नई दिल्ली:
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग और राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्षों को संसद सदस्य होने के नाते लाभ के पद से छूट प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त करने वाले विधेयक को संसद ने मंजूरी दे दी।
संसद निर्हता निवारण संशोधन विधेयक 2013 राज्यसभा में पहले ही पारित हो चुका है। लोकसभा ने विधि मंत्री कपिल सिब्बल द्वारा पेश इस विधेयक को बिना चर्चा के पारित कर दिया।
विधेयक राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग और राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्षों को संसद सदस्य होने के नाते लाभ के पद से छूट प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त करता है।
इस विधेयक के जरिए संसद निर्हता निवारण कानून 1959 में संशोधन किया गया है जिसकी धारा 3 में भारत सरकार या किसी राज्य सरकार को लाभ के पद की सूची में संशोधन करने का प्रावधान है।
संविधान (89वें संशोधन) अधिनियम 2003 के तहत राष्ट्रीय अनुसूचित जाति और जनजाति आयोग को दो भागों में बांटा गया। इसके तहत राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग और राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग बना और संविधान में एक नया अनुच्छेद 338ए जुड़ा।
संसद निर्हता निवारण संशोधन विधेयक 2013 राज्यसभा में पहले ही पारित हो चुका है। लोकसभा ने विधि मंत्री कपिल सिब्बल द्वारा पेश इस विधेयक को बिना चर्चा के पारित कर दिया।
विधेयक राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग और राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्षों को संसद सदस्य होने के नाते लाभ के पद से छूट प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त करता है।
इस विधेयक के जरिए संसद निर्हता निवारण कानून 1959 में संशोधन किया गया है जिसकी धारा 3 में भारत सरकार या किसी राज्य सरकार को लाभ के पद की सूची में संशोधन करने का प्रावधान है।
संविधान (89वें संशोधन) अधिनियम 2003 के तहत राष्ट्रीय अनुसूचित जाति और जनजाति आयोग को दो भागों में बांटा गया। इसके तहत राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग और राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग बना और संविधान में एक नया अनुच्छेद 338ए जुड़ा।
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