सरकार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना- सांसद आदर्श ग्राम योजना की रफ्तार में तेज़ी लाने के लिए सांसदों को निर्देश दिए हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने 11 अक्तूबर को जय प्रकाश नारायण के जन्मदिन पर इस योजना को शुरू किया था। सभी सांसदों को अपने क्षेत्रों से एक गांव की पहचान तुरंत करने के लिए कहा गया. मगर करीब तीन हफ्तों के बाद भी अधिकांश सांसद ऐसा नहीं कर पाए हैं।
रविवार को एनडीए सांसदों के साथ दिवाली मिलन के कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने सांसदों को याद दिलाया कि उन्हें अपने इलाकों में कम से कम एक गांव की पहचान तुरंत कर इस काम को शुरू करना होगा। इसके बाद ग्रामीण विकास मंत्री नितिन गडकरी ने सभी आठ सौ सांसदों को पत्र लिखकर उनसे कहा है कि वे 11 नवंबर तक एक गांव का नाम कलेक्टर को बता दें और उसकी सूचना राज्य सरकार और ग्रामीण विकास मंत्रालय को भी दे दें।
अधिकारियों का कहना है कि अभी तक ये आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं कि कितने सांसदों ने गांवों की पहचान कर ली है, लेकिन अधिकांश सांसदों ने ऐसा नहीं किया है। 11 नवंबर तक की समय सीमा इसीलिए तय की गई है ताकि न सिर्फ इसकी रफ्तार में तेजी लाई जा सके बल्कि एक ग्राम पंचायत को 2016 तक आदर्श बनाने का लक्ष्य भी पूरा किया जा सके।
सूत्रों के मुताबिक, अगर तय समय सीमा में सांसद अपने संसदीय क्षेत्र में गांव की पहचान नहीं कर पाएंगे तो ऐसे में कलेक्टरों के माध्यम से केंद्र सरकार पहचान का काम सीधे अपने हाथ में भी ले सकती है।
सांसद आदर्श ग्राम योजना में हर संसदीय क्षेत्र में मैदानी इलाकों में तीन से पांच हज़ार की आबादी वाले और पहाड़ी, आदिवासी और कठिन इलाकों में एक से तीन हज़ार की आबादी वाली किसी एक ग्राम पंचायत की पहचान करनी है ताकि उसे आदर्श ग्राम पंचायत के रूप में विकसित किया जा सके। राज्य सभा के सांसद अपने प्रतिनिधित्व वाले राज्य में किसी भी जिले से पहचान कर सकते हैं जबकि मनोनीत सांसद देश के किसी भी जिले में ग्राम पंचायत चुन सकते हैं। सांसदों से कहा गया है कि वे गांव का चयन करते समय ये ध्यान रखें कि वो अपने या अपने जीवन साथी के गांव को न चुनें।
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