मुंबई को महाराष्ट्र से अलग कर केंद्रशासित प्रदेश बनाने की मांग पर अजित पवार ने BJP को घेरा

कर्नाटक के डिप्टी सीएम सावदी ने कहा था कि मुंबई को कर्नाटक का हिस्सा बना देना चाहिए. उन्होंने केंद्र से तब तक इसे केंद्रशासित प्रदेश घोषित करने का अनुरोध किया था.

मुंबई को महाराष्ट्र से अलग कर केंद्रशासित प्रदेश बनाने की मांग पर अजित पवार ने BJP को घेरा

खास बातें

  • उद्धव ठाकरे ने पहले कर्नाटक के मराठी भाषी क्षेत्रों पर दी थी प्रतिक्रिया
  • कर्नाटक ने जवाब में मुंबई को केंद्रशासित प्रदेश बनाने की मांग रख दी
  • अजित पवार ने कहा, कर्नाटक के डिप्टी सीएम की मांग तर्कसंगत नहीं
मुंबई:

महाराष्ट्र (Maharashtra) औऱ कर्नाटक (Karnataka) के बीच सियासी जंग तेज होती दिख रही है. बेलगाम को लेकर महाराष्ट्र सरकार के ऐलान के बाद कर्नाटक के उप मुख्यमंत्री लक्ष्मण सावदी के मुंबई पर दिए बयान से राजनीति गरमा गई है. महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजित पवार ने गुरुवार को कहा कि मुंबई (Mumbai) महाराष्ट्र का हिस्सा था और हमेशा रहेगी. उन्होंने राज्य के बीजेपी नेताओं से पूछा है कि क्या वे कर्नाटक बीजेपी नेताओं के बयान से सहमत हैं.

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कर्नाटक के डिप्टी सीएम लक्ष्मण सावदी ने मुंबई को कर्नाटक का हिस्सा बनाए जाने की मांग की थी. अजित पवार ने कहा कि हर कोई जानता है कि मुंबई महाराष्ट्र का हिस्सा है और यह हमेशा रहेगी.एनसीपी महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी गठबंधन सरकार का हिस्सा है. पार्टी ने सावदी की मांग पर बीजेपी को अपना रुख स्पष्ट करने को कहा है. कर्नाटक में बीजेपी की सरकार है.

सावदी ने बुधवार को कहा था कि मुंबई को कर्नाटक का हिस्सा बना देना चाहिए. उन्होंने केंद्र से तब तक इसे केंद्रशासित प्रदेश घोषित करने का अनुरोध किया था. दरअसल, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा था कि इस मुद्दे पर जब तक उच्चतम न्यायालय का फैसला नहीं आ जाता तब तक कर्नाटक के साथ राज्य की सीमा से लगते मराठी भाषी इलाकों को केंद्रशासित प्रदेश घोषित कर देना चाहिए. इसके बाद सावदी का यह बयान सामने आया.

अजित पवार ने कहा कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की टिप्पणी के बाद सावदी ने कर्नाटक के लोगों को खुश करने के लिए मुंबई का नाम लिया. मुंबई महाराष्ट्र की है. यह कल भी हमारी थी, आज भी हमारी है और भविष्य में भी हमारी रहेगी. इसे कोई बदल नहीं सकता है. ऐसे बयान को नजरअंदाज किया जाना चाहिए.

पवार ने कहा कि कर्नाटक ने पहले भी यह दिखाने के लिए ऐसे कदम उठाए थे कि दक्षिणी राज्य में मराठी भाषी इलाके राज्य का हिस्सा हैं.लेकिन हमलोग यह कहना चाहते हैं कि अगर दो राज्यों के बीच कोई मुद्दा उठता है तो केंद्र को इसमें दखल देना चाहिए और कोई रास्ता तलाशना चाहिए. इसलिए हमने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. इस संबंध में किसी एक पक्ष की तरफ से नहीं बल्कि गंभीरता से रास्ता तलाशना चाहिए.

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महाराष्ट्र में राकांपा के प्रवक्ता महेश तपासे ने भाजपा अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल और विधानसभा में विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस से पूछा कि क्या वे सावदी की मांग से सहमत हैं. तपासे ने एक वीडियो संदेश में पाटिल और फडणवीस से कहा कि अगर वे महाराष्ट्र के साथ हैं तो सावदी का मुंहतोड़ जवाब दें.