सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली मामले में 42,000 से अधिक घर खरीदारों को राहत देते हुए एक बड़ा फैसला सुनाया है. आम्रपाली का रेरा पंजीकरण रद्द करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एनबीसीसी से कहा कि वह अधूरे फ्लैट पूरे करे. 6 महीने के भीतर लगभग पूरे हो चुके प्रोजेक्ट्स के घर बनाकर खरीदारों को दिए जाएंगे. इसके लिए NBCC को 8 फीसदी कमीशन मिलेगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रबंध निदेशक और निदेशकों के खिलाफ फेमा के तहत ED मामले की जांच कर, हर तीन महीने में कोर्ट में रिपोर्ट दाखिल करे. साथ ही कोर्ट ने कहा कि ग्रेटर नोएडा और नोएडा ऑथोरिटी ने इस मामले में लापरवाही की. यह सीरियस फ्रॉड हुआ है, बड़ी रकम इधर से ऊधर हुई है. इस मामले में फेमा का उल्लंघन किया गया और बिल्डर्स की सांठ-गांठ से विदेश में पैसा पहुंचाया गया.
कोर्ट ने कहा कि सीए मित्तल भी इस मामले में जिम्मेदार हैं. नोएडा अथॉरिटी और ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी भी इस लापरवाही की जिम्मेदार हैं, क्योंकि उन्होंने ढंग से मॉनिटरिंग नहीं की. घर खरीदारों से जमा रकम की हेराफेरी की. फोरेंसिक ऑडिट में भी कई खुलासे. फोरेंसिक ऑडिट में भी घर खरीदारों की खून पसीने की कमाई में घपले की पुष्टि हुई है. फेमा के तहत आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई होगी.
Supreme Court also said that the Real Estate (Regulation and Development) Act, 2016 (RERA) registration of Amrapali is cancelled. Enforcement Directorate will register the money laundering cases against Amrapali, its Chief Managing Director, and other directors. https://t.co/Y0aQmfYXs7
— ANI (@ANI) July 23, 2019
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को देश भर के लंबित प्रोजेक्ट की जानकारी लेने के आदेश दिए हैं. कोर्ट ने कहा कि रेरा व अन्य कानून के तहत कार्रवाई हो. केंद्र सरकार इस मुद्दे पर गाइडलाइन जारी करे. कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार के मंत्रालय और आला अधिकारी अपने यहां अधूरे प्रोजेक्ट्स की जानकारी दें और घर खरीदारों को ऐसे फ्रॉड से बचाने के कानूनी इंतज़ाम करें.
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जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ यह फैसला सुनाया है. नोएडा और ग्रेटर नोएड प्राधिकरणों के आम्रपाली समूह की अटकी परियोजनाओं को पूरा करने में असमर्थता जताने के बाद शीर्ष अदालत ने इस मामले में 10 मई को फैसला सुरक्षित रख लिया था. दोनों प्राधिकरणों ने एक उच्च शक्ति प्राप्त निगरानी समिति की देखरेख में इन अटकी पड़ी परियोजनाओं को किसी प्रतिष्ठित बिल्डर को सुपुर्द करने का समर्थन किया था. दोनों ने इस तरह की परियोजनाओं को पूरा करने में संसाधन और विशेषज्ञता की कमी बताते हुए इन्हें पूरा करने से इंकार कर दिया था.
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सुप्रीम कोर्ट ने आठ मई को कहा था कि वह समूह की सभी 15 प्रमुख आवासीय परिसंपत्तियों पर मालिकाना हक नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को दे सकती है क्योंकि वह 42,000 घर खरीदारों के प्रति प्रतिबद्धता को पूरा करने में विफल रहा है. बाद में सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली समूह के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक (सीएमडी) अनिल शर्मा और दो निदेशकों को तत्काल गिरफ्तार करने की इजाजत दिल्ली पुलिस को दी थी. इसके बाद अदालत ने इन अटकी परियोजनाओं को पूरा करने और इसके प्रबंधन नियंत्रण के मसले पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। होम बॉयर्स ने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई थी कि ये प्रोजेक्ट NBCC या किसी बडी निजी कंपनी से पूरे कराए जाए.
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