कृषि कानून बिल और जमीन अधिग्रहण के खिलाफ अब गाजियाबाद के मंडोला विहार में किसानों का एक और धरना प्रदर्शन का मोर्चा खुल गया है. यहां पर छह गांवों के सैंकड़ों किसान कब्र खोद कर धरने पर बैठे हैं. गाजियाबाद के मंडोला विहार में दो दर्जन किसानों का अनोखे तरह से आमरण अनशन चल रहा है. मंडोला विहार की बहुमंजिला आवासिए कॉलोनी के सामने पास के छह गांवों के किसान ‘आवास विकास परिषद' के भूमि अधिग्रहण के खिलाफ कई महीनों से प्रदर्शन कर रहे हैं.
मंडोला और आसपास के छह गांवों के किसानों से करीब 2600 एकड़ से ज्यादा की जमीन ‘आवास विकास परिषद' ने 2000 में अधिग्रहण किया था. लेकिन अब इस आंदोलन की बागडोर अलीगढ़ के टप्पल में जमीन अधिग्रहण के खिलाफ आंदोलन कर चुके मनवीर तेवतिया के हाथों में आने की फिर चर्चा है. आपको बता दें कि मनवीर तेवतिया का राकेश टिकैत से छत्तीस का आंकड़ा है, लिहाजा वो कहते हैं कि कृषि कानून में संशोधन और मंडोला के किसानों को जमीन का मुआवजा देने में गड़बड़ी के खिलाफ वो आमरण अनशन कर रहे हैं.
तेवतिया ने कहा कि, ‘जो आंदोलन दिल्ली में चल रहा है, वो लोगों को कष्ठ दे रहा है. बॉर्डर बंद होने से लोगों को परेशानी हो रही है. बक्कल उतार देंगे. गोला लाठी देंगे. ये अभद्र भाषा है. ये आंदोलन नहीं है. कब्र बनाकर धरना देने वालों में एक किसान नीरज त्यागी भी हैं. मंडोला गांव के नीरज की 60 बीघे जमीन भी अधिग्रहण में चली गई है. उनका आरोप है कि 1100 रुपए मीटर के हिसाब से उनको जबरन मुआवजा दिया गया, अब उस जमीन को 40 हजार रुपए मीटर के हिसाब से ‘आवास विकास परिषद' बेच रही है.
उनका कहना है कि, ‘हमारी सारी जमीन को जबरदस्ती अधिग्रहित कर लिया गया है. 2006 में निर्माण पर रोक लगी, लेकिन हम पांच साल से आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं है.' दरअसल, मंडोला विहार में धरने पर बैठे किसानों की मांग है कि जमीन का मुआवजा 4400 रुपए मीटर मिले. इस बीच, प्रशासन इन किसानों का धरना खत्म करवाने की लगातार कोशिश कर रही है. दो राउंड की बातचीत भी प्रशासन के साथ हो चुकी है लेकिन फिलहाल कोई हल नहीं निकला है.
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