नई दिल्ली:
नोएडा की एमिटी यूनिवर्सिटी के छात्र सुशांत रोहिल्ला खुदकुशी का मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एमिटी से जवाब मांगा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोर्ट को लिखी गई चिट्ठी में संदेह जताया गया है इसलिए मामले की सुनवाई करेंगे. कोर्ट ने कहा कि आरोप लगाया गया है कि सुशांत के साथ हेरेसमेंट हुआ. इस केस की सुनवाई इसलिए भी जरूरी है कि अगर कहीं कोई कमी हो तो उसे दूर किया जा सके ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हों. वरिष्ठ वकील फली नरीमन को एमिक्स क्यूरी बनाया गया.
सुशांत लॉ थर्ड ईयर का छात्र था. उपस्थिति कम होने पर उसे परीक्षा में नहीं बैठने दिया गया. 10 अगस्त को सुशांत ने घर में खुदकुशी कर ली थी. दोस्त की चिट्ठी पर इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने लिया स्वत: संज्ञान लिया था. इस चिट्ठी में चीफ जस्टिस और अन्य जजों को एमिटी के खिलाफ खुदकुशी के लिए उकसावे के तहत मामला चलाने की मांग की गई थी.
दरअसल दिल्ली के सरोजनी नगर निवासी सुशांत रोहिल्ला नोएडा सेक्टर-125 स्थित एमिटी यूनिवर्सिटी में एलएलबी थर्ड ईयर का स्टूडेंट था. प्रशासन ने शॉर्ट अटेंडेंस के नाम पर परीक्षा से वंचित कर दिया था। वह साल 2016-2017 सत्र में 4th ईयर में आने वाला था, लेकिन एटेंडेंस कम होने की वजह से उसे यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट ने एग्जाम में नहीं बैठने दिया था, जिसके बाद यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट ने उसे एक साल बैक कर दिया था. ईयर बैक होने पर सुशांत रोहिल्ला मानसिक तौर पर परेशान रहने लगा था. वह अंदर ही अंदर घुटने लगा था.
मानसिक तौर पर टूट जाने के बाद उसने अपने घर में ही बीते 10 अगस्त को ग्रिल से लटकर फांसी लगा ली थी. पुलिस और परिजनों ने मौके से एक सुसाइड नोट बरामद किया था, जिसमें सुशांत ने अपने परिजनों को लिखा कि वह आपकी आशाओं पर खरा नहीं उतर सका. इसके लिए मुझे माफ कर देना। इसके लिए यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट भी जिम्मेदार है.
एमिटी की ओर से इस पर कहा गया कि सुशांत की उपस्थिति कम होने के बारे में घरवालों को बता दिया गया था. ऐसा केस दिल्ली हाईकोर्ट में भी चल रहा है, ऐसे 19 छात्र हैं. सुप्रीम कोर्ट ने इस पर कहा कि एमिटी देखे कि आगे से ऐसा न हो. दिल्ली हाईकोर्ट में सामान्य मामला है.
सुशांत लॉ थर्ड ईयर का छात्र था. उपस्थिति कम होने पर उसे परीक्षा में नहीं बैठने दिया गया. 10 अगस्त को सुशांत ने घर में खुदकुशी कर ली थी. दोस्त की चिट्ठी पर इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने लिया स्वत: संज्ञान लिया था. इस चिट्ठी में चीफ जस्टिस और अन्य जजों को एमिटी के खिलाफ खुदकुशी के लिए उकसावे के तहत मामला चलाने की मांग की गई थी.
दरअसल दिल्ली के सरोजनी नगर निवासी सुशांत रोहिल्ला नोएडा सेक्टर-125 स्थित एमिटी यूनिवर्सिटी में एलएलबी थर्ड ईयर का स्टूडेंट था. प्रशासन ने शॉर्ट अटेंडेंस के नाम पर परीक्षा से वंचित कर दिया था। वह साल 2016-2017 सत्र में 4th ईयर में आने वाला था, लेकिन एटेंडेंस कम होने की वजह से उसे यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट ने एग्जाम में नहीं बैठने दिया था, जिसके बाद यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट ने उसे एक साल बैक कर दिया था. ईयर बैक होने पर सुशांत रोहिल्ला मानसिक तौर पर परेशान रहने लगा था. वह अंदर ही अंदर घुटने लगा था.
मानसिक तौर पर टूट जाने के बाद उसने अपने घर में ही बीते 10 अगस्त को ग्रिल से लटकर फांसी लगा ली थी. पुलिस और परिजनों ने मौके से एक सुसाइड नोट बरामद किया था, जिसमें सुशांत ने अपने परिजनों को लिखा कि वह आपकी आशाओं पर खरा नहीं उतर सका. इसके लिए मुझे माफ कर देना। इसके लिए यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट भी जिम्मेदार है.
एमिटी की ओर से इस पर कहा गया कि सुशांत की उपस्थिति कम होने के बारे में घरवालों को बता दिया गया था. ऐसा केस दिल्ली हाईकोर्ट में भी चल रहा है, ऐसे 19 छात्र हैं. सुप्रीम कोर्ट ने इस पर कहा कि एमिटी देखे कि आगे से ऐसा न हो. दिल्ली हाईकोर्ट में सामान्य मामला है.
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