ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी अमेजन ने पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन (Data Protection Bill) बिल से जुड़ी संसदीय समिति के सामने पेश होने में असमर्थता जता दी है. संसद से जुड़े सूत्रों ने एनडीटीवी को बताया कि अमेजन के प्रतिनिधि अगर 26 अक्टूबर को पेश न हुए तो सख्त कार्यवाही की जा सकती है.
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अमेजन के प्रतिनिधियों को पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल 2019 से जुड़ी संयुक्त संसदीय समिति के समक्ष पेश होना था. संसदीय समिति ने एकमत से यह राय बनाई कि अगर अमेजन के प्रतिनिधि 26 अक्टूबर को पेश नहीं होते हैं तो उनकी गैरमौजूदगी को गंभीरता से लिया जाएगा. संसद के सूत्रों ने कहा कि इसको लेकर अमेजन के खिलाफ कार्रवाई भी की जा सकती है.
अमेजन ने दो कारण गिनाए
अमेज़न ने लिखित में समिति के सामने दो कारण रखे हैं. ई कॉमर्स कंपनी ने कहा कि मौजूदा माहौल में यात्रा करने में कई तरह के खतरे हैं. दूसरा अमेज़न के डेटा सुरक्षा से जुड़े विशेषज्ञ भी विदेश में हैं और वो समिति के सामने पेश होने में असमर्थ हैं. पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल 2019 की समीक्षा कर रही संसद की संयुक्त समिति ने अब ये तय किया है कि अगर अमेज़न के प्रतिनिधि 26 अक्टूबर को पेश नहीं हुए तो उसे संसद की गरिमा का उल्लंघन माना जाएगा.
आईटी विशेषज्ञों ने कहा, ऐसी कंपनियों को नियमित करना जरूरी
आईटी एक्सपर्ट पवन दुग्गल ने कहा कि सोशल मीडिया कंपनियों को रेगुलेट करना बेहद जरूरी है. पर्सनल डाटा को सुरक्षित रखने के लिए सोशल मीडिया कंपनियों के लिए सख्त मापदंड तय होने चाहिए. यह तय करना होगा कि पर्सनल डाटा कैसे सुरक्षित रखा जाए. सोशल मीडिया कंपनियों की जवाबदेही कैसे सुनिश्चित की जाए. इस बेहद संवेदनशील मसले पर स्टेकहोल्डर्स और राजनीतिक दलों में आम राय बनाना संयुक्त समिति के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है.
फेसबुक के अधिकारी पेश हुए
फेसबुक इंडिया के अधिकारी शुक्रवार को संयुक्त संसदीय समिति के समक्ष इस मसले पर पेश हुए. डेटा प्रोटेक्शन बिल पर अपना पक्ष रखने को लेकर यह बैठक दो घंटे तक चली. बैठक में फेसबुक इंडिया का प्रतिनिधित्व पॉलिसी हेड अंखी दास और बिजनेस हेड अजित मोहन ने किया. उन्हें स्पष्ट तौर पर बताया गया कि वे किसी भी भारतीय नागरिक का डेटा प्रचार, कारोबार या चुनाव के दौरान आनुमानिक तौर पर इस्तेमाल नहीं कर सकते.
तमाम सवाल दागे गए
सूत्रों का कहना है कि सांसदों ने फेसबुक के अधिकारियों से पूछा कि वे अपने राजस्व का कितना हिस्सा यूजर्स के डेटा प्रोटेक्शन पर खर्च करते हैं. उनसे फेसबुक के कुल राजस्व के बारे में भी मालूमात की गई. कितना टैक्स वे चुकाते हैं, इसकी जानकारी भी मांगी गई.
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