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This Article is From Feb 19, 2021

..फिर उस गांव में किसी ने बेटी का नाम 'शबनम' नहीं रखा, जानें फांसी की सजा पाने वाली युवती के मामले से जुड़ी बातें..

शबनम की फांसी के लिए मथुरा जेल तैयार है. महिलाओं की फांसी का वहां इंतजाम है, फांसीघर की सफाई कर दी गई है, फांसी के लिए बक्‍सर की खास रस्‍सी मंगाई गई है.

..फिर उस गांव में किसी ने बेटी का नाम 'शबनम' नहीं रखा, जानें फांसी की सजा पाने वाली युवती के मामले से जुड़ी बातें..
शबनम को मथुरा की जेल में फांसी दी जाएगी (प्रतीकात्‍मक फोटो)

उत्‍तर प्रदेश के अमरोहा के शबनम, देश की पहली महिला होगी जिसे फांसी होने वाली है. शबनम बिन ब्‍याहे गर्भवती थी. घरवाले उससे नाराज थे तो उसने अपने प्रेमी के साथ मिलकर मां-बाप, भाई-भाभी समेत घर के सात लोगों को कुल्‍हाड़ी से काट दिया था. उसे फांसी की सजा हुई है, जिसके लिए मथुरा जेल का फांसीघर तैयार है. उसके गांव वाले बताते हैं कि इस कांड के बाद गांव में किसी ने भी अपनी बेटी का नाम शबनम नहीं रखा. शबनम जवानी में रामपुर की जेल में जिंदगी की आखिरी घड़ि‍या गिन रही है. किसी भी रोज अदालत से मौत का फरमान आएगा और उसे फांसी हो जाएगी. उसने अपने मां-बाप, भाई-भाभी सहित सात घरवालों को नशा पिलाया और फिर बॉयफ्रेंड सलीम के साथ मिलकर कुल्‍हाड़ी से काट डाला था. बाद में शबनम ने जुर्म कबूल किया था. शबनम ने पूछे गए सवालों के जवाब दिए...

'एक्‍शन-इमोशन' से भरी है फांसी की सजा पाने वाली शबनम की कहानी


सवाल: इसके पीछे क्‍या सोचा था तुमने?
जवाब: सोचा था कि हम शादी कर लेंगे...दोनों का ही प्‍लान था.
सवाल: सभी को मारने का क्‍या मकसद था, यह बताओ?
जवाब: यह कि हम दोनों शादी कर लेंगे...दो की बस यही प्‍लानिंग थी.
सवाल: बाप को मार सकती थी, सबको क्‍यों मारा?
जवाब: बस यही प्‍लानिंग थी कि हम शादी कर लेंगे...और यहीं रहेंगे.
सवाल: तुम्‍हारा प्रेम संबंध कब से चल रहा था?
जवाब: लगभग एक साल से.
सवाल: यह छठी फेल है और तुम डबल एमए हो...फिर भी इससे मोहब्‍बत क्‍यों करी?
जवाब: मोहब्‍बत तो हो जाती है.

शबनम की इस 'प्रेमकहानी' में हैरान करते वाला तथ्‍य यह है कि वह डबल MA है जबकि उसका बॉयफ्रेंड सलीम छठवी तक पढ़ा है. वह पड़ोस की आरामशीन में काम करता था. शबनम के घरवाले इस रिश्‍ते के लिए तैयार नहीं थे इसके बाद इन दोनों ने मिलकर इस जघन्‍य अपराध को अंजाम दिया. लंबी चली कानून लड़ाई शबनम और सलीम हार चुके हैं. सलीम को भी फांसी की सजा हुई है.

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मामले से जुड़ी टाइमलाइन
-14 अप्रैल 2008 को सात कत्‍ल किए

-15 जुलाई 2010 को उन्‍हें फांसी हुई
-26 अप्रैल 2013 को हाईकोर्ट ने सजा की पुष्टि की
-4 मई 2013 को हाईकोर्ट ने उनकी अपील खारिज की
-15 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने सजा की पुष्टि की
-11 अगस्‍त 2016 को राष्‍ट्रपति ने दया याचिका खारिज की
-23 जनवरी 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने रिव्‍यू पिटीशन खारिज की.
-28 जनवरी 2021 को डेथ वारंट के लिए अमरोहा जिला जज को लिखा गया.

मां-बाप की जिस जायदाद पर शबनम कब्‍जा करना चाहती थी, अब वह वीरान पड़ी है. बहुत बड़ी जमीन पर उसका घर खामोश इस कत्‍ल का गवाह है और साथ में उन सात लोगों की कब्रें हैं जो उसके सबसे अपने थे. शबनम के घर में उसके चाचा-चाची रहते हैं जो फांसी के बाद उसे दफनाने को तैयार नहीं हैं. शबनम की चाची फातिमा ने पूछे गए सवालों के जवाब दिए.
सवाल: शबनम को फांसी लगेगी तो क्‍या उसकी डेड बॉडी को आप लेंगे?
जवाब: नहीं जी, हम क्‍या करेंगे उसका.
सवाल: क्‍यों
जवाब: नहीं जी, हमें नही चाहिए.

शबनम एक प्राइमरी स्‍कूल में पढ़ाती थी. उसने जिन बच्‍चों को पढ़ाया था वे सब बड़े कॉलेजों में पहुंच चुके हैं. स्‍कूल के पास के मैदान में मिले आजाद ने बताया कि इस मामले के बाद गांव में किसी ने बेटी का नाम शबनम नहीं रखा. सलीम के साथ आजाद क्रिकेट खेलते थे. आजाद कहते हैं, 'आजाद को बहुत अच्‍छे से जानता था. वह दोस्‍त नहीं था, क्रिकेट खेलता था. हम छोटे थे,उसके साथ ही रहते थे. वह क्रिकेट का अच्‍छा प्‍लेयर था. '

शबनम की फांसी के लिए मथुरा जेल तैयार है. महिलाओं की फांसी का वहां इंतजाम है, फांसीघर की सफाई कर दी गई है, फांसी के लिए बक्‍सर की खास रस्‍सी मंगाई गई है. मेरठ में रहने वाले पवन जल्‍लाद को अलर्ट कर दिया गया है. पवन पहली बार किसी महिला को फांसी देंगे. पवन कहते हैं, 'देखिए ऐसे दोषियों को फांसी होनी चहिए. अपने बहन-भाई, अपने माता-पिता को उसे मौत के घाट उतार दिया. यह तो घिनौना क्राइम है'

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