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This Article is From Sep 04, 2016

राजनाथ सिंह के नेतृत्व में सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल जम्मू-कश्मीर में, शांति बहाली की कोशिश

राजनाथ सिंह के नेतृत्व में सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल जम्मू-कश्मीर में, शांति बहाली की कोशिश
जम्मू-कश्मीर में शांति बहाली के लिए सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल आज घाटी में (राजनाथ सिंह : फाइल फोटो)
नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर में शांति बहाली के लिए सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह के नेतृत्व में श्रीनगर पहुंच गया है. इससे पहले जम्मू-कश्मीर की सीएम महबूबा मुफ़्ती ने हुर्रियत कॉन्फ़्रेंस समेत सभी पक्षों को बातचीत का न्योता भेजा है. महबूबा ने पीडीपी अध्यक्ष के तौर पर ख़त लिखा है. इस बीच राजनाथ सिंह ने कहा है कि टीम उन लोगों और संगठनों से बात करने की इच्छुक है जो शांति और बहाली चाहते हैं.

वहीं श्रीनगर के शोपियां में आज भी हिंसा की खबर आ रही है. भीड़ ने डीसी के दफ़्तर में आग लगा दी है. सड़कों पर हज़ारों प्रदर्शनकारी उतर आए हैं. इस बाबत पूरी खबर के लिए यहां चटकाएं.

सीएम महबूबा मुफ्ती ने कहा है कि संवाद होना चाहिए और जल्द से जल्द पूरे इलाक़े में शांति बहाल की जानी चाहिए. बताया जा रहा है कि इसके जरिए महबूबा अपने वोट बैंक पर पकड़ बनाए रखना चाहती हैं. हालांकि बीजेपी कश्मीर मुद्दे पर हुर्रियत से बातचीत का विरोध कर रही है. इसके चलते दोनों पार्टियों में मतभेद पैदा हो गया है. प्रतिनिधिमंडल में 23 दलों के 28 नेता शामिल हैं.

इस बीच कश्मीर हाई कोर्ट बार असोसिएशन ने कहा है कि वो घाटी में सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल से कोई मुलाक़ात नहीं करेगा. इस असोसिएशन में हज़ार से ज़्यादा सदस्य हैं. असोसिएशन ने कहा है कि प्रतिनिधिमंडल से मिलने का कोई फ़ायदा नहीं है क्योंकि इनके हाथ में कुछ भी नहीं है. इससे पहले कल गृहमंत्री राजनाथ सिंह की अगुवाई में प्रतिनिधिमंडल में शामिल सांसदों की एक बैठक हुई जिसमें किससे मिलना चाहिए, किससे नहीं,समेत कई अन्य मसलों पर बात हुई.

बताते चलें कि घाटी में पिछले 57 दिनों से हालात असामान्य हैं. अब तक 70 के क़रीब लोगों की मौत सुरक्षाबलों और प्रदर्शनकारियों के बीच हुए मुठभेड़ में हो चुकी है वहीं हज़ारों लोग घायल हुए हैं. सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के जाने से पहले घाटी में झड़प की ख़बरें आई हैं. अलगाववादियों ने हड़ताल को 8 सितंबर तक बढ़ाने का ऐलान किया है, जिस पर सुरक्षा एजेंसियां सवाल पूछ रही हैं कि जब सब अलगाववादी नेता नज़रबंद हैं तो फिर ये कैलेंडर कौन जारी  कर रहा है.
 
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