नियंत्रण रेखा (LoC) के पार 16 से ज्यादा आतंकी कैंप सक्रिय है. भारतीय खुफिया एजेंसियों के अनुसार इस वक्त पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के अंदर 16 आतंकी ट्रेनिंग कैंप सक्रिय हैं, जहां आतंकियों को कश्मीर घाटी में घुसपैठ करने का पाठ पढ़ाया जा रहा है. इस बारे में सेना का कहना है कि आतंकवादी समूह जैश-ए-मोहम्मद को पुलवामा हमले के बाद जबर्दस्त झटका लगा है. इसी के चलते अब उसे कश्मीर घाटी में स्थानीय युवाओं का कोई समर्थन नहीं मिल रहा है. पुलवामा हमले में क्योंकि उसका नेतृत्व और कैडर को एक लक्षित अभियान द्वारा समाप्त कर दिया गया है.
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सेना के एक अधिकारी ने कहा, 'खुफिया एजेंसियों से मिल रही रिपोर्टों के अनुसार घाटी के उस तरफ 16 आतंकवादी प्रशिक्षण शिविर हैं जो पिछले कुछ महीनों से सक्रिय हैं. घुसपैठ का मौसम अभी शुरू होने वाला है इसलिए ओर अधिक शिविर सक्रिय होने की प्रक्रिया में हैं.' उन्होंने आगे कहा, 'पाकिस्तान सेना और आईएसआई द्वारा की जा रही यह पूरी कवायद हमारी निगरानी में है और हम अपनी तरफ से किसी भी दुस्साहस से निपटने के लिए नियंत्रण रेखा और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर तैयार हैं.'
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वहीं सेना जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों के मौजूदा नेतृत्व को खत्म करने के लिए युद्ध स्तर पर काम कर रही है, क्योंकि पुलवामा ऑपरेशन के दौरान वहां लगभग पूरे जैश नेतृत्व का सफाया हो चुका है. आतंकवादी समूहों को भी पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया गया है. इसीलिए जाकिर मूसा की सेना के साथ मुठभेड़ में मौत के बाद ज्यादा लोग उसके समर्थन में नहीं आए हैं. सूत्रों के अनुसार, 'घाटी में सक्रिय आंतकी समूह भी मूसा की मौत की बुरहान वानी की मौत की तरह उत्तेजना में बदल में नाकामयाब रहे हैं. पुलवामा हमले और मूसा की मौत के बाद लोगों को इस बात का एहसास होने लगा कि इससे उन्हें ओर ज्यादा नुकसान हो सकता है.'
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सेना के एक अधिकारी ने आईएसआईएस की भारत में घुसने की कोशिश के बारे में कहा कि वे कश्मीर घाटी में पैर जमाने की कोशिश कर रहे हैं. सेना और अन्य एजेंसियां यह सुनिश्चित करने के लिए काम कर रही हैं कि आईएसआईएस किसी भी सूरत में भारत में न घुस पाए. इसीलिए सुरक्षा एजेंसियां उनके सभी प्रयासों को नाकाम करने में लगी हुई है और लगातार उन पर नजर बनाए हुए है. हालांकि इस्लामिक स्टेट से जुड़े कुछ युवा इस्लामिक स्टेट के झंडे तले एकत्रित हुए हैं और कश्मीर में संगठन की अन्य प्रचार सामग्री वितरित कर रहे हैं, लेकिन वे अपनी मुहीम सफल नहीं हो सके हैं. हालांकि भारतीय सेना और अन्य सरकारी सुरक्षा एजेंसियां यह सुनिश्चित करने के लिए लगातार काम कर रही हैं कि इस्लामिक स्टेट के इशारे पर काम करने वाले जिहादी समूह किसी भी कीमत पर कश्मीर में आतंकवादी संगठन के प्रभाव को फैलाने में सफल न हों.
(इनपुटः एएनआई)
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