भारतीय वायु सेना न केवल तिब्बत पर चीनी हवाई गतिविधि की निगरानी कर रही है, बल्कि इसने लद्दाख में कई स्थानों पर चीनी घुसपैठ की रिपोर्टों के बाद लड़ाकू हवाई गश्त भी तेज कर दी है. हालांकि वायुसेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया ने स्पष्ट किया है कि पिछले कुछ महीनों में चीनी लड़ाकू विमानों द्वारा भारतीय वायुक्षेत्र में किसी तरह की घुसपैठ नहीं की गई है. उन्होंने कहा, "हम किसी भी स्थिति में उड़ान भरते हैं और किसी भी स्थिति का जवाब देते हैं - इसमें लड़ाकू वायु गश्त भी शामिल होती है."
अगर तिब्बत के पठार पर, जहां चीन बेहद ऊंचाई पर स्थित कई सैन्य हवाई अड्डों का संचालन करता है, वहां किसी भी तरह की हवाई गतिविधि का पता चलता है तो लड़ाकू वायु गश्ती विमान पूरी तरह से सशस्त्र इंटरसेप्टर में तब्दील हो सकते हैं.
वायुसेना प्रमुख ने कहा, ''यह स्पष्ट होना चाहिए कि हम किसी भी परिस्थिति का जवाब देने के लिए अच्छी तरह तैयार हैं और उपयुक्त रूप से तैनात भी हैं. मैं देश को आश्वस्त करना चाहता हूं कि हम गालवान घाटी के 'बलिदान' को व्यर्थ नहीं होने देंगे." वायुसेना प्रमुख हैदरबाद के नजदीक स्थित वायुसेना अकादमी में संयुक्त स्नातक परेड को संबोधित कर रहे थे.
लेह के आसमान में अपाचे लड़ाकू हेलीकॉप्टर और उन्नत MiG-29s लड़ाकू विमानों की तस्वीरें सामने आने के एक दिन बाद वायुसेना प्रमुख की यह टिप्पणी आई है. व्यापक रूप से दुनिया में सबसे उन्नत लड़ाकू हेलीकॉप्टर माना जाने वाला अपाचे, एक टैंक किलर है और लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन द्वारा टैंकों की तैनाती की खबरों के बीच इसे वायुसेना में शामिल किया गया था.
भारतीय वायु सेना के सभी मिग -29 लड़ाकू विमानों को अब एक नए रडार और एवियोनिक्स के साथ अपग्रेड किया गया है और अब ये दुनिया में कहीं भी रूसी लड़ाकू विमानों के सबसे परिष्कृत वेरिएंट में से हैं. भारतीय वायुसेना ने लद्दाख में अपने नए चिनूक परिवहन हेलीकॉप्टरों को भी तैनात किया है. चिनूक को M-777 आर्टिलरी गन को लाने-ले जाने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जो लद्दाख में दूर-दराज के इलाकों में हथियारों को जल्दी से पहुंचाने की एक प्रमुख क्षमता है.
कश्मीर और लद्दाख में स्थित वायुसेना के ठिकानों का दो दिवसीय दौरा कर हैदराबाद के करीब डंडिगल पहुंचे वायुसेना प्रमुख ने कहा, भारतीय वायुसेना उस क्षेत्र में चीनी हवाई गतिविधियों पर कड़ी नजर रख रही थी जो पिछले कुछ महीनों में बढ़ी हैं. चीन गर्मियों में प्रशिक्षण के लिए उस इलाके में विमानों की तैनाती करता है लेकिन इस साल विमानों की संख्या ज्यादा है और मई के बाद ये और बढ़े हैं.'
NDTV ने भी पहले रिपोर्ट दिखाई थी कि कैसे चीन इस इलाके में लगातार अपने आधारभूत ढांचे को मजबूत कर रहा है जिसमें तिब्बत का नगारी बेस भी शामिल है और जो पैंगोंग लेक के पास ही स्थित है जहां अक्सर चीनी घुसपैठ होती है. सैटेलाइट से प्राप्त तस्वीरों में साफ दिखता है कि अप्रैल से मई के बीच वहां मौजूदा रनवे के समानांतर दूसरा ट्रैक बनाया गया है और साथ ही कई अन्य काम भी किए गए हैं.
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