अगस्त माह से कांग्रेस में नेतृत्व के मसले पर सार्वजनिक तौर पर असंतोष के इजहार का मुद्दा चर्चा का विषय रहा है. ऐसा नहीं है कि यह असंतोष पार्टी के चुनावों में प्रदर्शन को लेकर ही है, वरिष्ठ नेताओं की ओर से पार्टी की नीतियों को लेकर भी सवाल खड़े किए गए हैं. कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में से एक, आनंद शर्मा (Anand Sharma) ने मंगलवार को ट्वीट करके कहा कि चीन की अगुवाई में हुई दुनिया की सबसे बड़ी स्वतंत्र व्यापार डील, RCEP से दूर रहना 'पीछे की ओर कदम बढ़ाने' जैसा था. केंद्रीय मंत्री रह चुके शर्मा का यह बयान पार्टी के एक अन्य सीनियर नेता कपिल सिब्बल (Kapil Sibal)की पार्टी नेतृत्व की आलोचना के बाद आया है.
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गौरतलब है कि बिहार चुनाव में कांग्रेस पार्टी के कमजोर प्रदर्शन को लेकर सिब्बल ने सार्वजनिक तौर पर अपनी बात रखते हुए कांग्रेस नेतृत्व को आड़े हाथ लिया था और सांगठनिक स्तर पर अनुभवी और राजनीतिक हकीकत को समझने वाले लोगों को आगे लाने की मांग की थी. पार्टी नेतृत्व पर बिना लागलपेट के आलोचना करते हुए सिब्बल ने कहा था कि आत्मचिंतन का समय खत्म हो गया है. सिब्बल ने एक अंग्रेजी अखबार से बातचीत में कहा था, हमें कई स्तरों पर कई चीजें करनी हैं. संगठन के स्तर पर, मीडिया में पार्टी की राय रखने को लेकर, उन लोगों को आगे लाना-जिन्हें जनता सुनना चाहती है. साथ ही सतर्क नेतृत्व की जरूरत है, जो बेहद एहितयात के साथ अपनी बातों को जनता के सामने रखे. सिब्बल ने कहा, पार्टी को स्वीकार करना होगा कि हम कमजोर हो रहे हैं.
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India's decision of not joining Regional Comprehensive Economic Partnership (RCEP) is unfortunate and ill advised. It is in India's strategic and economic interests to be a part of the process of Asia- Pacific integration.
— Anand Sharma (@AnandSharmaINC) November 17, 2020
Withdrawal has negated years of persuasive negotiations for India to be accepted as part of RCEP. We could have negotiated safeguards to protect our interests. Keeping out of the RCEP is a backward leap.
— Anand Sharma (@AnandSharmaINC) November 17, 2020
गौरतलब है कि रीजनल काम्प्रिहेंसिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप यानी RCEP में चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया के अलावा 10 दक्षिण पूर्वी एशियाई इकोनॉमी शामिल हैं, इस पर रविवार को वर्चुअली हस्ताक्षर हुए. वैश्विक GDP में इसके सदस्य देशों की हिस्सेदारी 30 फीसदी के आसपास है और RCEP को चीन के क्षेत्र में प्रभुत्व स्थापित करने की बड़ी कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है. भारत ने पिछले साल कहा था कि वह इस डील से अलग रहेगा हालांकि उसने इससे किसी भी वक्त जुड़ने का विकल्प खुला रखा है. कांग्रेस ऐसी पहली सियासी पार्टी थी जिसने भारत के इस ट्रेड ब्लॉक से जुड़ने को लेकर चिंता जताई और सावधानी बरतने की सलाह दी थी. नरेंद्र मोदी ने यह कहते हुए डील को दरकिनार कर दिया कि इसके कारण देश में सस्ती चीनी सामान की 'बाढ़' आ जाएगी और यह बड़े और छोटे निर्माताओं के खिलाफ जाएगा.
मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार में वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा अब कह रहे हैं कि यह फैसला गलत था और भारत को इस मामले में अपने हितों का ध्यान रखना चाहिए था. अपने इस पोस्ट के जरिये आनंद शर्मा ने कांग्रेस की आधिकारिक पोजीशन से अलग राय जता दी है, जो आने दिनों में पार्टी के लिए और विवाद का विषय बन सकती है.
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