
नई दिल्ली:
आईआईटी बंबई के संचालक मंडल के अध्यक्ष अनिल काकोदकर ने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि उन्होंने इसलिए इस्तीफा दिया, क्योंकि वह आईआईटी के निदेशकों की चयन प्रक्रिया में शामिल नहीं रहना चाहते थे, जो लॉटरी चलाने की तरह है।
जाने-माने परमाणु विज्ञानी काकोदकर ने आईआईटी दिल्ली के निदेशक रघुनाथ के शेवगांवकर के इस्तीफे को लेकर मानव संसाधन विकास मंत्रालय से अपनी असहजता भी जाहिर करते हुए कहा कि शेवगांवकर सम्मानित विद्वान हैं, जिनके आत्मसम्मान को काफी ठेस पहुंची है और उन्हें सम्मान के साथ विदा करना चाहिए था।
काकोदकर ने एनडीटीवी को दिए इंटरव्यू में आईआईटी निदेशकों की चयन प्रक्रिया में उनके शामिल होने की खबरों को खुद पर कीचड़ उछालने वाला बताते हुए इन पर अफसोस जाहिर किया।
उन्होंने कहा, मैं फिर से शामिल नहीं हुआ हूं। मैं समिति में फिर नहीं गया। उन्होंने कहा कि आईआईटी के संचालक मंडल के अध्यक्ष के रूप में उनका कार्यकाल इस महीने समाप्त हो रहा है और वह अन्य तरह के कार्यों से जुड़े हुए हैं, लेकिन चयन प्रक्रिया से नहीं।
काकोदकर ने कहा, ‘‘बात यह है कि आप 36 लोगों में से तीन आईआईटी निदेशकों के चयन पर छह-सात घंटे की प्रक्रिया में फैसला नहीं कर सकते। मुझे इस बात से कोफ्त हुई कि प्रक्रिया में सब कुछ दरकिनार कर दिया गया। जब आपने सब कुछ दरकिनार कर दिया, तो आप इस तरह से फैसला कर रहे हैं जैसे कि आप लॉटरी चला रहे हैं।
जाने-माने परमाणु विज्ञानी काकोदकर ने आईआईटी दिल्ली के निदेशक रघुनाथ के शेवगांवकर के इस्तीफे को लेकर मानव संसाधन विकास मंत्रालय से अपनी असहजता भी जाहिर करते हुए कहा कि शेवगांवकर सम्मानित विद्वान हैं, जिनके आत्मसम्मान को काफी ठेस पहुंची है और उन्हें सम्मान के साथ विदा करना चाहिए था।
काकोदकर ने एनडीटीवी को दिए इंटरव्यू में आईआईटी निदेशकों की चयन प्रक्रिया में उनके शामिल होने की खबरों को खुद पर कीचड़ उछालने वाला बताते हुए इन पर अफसोस जाहिर किया।
उन्होंने कहा, मैं फिर से शामिल नहीं हुआ हूं। मैं समिति में फिर नहीं गया। उन्होंने कहा कि आईआईटी के संचालक मंडल के अध्यक्ष के रूप में उनका कार्यकाल इस महीने समाप्त हो रहा है और वह अन्य तरह के कार्यों से जुड़े हुए हैं, लेकिन चयन प्रक्रिया से नहीं।
काकोदकर ने कहा, ‘‘बात यह है कि आप 36 लोगों में से तीन आईआईटी निदेशकों के चयन पर छह-सात घंटे की प्रक्रिया में फैसला नहीं कर सकते। मुझे इस बात से कोफ्त हुई कि प्रक्रिया में सब कुछ दरकिनार कर दिया गया। जब आपने सब कुछ दरकिनार कर दिया, तो आप इस तरह से फैसला कर रहे हैं जैसे कि आप लॉटरी चला रहे हैं।
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