी रक्षा आयुध निर्माणी (आर्डेनेंस फैक्ट्र्री ) बंद नहीं की जाएगी और कोई भी बेरोजगार नहीं होगा. भामरे ने सदन में प्रश्नकाल के दौरान सदस्यों के सवालों के जवाब में यह जानकारी दी. उन्होंने साथ ही बताया कि रक्षा उत्पादन क्षेत्र में निजी रक्षा उद्योग के आधार को बढ़ाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि 1990 से रक्षा उत्पादन क्षेत्र को निजी कंपनियों के लिए खोला गया लेकिन उनका कोई बहुत ज्यादा योगदान नहीं रहा था. निजी क्षेत्र का कहना था कि उन्हें समान मंच उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। लेकिन अब सरकार इस दिशा में व्यापक कदम उठा रही है और 25 ऐसी कंपनियों की पहचान की गयी है जो रक्षा क्षेत्र के विभिन्न प्लेटफार्मो पर शामिल होंगी.
इनपुट : भाषा
खरीद प्रक्रिया का विकेंद्रीकरण : उन्होंने लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान कहा कि सीएजी ने वर्ष 2012 -13 से लेकर 2016 की समयावधि को लेकर अपनी टिप्पणी की हैं जो रक्षा सेनाओं में गोला बारूद की उपलब्धता को लेकर है. उन्होंने कहा कि गोला बारूद की उपलब्धता को सुगम बनाने के लिए खरीद प्रक्रिया का विकेन्द्रीकरण किया गया है और सैन्य प्रमुख को भी इस बारे में कुछ अधिकार दिए गए हैं.
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किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार : लेकिन उन्होंने साथ ही स्पष्ट किया कि भारतीय सशस्त्र सेनाएं किसी भी आपात स्थिति से निपटने के पूरी तरह लैस हैं. उन्होंने साथ ही कहा कि सरकार ने रक्षा क्षेत्र में रणनीतिक भागीदारी संबंधी नीति को अंतिम रूप दिया है जिसके तहत एक पारदर्शी, वस्तुनिष्ठ तथा कार्यात्मक तंत्र को लागू करने का लक्ष्य है. रक्षा मंत्री ने कहा कि बड़े रक्षा प्लेटफार्मो और विमान, पनडुब्बियों, हेलिकाप्टरों तथा कवच वाहनों के विनिर्माण में सार्वजनिक क्षेत्र के रक्षा उपक्रमों के अलावा निजी क्षेत्र की व्यापक भागीदारी को भी प्रोत्साहन देने पर सरकार काम कर रही है.
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रक्षा क्षेत्र में स्वदेशी योगदान बढ़ा: उन्होंने कहा कि यह भी एक सचाई है कि भारत की भौगोलिक परिस्थिति को देखते हुए हमें विदेशों से भी रक्षा उपकरण मंगाने पड़ते हैं लेकिन अब देश के भीतर रक्षा उत्पादन इकाइयों में स्वदेशी योगदान 50 से 85 और 90 फीसदी तक बढ़ रहा है और आगे भी हर प्लेटफार्म पर एक निजी कंपनी को उत्पादन प्रक्रिया में शामिल किया जा रहा है. देश की रक्षा सेनाओं की गोला बारूद की जरूरत, उत्पादन और कमी के संबंध में एक सदस्य द्वारा किए गए सवाल के जवाब में जेटली ने कहा कि व्यापक हित में इस प्रकार की सूचना का खुलासा नहीं किया जा सकता.
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'कोई भी रक्षा आयुध निर्माणी बंद नहीं होगी , कोई बेरोजगार नहीं होगा'
रक्षा राज्य मंत्री सुभाष भामरे ने आज लोकसभा में कहा कि कोई भी रक्षा आयुध निर्माणी (आर्डेनेंस फैक्ट्र्री ) बंद नहीं की जाएगी और कोई भी बेरोजगार नहीं होगा. भामरे ने सदन में प्रश्नकाल के दौरान सदस्यों के सवालों के जवाब में यह जानकारी दी. उन्होंने साथ ही बताया कि रक्षा उत्पादन क्षेत्र में निजी रक्षा उद्योग के आधार को बढ़ाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि 1990 से रक्षा उत्पादन क्षेत्र को निजी कंपनियों के लिए खोला गया लेकिन उनका कोई बहुत ज्यादा योगदान नहीं रहा था. निजी क्षेत्र का कहना था कि उन्हें समान मंच उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। लेकिन अब सरकार इस दिशा में व्यापक कदम उठा रही है और 25 ऐसी कंपनियों की पहचान की गयी है जो रक्षा क्षेत्र के विभिन्न प्लेटफार्मो पर शामिल होंगी.
इनपुट : भाषा
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