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This Article is From Jun 04, 2019

दस हजार में से 9 से अधिक लड़कियों की पांच साल की उम्र से पहले जान ले रहा वायु प्रदूषण

सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट के सर्वेक्षण में सामने आए तथ्य, वायु प्रदूषण से दस हजार में से 8.5 लड़कों की पांच साल की आयु से पहले मौत हो रही

दस हजार में से 9 से अधिक लड़कियों की पांच साल की उम्र से पहले जान ले रहा वायु प्रदूषण
प्रतीकात्मक फोटो.
नई दिल्ली:

सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट ने प्रदूषण पर एक सर्वे किया है जिसमें पता चला है कि वायु प्रदूषण दस हजार में से 8.5 लड़कों को पांच साल का होने के पहले मार डालता है. लड़कियों के लिए यह रिस्क और भी बड़ा है. दस हजार लड़कियों में से 9.6 पांच साल की होने से पहले वायु प्रदूषण के कारण जान गंवा देती हैं. वायु प्रदूषण भारत में 12.5 फीसदी मौतों के लिए ज़िम्मेदार है.

CSE ने India's State of Environment (SoE) Report in Figures 2019 को 5 जून 2019 को होने वाले विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर जारी किया है. इसमें कई अहम मुद्दों पर आंकड़े जमा किए गए हैं. इनमें वायु प्रदूषण से लेकर बेरोज़गारी, पर्यावरणीय अपराध, स्वच्छता और मौसम की अति, सबको जोड़ा गया है.

आंकड़ों से पता चलता है कि तीन राज्य उत्तर प्रदेश, बिहार और असम - Sustainable Development Goalsle  (SDG) by 2030 के लक्ष्य को पूरा करने के लिए सबसे कम तैयार हैं. आंकड़ों के मुताबिक जलवायु परिवर्तन दुनिया में अर्थव्यवस्था के लिए सबसे बड़ा खतरा है. भारत ने इसे मापने के लिए अब तक सभी संकेत भी चिन्हित नहीं किए हैं.

पानी के कुल स्रोतों में से 86 बेहद प्रदूषित हैं. इनमें से अधिकतर कर्नाटक, तेलंगाना और केरल में हैं. बड़ी वजहों में से एक 2011 से 2018 तक प्रदूषण फैलाने वाले कारखानों में 136 फीसदी बढोतरी है. भूजल का भी इस्तेमाल ज़रूरत से ज्यादा हो रहा है. करीब 94.5 फीसदी छोटी सिंचाई योजनाएं भूजल पर निर्भर हैं. 2006-07 और 2013-14 में गहरे ट्यूबवेल में 80 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. कृषि क्षेत्र भी मुश्किल में है. खेती करना महंगा होता जा रहा है लेकिन कृषि की जमीन सिकुड़ती जा रही है. बीमा वाले फसल महज़ 26 फीसदी हैं.

गांवों में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी है. 2013-17 में नए डॉक्टरों की संख्या में 60 फीसदी गिरावट है. शहरों पर जनसंख्या का बोझ बढ़ता जा रहा है लेकिन स्मार्ट सिटी बनाने का लक्ष्य पूरा नहीं हो रहा है. ठोस कचरा समस्या बना हुआ है. स्वच्छ ऊर्जा के लक्ष्य भी पूरे नहीं हुए हैं. Green house gas (GHG) emission में 2010-14 के बीच 22 फीसदी बढ़ोतरी हुई. सन 2018 में 11 राज्यों ने मौसम की अति का सामना किया जिनमें 1425 लोगों की जान गई.

जंगलों में आग की जानकारी के लिए नए मॉनिटरिंग और अलर्ट सिस्टम लगाए गए हैं. अप्रैल 2019 में 69, 523 आग की घटनाएं रिकॉर्ड की गईं जो पहले की तकनीक से रिकॉर्ड की गईं से 9.5 फीसदी ज्यादा हैं. बेरोजगारी शिक्षितों में ज्यादा है. सितंबर- दिसंबर 2018 में ग्रेजुएट के बीच 13.17 फीसदी बेरोज़गारी थी जो मई-अगस्त 2017 के आंकड़े से 10.39 फीसदी ज्यादा है.

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