
बोर्ड के वरिष्ठ सदस्य जफरयाब जिलानी ने कहा कि हम सिर्फ वहीं शरियत कोर्ट खोलना चाहते हैं जहां इसकी जरूरत है.
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बोर्ड ने कहा कि जहां जरूरत है वहीं शरियत कोर्ट खोला जाएगा
कहा- बोर्ड ने कभी भी हर जिले में शरियत कोर्ट खोलने की बात नहीं कही
बीजेपी-आरएसएस पर लगाया राजनीति करने का आरोप
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ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के वरिष्ठ सदस्य जफरयाब जिलानी ने कहा था कि इस वक्त उत्तर प्रदेश में करीब 40 दारुल-कजा हैं. कोशिश है कि हर जिले में कम से कम एक ऐसी अदालत जरूर हो. इसका मकसद है कि मुस्लिम लोग अपने मसलों को अन्य अदालतों में ले जाने के बजाय दारुल-कजा में सुलझाएं. एक अदालत पर हर महीने कम से कम 50 हजार रुपये खर्च होते हैं. अब हर जिले में दारुल-कजा खोलने के लिये संसाधन जुटाने पर विचार-विमर्श होगा. जिलानी ने कहा कि कमेटी की कई कार्यशालाओं में न्यायाधीशों ने भी हिस्सा लिया है. इनमें मीडिया को भी इनमें आमंत्रित किया जाता है, ताकि वे शरीयत के मामलों को सही तरीके से जनता के बीच ला सकें. शरियत कोर्ट के मुद्दे पर सियासत भी शुरू हो गई थी. तमाम दलों ने इसका खुलकर विरोध किया. तो वहीं सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी इसके खिलाफ आवाज उठाई थी.
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