यह ख़बर 12 जनवरी, 2011 को प्रकाशित हुई थी

भारत लौटे जवान ने बयां की पाक के अत्याचारों की कहानी...

खास बातें

  • अमर सिंह पाकिस्तान में एक सिख तीर्थस्थल की यात्रा कर एक अप्रैल को भारत लौट रहे थे कि सादे कपड़ों में आईएसआई के कुछ लोग उन्हें खींचकर ले गए।
जम्मू:

सिख तीर्थस्थलों की यात्रा करने पाकिस्तान गए भारत के एक भूतपर्व सैनिक ने यह कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उसे पाकिस्तान में बिना किसी आरोप के पकड़ लिया जाएगा और फिर नौ महीने तक सलाखों में रख उस पर जुल्म ढाए जाएंगे। अमर सिंह नाम के इस भूतपूर्व सैनिक को पाकिस्तान ने गत चार जनवरी को वाघा सीमा के नजदीक रिहा किया था। सिंह का कहना है कि घर वापसी दूसरे जन्म की तरह है। घटनाक्रम के अनुसार, अमर सिंह 39 सिख तीर्थयात्रियों के जत्थे के साथ पाकिस्तान के एक सिख तीर्थस्थल की यात्रा कर एक अप्रैल 2010 को भारत लौट रहे थे कि सादे कपड़ों में आए आईएसआई के कुछ लोग उन्हें खींचकर किसी अज्ञात स्थान पर ले गए। सिंह ने बताया, जैसे ही मैं भारत आने के लिए ट्रेन में बैठा किसी ने मुझे बुलाया और मैं नीचे उतर गया। कुछ और लोग आए तथा मुझे रेलवे स्टेशन के नजदीक स्थित एक कमरे में ले गए और मेरी पिटाई की। इतने में ट्रेन भारत के लिए रवाना हो गई। मेरी आंखों पर पट्टी बांध दी गई और मुझे किसी भूमिगत स्थान पर ले जाया गया। सिंह ने कहा, वे मुझसे रक्षा स्थलों की जानकारी मांग रहे थे। उन्होंने मुझ पर थर्ड डिग्री का इस्तेमाल किया। मैंने उन्हें बताया कि मैं पाकिस्तान सिर्फ ननकाना साहिब के दर्शनों के लिए आया था और मैं भूतपूर्व सैनिक हूं। उन्होंने कहा, महीनों तक चली यातना से मैं पागलों जैसा हो गया । वे मुझे एक डॉक्टर के पास ले गए और मेरी जांच कराई लेकिन मेरी स्थिति वैसी ही रही। चार जनवरी को रिहाई के बाद वाघा सीमा के जरिए भारत लौटे सिंह ने कहा, मेरा पुनर्जन्म हुआ है। यह मेरी दूसरी जिन्दगी है। मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं दोबारा अपने परिवार से मिल पाउंगा। बातें करते हुए सिंह की आंखें छलछला गईं। उन्होंने कहा, मैं अब पाकिस्तान कभी नहीं जाउंगा यहां तक कि तीर्थयात्रा के लिए भी नहीं। सिंह के परिवार ने उनकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी और उनका पता लगाने के लिए प्रधानमंत्री मानवाधिकार आयोग और अंतरराष्ट्रीय रेडक्रास को पत्र लिखकर अभियान चलाया था। परिवार ने पाकिस्तानी उच्चायोग से भी हस्तक्षेप की मांग की थी। उनकी घर वापसी का जश्न न सिर्फ उनकी पत्नी कुलदीप कौर बच्चों नवजोत सिंह जगजीत सिंह और लोजोत सिंह ने मनाया बल्कि आर एस पुरा स्थित समूचे गांव ने खुशी मनाई। आंखों में खुशी के आंसू लिए कुलदीप कौर ने कहा, मेरा सपना सच हो गया है। हम उनकी वापसी की उम्मीद छोड़ चुके थे। हम स्वर्ण मंदिर में मत्था टेकने जाएंगे और भगवान का शुक्रिया अदा करेंगे।


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