अहमदनगर :महाराष्ट्र::
भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के अगुवा अन्ना हजारे ने गुरुवार को राजनीतिक और आपराधिक ताकतों पर आरोप लगाते हुए कहा कि यह ताकतें लोकपाल विधेयक के पक्ष में हो रहे देशव्यापी आंदोलन को बदनाम और आलोचना कर, इसे कमजोर करने की कोशिश कर रही हैं। यहां से 40 किलोमीटर दूर रालेगन सिद्धी गांव से हजारे ने बताया हाल में आम जनता की जागरूकता और जन लोकपाल विधेयक को मिले भारी समर्थन से कुछ राजनीतिक और आपराधिक ताकतें चिंतित हो गई हैं। वे लोग भ्रष्टाचार के खिलाफ जनता के इस आंदोलन को निष्क्रिय करने के लिए अफवाहें फैलाने का प्रयास कर रहे हैं। उनके द्वारा राजनीतिक नेताओं को लेकर दिये गये बयान पर हो रही आलोचनाओं पर सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा कि उन्होंने कभी भी भारत के सभी राजनेताओं को भ्रष्ट नहीं कहा। उन्होंने कहा वहां सभी स्तरों पर बहुत कम अपवाद हैं। लेकिन उन अपवादों का तभी सम्मान किया जा सकता है जब वह अपने नजदीक हो रहे भ्रष्टाचार की जानकारी होने पर उसके खिलाफ आवाज उठाए। भ्रष्टाचार पर चुप रहना भी भ्रष्टाचार का समर्थन करना है और जो राजनेता इस श्रेणी में आते हैं देश के लिए वास्तव में उनका कोई उपयोग नहीं है। मतदाताओं को कथित तौर पर भ्रष्ट और बेईमान कहने के कारण भी हजारे को कांग्रेस और राकांपा की कड़ी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है। इस मामले में 73 वर्षीय गांधीवादी समाजसेवी ने कहा कि इस देश के मतदाताओं के चरित्र को बदनाम करने के लिए राजनीतिक पार्टी और राजनेता जिम्मेदार हैं। राजनेता सामान्य तौर पर बड़ी मात्रा में काले धन का इस्तेमाल सत्ता और चुनाव के दौरान मतदाताओं को पैसा बांटने के लिए करते हैं। उन्होंने सवाल किया क्या आज गुण संपन्न और अच्छे नैतिक गुणों वाले प्रत्याशी बगैर भारी मात्रा में काले धन के चुनाव में जीत हासिल कर सकते हैं। गुजरात और बिहार के मुख्यमंत्री क्रमश: नरेन्द्र मोदी और नीतीश कुमार की प्रशंसा के कारण हमला झेल रहे अन्ना हजारे ने कहा कि उन्होंने सिर्फ इनके विकास कार्यों की प्रशंसा की और साथ ही कहा कि उन्होंने 1984 के दंगों सहित सभी सांप्रदायिक दंगों की निंदा की है। लोकपाल विधेयक के मसौदे को तैयार करने के लिए बनी समिति की 16 अप्रैल को होने वाली पहली बैठक में शामिल होने के लिए हजारे कल दिल्ली के लिए रवाना होंगे।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं