नई दिल्ली:
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आरोप लगाया है कि दो सप्ताह पहले दिल्ली से सटे दादरी इलाके में गोमांस खाने की अफवाहों के बाद भीड़ द्वारा की गई एक मुस्लिम व्यक्ति की हत्या 'बीजेपी की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा' थी।
दादरी के बिसहाड़ा गांव में भीड़ द्वारा मोहम्मद अखलाक का कत्ल किए जाने के बाद अपने पहले इंटरव्यू में 42-वर्षीय मुख्यमंत्री ने NDTV से कहा कि उन्हें इस बात पर यकीन नहीं है कि अखलाक पर हमला अचानक किया गया।
उनकी सरकार द्वारा की गई प्राथमिक जांच का हवाला देते हुए अखिलेश यादव ने कहा, "तथ्य बताते है कि दादरी में जो कुछ हुआ, वह बीजेपी और उससे जुड़े लोगों की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा था..."
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देखें वीडियो
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"शीर्ष बीजेपी नेताओं को सब पता है, पार्टी यूपी में क्या कर रही है..."
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा, "दादरी में हुई घटना की गूंज सारी दुनिया में सुनाई दी, सो, क्या यह मुमकिन है कि बीजेपी के नेतृत्व को इस बारे में पता न हो...? बीजेपी के शीर्ष नेताओं को पूरी तरह पता है कि पार्टी यूपी में क्या कर रही है..."
अखिलेश ने केंद्र में सत्तारूढ़ गठबंधन एनडीए का नेतृत्व कर रही भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर राज्य में सांप्रदायिक भावनाएं भड़काने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, "यूपी में बीजेपी समुदायों को बांटने तथा राजनैतिक मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए जल्दी-जल्दी मुद्दे बदल रही है... पहले 'लव जेहाद' था, फिर 'घर वापसी और धर्मांतरण' हुआ... मुरादाबाद में तो इन्होंने लाउडस्पीकर के इस्तेमाल को लेकर भी दिक्कतें खड़ी की थीं..."
बीजेपी की ध्रुवीकरण की कोशिशों के समर्थन का आरोप नकारा
इस इंटरव्यू के दौरान अखिलेश यादव ने पहली बार विपक्षी पार्टियों के उन आरोपों का भी जवाब दिया, जिनमें कहा जाता रहा है कि समाजवादी पार्टी अल्पसंख्यकों के वोट पाने के लिए बीजेपी की ध्रुवीकरण की कथित कोशिशों का ढके-छिपे ढंग से समर्थन कर रही है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने इन आरोपों को सिरे से नकारते हुए कहा, "मुज़फ्फरनगर के दंगों से किसे फायदा हुआ...? बीजेपी और उसके सहयोगी 73 सीटें (पिछले वर्ष के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में) जीत गए... समाजवादी पार्टी को सिर्फ पांच सीटें मिलीं, जबकि 2004 में हमारे पास 39 सीटें थीं... यूपी में बीजेपी के पास सबसे ज़्यादा सांसद हैं... मुझे लगता है कि यूपी में तनाव पैदा करने के लिए बीजेपी के पास हर स्तर पर रणनीति तैयार है..."
क्या था मामला...?
गौरतलब है कि दादरी में 28 सितंबर को यह अफवाह फैल गई कि मोहम्मद अखलाक ने बछड़ा काटा, उसका मांस घर में रखा भी और खाया भी। इसके बाद लगभग 100 से ज़्यादा लोगों की भीड़ ने उसके घर पर हमला कर दिया और अखलाक की हत्या कर दी। इसके बाद माहौल ने गोहत्या के मुद्दे पर राजनैतिक रंग ले लिया, और बीजेपी के कई नेताओं ने इलाके का दौरा कर विवादास्पद भाषण दिए।
"कार्यकर्ताओं की हरकतों से पल्ला नहीं झाड़ सकती बीजेपी..."
कुछ पार्टी सदस्यों की हरकतों के लिए बीजेपी को ज़िम्मेदार नहीं ठहराने के गृहमंत्री राजनाथ सिंह के आग्रह को दरकिनार करते हुए अखिलेश ने कहा, "कोई भी पार्टी अपने कार्यकर्ताओं की हरकतों से पल्ला नहीं झाड़ सकती है..."
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी किया वार
अखिलेश यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी वार करते हुए कहा, "निवेश लाने के लिए पीएम विदेशों में घूम रहे हैं, लेकिन ऐसी घटनाओं से उन कोशिशों को नुकसान पहुंचता है... आज यहां बीजेपी के नेता भड़काऊ टिप्पणियां कर रहे हैं... मैं बीजेपी से जानना चाहता हूं, उनकी पार्टी का वह नेता कौन है, जिसकी बात ये टिप्पणियां करते कार्यकर्ता सुन लेंगे... उस नेता को सामने आकर इन्हें रोकना चाहिए..."
वर्ष 2012 में उत्तर प्रदेश में चली 'बदलाव की लहर' पर सवार होकर बहुमत पाने वाले मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को अब वर्ष 2017 की शुरुआत में ही अगले विधानसभा चुनाव की अग्निपरीक्षा से गुज़रना है, जबकि राज्य में कानून व व्यवस्था की स्थिति और बढ़ते सांप्रदायिक तनाव को लेकर पिछले तीन सालों में उन्हें कई बार आलोचना का सामना करना पड़ा है।
दादरी के बिसहाड़ा गांव में भीड़ द्वारा मोहम्मद अखलाक का कत्ल किए जाने के बाद अपने पहले इंटरव्यू में 42-वर्षीय मुख्यमंत्री ने NDTV से कहा कि उन्हें इस बात पर यकीन नहीं है कि अखलाक पर हमला अचानक किया गया।
उनकी सरकार द्वारा की गई प्राथमिक जांच का हवाला देते हुए अखिलेश यादव ने कहा, "तथ्य बताते है कि दादरी में जो कुछ हुआ, वह बीजेपी और उससे जुड़े लोगों की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा था..."
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"शीर्ष बीजेपी नेताओं को सब पता है, पार्टी यूपी में क्या कर रही है..."
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा, "दादरी में हुई घटना की गूंज सारी दुनिया में सुनाई दी, सो, क्या यह मुमकिन है कि बीजेपी के नेतृत्व को इस बारे में पता न हो...? बीजेपी के शीर्ष नेताओं को पूरी तरह पता है कि पार्टी यूपी में क्या कर रही है..."
अखिलेश ने केंद्र में सत्तारूढ़ गठबंधन एनडीए का नेतृत्व कर रही भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर राज्य में सांप्रदायिक भावनाएं भड़काने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, "यूपी में बीजेपी समुदायों को बांटने तथा राजनैतिक मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए जल्दी-जल्दी मुद्दे बदल रही है... पहले 'लव जेहाद' था, फिर 'घर वापसी और धर्मांतरण' हुआ... मुरादाबाद में तो इन्होंने लाउडस्पीकर के इस्तेमाल को लेकर भी दिक्कतें खड़ी की थीं..."
बीजेपी की ध्रुवीकरण की कोशिशों के समर्थन का आरोप नकारा
इस इंटरव्यू के दौरान अखिलेश यादव ने पहली बार विपक्षी पार्टियों के उन आरोपों का भी जवाब दिया, जिनमें कहा जाता रहा है कि समाजवादी पार्टी अल्पसंख्यकों के वोट पाने के लिए बीजेपी की ध्रुवीकरण की कथित कोशिशों का ढके-छिपे ढंग से समर्थन कर रही है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने इन आरोपों को सिरे से नकारते हुए कहा, "मुज़फ्फरनगर के दंगों से किसे फायदा हुआ...? बीजेपी और उसके सहयोगी 73 सीटें (पिछले वर्ष के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में) जीत गए... समाजवादी पार्टी को सिर्फ पांच सीटें मिलीं, जबकि 2004 में हमारे पास 39 सीटें थीं... यूपी में बीजेपी के पास सबसे ज़्यादा सांसद हैं... मुझे लगता है कि यूपी में तनाव पैदा करने के लिए बीजेपी के पास हर स्तर पर रणनीति तैयार है..."
क्या था मामला...?
गौरतलब है कि दादरी में 28 सितंबर को यह अफवाह फैल गई कि मोहम्मद अखलाक ने बछड़ा काटा, उसका मांस घर में रखा भी और खाया भी। इसके बाद लगभग 100 से ज़्यादा लोगों की भीड़ ने उसके घर पर हमला कर दिया और अखलाक की हत्या कर दी। इसके बाद माहौल ने गोहत्या के मुद्दे पर राजनैतिक रंग ले लिया, और बीजेपी के कई नेताओं ने इलाके का दौरा कर विवादास्पद भाषण दिए।
"कार्यकर्ताओं की हरकतों से पल्ला नहीं झाड़ सकती बीजेपी..."
कुछ पार्टी सदस्यों की हरकतों के लिए बीजेपी को ज़िम्मेदार नहीं ठहराने के गृहमंत्री राजनाथ सिंह के आग्रह को दरकिनार करते हुए अखिलेश ने कहा, "कोई भी पार्टी अपने कार्यकर्ताओं की हरकतों से पल्ला नहीं झाड़ सकती है..."
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी किया वार
अखिलेश यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी वार करते हुए कहा, "निवेश लाने के लिए पीएम विदेशों में घूम रहे हैं, लेकिन ऐसी घटनाओं से उन कोशिशों को नुकसान पहुंचता है... आज यहां बीजेपी के नेता भड़काऊ टिप्पणियां कर रहे हैं... मैं बीजेपी से जानना चाहता हूं, उनकी पार्टी का वह नेता कौन है, जिसकी बात ये टिप्पणियां करते कार्यकर्ता सुन लेंगे... उस नेता को सामने आकर इन्हें रोकना चाहिए..."
वर्ष 2012 में उत्तर प्रदेश में चली 'बदलाव की लहर' पर सवार होकर बहुमत पाने वाले मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को अब वर्ष 2017 की शुरुआत में ही अगले विधानसभा चुनाव की अग्निपरीक्षा से गुज़रना है, जबकि राज्य में कानून व व्यवस्था की स्थिति और बढ़ते सांप्रदायिक तनाव को लेकर पिछले तीन सालों में उन्हें कई बार आलोचना का सामना करना पड़ा है।
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